काला गेहूँ दरअसल गेहूँ की एक खास किस्म है, इस किस्म का नाम ‘नाबी एमजी’ रखा गया है, जिसकी खेती खास तरीके से की जाती है। भारत में आम तौर पर काले गेहूँ की खेती बहुत कम होती है।
काले गेहूँ में सामान्य गेहूँ की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत तक अधिक आयरन होता है एवं प्रोटीन, पोषक तत्व और स्टार्च की मात्रा समान होती है।
साधारण गेहूँ में एंथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है जबकि काले गेहूँ में इसकी मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है।
एंथोसाइन एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है, जो हार्ट अटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है।
इसकी उपज का बाजार मूल्य भी साधारण गेहूँ की अपेक्षा बेहतर मिल जाता है।
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वेस्टर्न डिस्टरबेंस के प्रभाव से उत्तर के मैदानी भागों में तापमान बढ़ते हैं तथा पहाड़ों पर भारी हिमपात होता है। पश्चिमी विक्षोभ के आगे बढ़ जाने के बाद उत्तर भारत में बर्फीली हवाएं चलने से तापमान गिरते हैं। पहाड़ों पर हिमस्खलन की घटनाएं बढ़ने से जानमाल की हानि होने की आशंका बढ़ जाती है।
स्रोत: मौसम तक
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इस रोग से प्रभावित पौधे के आधार भाग पर काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
रोग की शुरुआती अवस्था में पौधा पीला पड़ने लगता है।
संक्रमित कंद पर नरम, लाल या काले रंग के छल्ले दिखाई देते हैं।
रोग की गंभीर अवस्था में पौधा मुरझाने लगता है और अंत में सूख कर नष्ट होने लगता है।
इसके प्रबंधन के लिए कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में करें। स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।
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उत्तर-पूर्वी मानसून जिसे मिनी मानसून भी कहा जाता है ने दस्तक दे दी है। आंध्र प्रदेश के तटीय जिलों सहित तमिलनाडु और दक्षिण कर्नाटक में बारिश की गतिविधियां तेज हो जाएंगी। उत्तर भारत में फिलहाल कोई भी पश्चिमी विक्षोभ नहीं है परंतु सर्द हवाएं उत्तर भारत सहित मध्य भारत में तापमान कम करेंगी। उत्तर पूर्वी भारत में भी मौसम शुष्क रहेगा।
स्रोत: स्काईमेट वेदर
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