Improved Varieties of Soybean and their selection

सोयाबीन की उन्नत किस्में:- किस्मों का चयन कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार किया जाना चाहिए| हल्की भूमि व वर्षा आधारित क्षेत्रों में जहाँ औसत वर्षा 600 से 750 मि.मी. है वहाँ जल्दी पकने वाली (90-95 दिन) किस्म लगाना चाहिए| मध्यम किस्म की दोमट भूमि व 750 से 1000 मिमी. औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में जो 100 से 105 दिन में आ जाएँ  लगाना चाहिए | 1250 मिमी. से अधिक वर्षा वाले तथा भारी भूमि में देर से पकने वाली किस्में लगाना चाहिये| इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये की बीज की अंकुरण क्षमता 70 प्रतिशत से अधिक हो एवं खेत में अच्छी फसल हेतु पौधों की संख्या 40 पौधे प्रति वर्ग मीटर प्राप्त हो सकें, अंत: उपयुक्त किस्म के प्रमाणित बीज का ही चयन करना चाहिये |

मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त सोयाबीन की उन्नत किस्में:-

क्र. किस्म का नाम अवधि दिन में उपज प्रति हेक्टेयर
1. JS-9560 82-88 18-20
2. JS-9305 90-95 20-25
3. NRC-7 90-99 25-35
4. NRC-37 99-105 30-40
5. JS-335 98-102 25-30
6. JS-9752 95-100 20-25
7. JS-2029 93-96 22-24
8. RVS-2001-4 92-95 20-25
9. JS-2069 93-98 22-27
10. JS-2034 86-88 20-25

Source:-https://iisrindore.icar.gov.in/

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें|

Share

Basal Dose of Fertilizer and Manure for Maize

मक्का के लिए खाद एवं उर्वरकों की बेसल मात्रा:-

  • उर्वरक मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार देना चाहिए |
  • गोबर की अच्छी सड़ी खाद 10 टन प्रति एकड़ आखरी जुताई के समय मिलाये |
  • मिट्टी परिक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर डीएपी 50 किलो और पोटाश 35 किलो प्रति एकड़ के अनुसार बुआई के समय देना चाहिए |
  • उर्वरक का बेसल मात्रा मिट्टी, किस्म और अन्य कारकों पर भिन्न हो सकता है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Basal dose of fertilizers for Chilli

मिर्च के लिए उर्वरकों की बेसल मात्रा:-

  • उर्वरक मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार देना चाहिए |
  • यदि मिट्टी परिक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर डीएपी 100 किलो, यूरिया 50 किलो और पोटाश 50 किलो प्रति एकड़ के अनुसार बुआई पूर्व देना चाहिए |
  • उर्वरक का बेसल मात्रा मिट्टी, किस्म और अन्य कारकों पर भिन्न हो सकता है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Manure and fertilizer dose for Soybean

सोयाबीन के लिए खाद एवं उर्वरक:-

सोयाबीन एक दलहनी एवं तिलहन फसल है | इसमें नाईट्रोजन की आवश्यकता कम होती है | अधिक नाईट्रोजन देने से अफलन की समस्या आ सकती है इसलिए इसमें पौषक तत्व प्रबंधन में विशेष ध्यान देना होता है|

  • खाद एवं उर्वरकों की मात्रा मृदा परीक्षण रिपोर्ट, स्थान एवं किस्म के अनुसार भिन्न हो सकती है |
  • गोबर की अच्छी सड़ी खाद 10 टन प्रति एकड़ आखरी जुताई के समय मिलाये |
  • सोयाबीन अनुसंधान क्रेंद्र द्वारा अनुशंसित मात्रा 20:60:20:20 किलो प्रति हे.क्रमशः नाईट्रोजन :फास्फोरस :पोटाश : सल्फर है इसके अनुसार लगभग 50 किलो डीएपी प्रति एकड़,10 किलो सिंगल सुपर फास्फेट एवं 30 किलो पोटाश बेसल डोज़ में दे तथा बुआई के 15 दिन बाद 8 किलो प्रति एकड़ सल्फर 90% WDG एवं 4 किलो प्रति एकड़ माईकोराईज़ा (जैव-उर्वरक) देना चाहिए |
  • बुआई के समय राईज़ोबियम कल्चर 5 ग्राम प्रति किलो बीज एवं पीएसबी कल्चर 5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना बहुत लाभदायक होता है |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Management of Mosaic Virus Disease in Sponge Gourd

गिलकी में मोज़ेक वायरस रोग का प्रबंधन:-

  • यह वायरस जनित रोग एफिड या सफ़ेद मक्खी या लाल कीड़ें द्वारा फैलाई जाती है, जो पौधे का रस चूसकर बीमारी फैलाते है|
  • ग्रसित पौधे की नयी पत्तियों की शिराओ के बीच में पीलापन हो जाता है, एवं पत्तियाँ बाद में ऊपर की तरफ मुड़ जाती है|
  • पुरानी पत्तियों के ऊपर उभरे हुए गहरे रंग के फफोलेनुमा संरचना दिखाई देती है| प्रभावित पत्तियाँ तन्तुनुमा हो जाता है |
  • पौधा आकार में छोटा हो जाता है बीमारी से पौधे की वृद्धि, फल-फुल एवं उपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है|
  • ज्यादा प्रभाव वाले पौधे पर फल नहीं लगते है|

रोकथाम:-

  • खेत में उपस्थित अन्य जरिये जैसे खरपतवार को उखाड़कर नष्ट करें|
  • फसल चक्र अपनाये|
  • मोज़ेक के लिए सवेंदनशील मौसम व क्षेत्रों में फसल को ना उगायें|
  • 10-15 दिन के अंतराल पर डायमिथोएट 30% EC 30 मिली. प्रति पम्प स्प्रे करें साथ ही  स्ट्रेप्टोमाईसीन 2 ग्राम प्रति पम्प का स्प्रे करें तथा शुरुआती संक्रमण से फसल को बचाये|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Management of Leaf reddening in Cotton

कपास में लाल पत्ति का प्रबंधन:-

  • घेटे के विकास के समय खराब वातावरणीय स्थिति से बचने के लिए समय पर बुआई करें |
  • उचित समय पर यूरिया (1%) के एक या दो स्प्रे करें।
  • बुआई के 40-45 दिन में मैग्नीशियम सल्फेट 10-12 किलो प्रति एकड़ के अनुसार दें|
  • जल भराव से बचने के लिए उचित जलनिकासी करें |
  • रस चुसक कीटों के कारन होने वाले लालपन को रोकने के लिए अनुशंसित कीटनाशकों का प्रयोग करें|
  • अधिक घेटे लगने पर प्रबंधन करें|
  • फूल और घेंटों के विकास के दौरान विशेष रूप से संकर किस्म में पर्याप्त पोषक तत्वों की पूर्ति करें |
  • अंतर शस्य क्रियाये, निदाई एवं अन्य कृषि कार्य समय पर करें |
  • जिन किस्मों में यह समस्या आती है उन्हें नहीं लगाना चाहिए|
  • उपलब्ध होने पर पर्याप्त सिंचाई करें |
  • मिट्टी के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति को बनाए रखने के लिए फसल चक्र और अंतरवर्तीय फसलें अपनाए।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Basal dose of fertilizers for Cotton

कपास के लिए उर्वरकों की बेसल मात्रा:-

  • उर्वरक मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार देना चाहिए |
  • यदि मिट्टी परिक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर डीएपी 65 किलो, यूरिया 50 किलो और पोटाश 50 किलो प्रति एकड़ के अनुसार बुआई पूर्व देना चाहिए |
  • यदि बुआई पूर्व खाद नहीं दिया हो तो बुआई के 25 दिन बाद देना चाहिए|
  • उर्वरक का बेसल मात्रा मिट्टी, किस्म  और अन्य कारकों पर भिन्न हो सकता है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Bio-fungicide:- Trichoderma; Application and Benefits

ट्रायकोडर्मा पौधे रोग प्रबंधन के लिए विशेष रूप से मिट्टी में पैदा होने वाले रोग के लिए एक बहुत ही प्रभावी जैविक माध्यम है। यह एक मुक्त जीवित कवक है जो मिट्टी और जड़ पारिस्थितिक तंत्र में आमतौर पर होता है|

ट्रायकोडर्मा से लाभ:-

रोग नियंत्रण, पौध वृद्धि कारक, रोग के जैव रासायनिक रोधक, ट्रांसजेनिक पौधे और जैव उपचार।

प्रयोग का तरीका:-

बीज उपचार:- बुवाई से पहले 6-10 ग्राम / किलो बीज के अनुसार ट्रायकोडर्मा मिलाये |

नर्सरी उपचार:- 100 वर्ग मी. नर्सरी क्यारियों में 10-25 ग्राम ट्रायकोडर्मा डालते है|

कलम एवं रोपा उपचार:- 10 ग्राम ट्रायकोडर्मा प्रति ली. पानी का घोल बना कर 10 मिनट रखें कलम एवं रोपा को उपचारित करके रोपाई करें|

मृदा उपचार:- 1 किलो ट्रायकोडर्मा 100 किलो गोबर की खाद में मिला कर उसे पॉलीथिन से ढक कर 7 दिन के लिए रखे बीच बीच में ढेर पर पानी डालते रहे और इसे 3-4 दिन में पलटे 7 दिन बाद खेत में भुरकाव करें |

पौध उपचार:- एक पानी में 10 ग्राम ट्रायकोडर्मा मिला कर पौधे के पास तने के चारों और जमीन में दे|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Weed Management Of Maize

मक्का में खरपतवार नियंत्रण:-

  • 1.0-1.5 किग्रा. एट्राजीन 50% डब्लू.पी. को 500 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के दूसरे या तीसरे दिन अंकुरण से पूर्व प्रयोग करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं|
  • अथवा एलाक्लोर 50% ई.सी. 4 से 5 लीटर को भी 500 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 48 घण्टे के अन्दर प्रयोग कर खरपतवार नियंत्रित किये जा सकते हैं।
  • बुवाई के 20-25 दिन बाद 2,4-D @ 1 Kg/ha का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर फ्लेट फेन नोज़ल से स्प्रे करें |
  • जब खरपतवारनाशी का उपयोग किया जाए उस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए |
  • खरपतवारनाशी के प्रयोग के बाद मिट्टी से छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए |
  • यदि दलहन सफल साथ में लगी हैं तो एट्राजीन का उपयोग नहीं करना चाहिए इसके जगह पेंडीमेथलीन @ 0.75 kg/ha का प्रयोग अंकुरण पूर्व बुवाई के 3-5 दिन में करना चाहिए |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Disease Free Nursery Raising For Marigold

गेंदे के लिए रोग मुक्त नर्सरी बनाना:-

  • बुआई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें|
  • बुआई के पूर्व बीजों का उपचार अनुशंसित फफूंदनाशक से करना चाहिए|
  • एक ही प्लाट में बार-बार नर्सरी नहीं लेना चाहिये|
  • नर्सरी की ऊपरी मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 5 ग्राम/वर्ग मी. से उपचारित करना चाहिये तथा इसी रसायन का 2 ग्राम/ लीटर पानी का घोल बनाकर नर्सरी में प्रत्येक 15 दिन में ड्रेंचिंग करना चाहिये|
  • आद्रगलन रोग के नियंत्रण के लिए जैव-नियंत्रण के लिए ट्रायकोड्रमा विरिडी 1.2 किलोग्राम/ हे. के अनुसार देना चाहिए|  

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share