मूंग की फसल में मैग्नीशियम की कमी को पहचानें और करें बचाव के उपाय

Symptoms of Magnesium deficiency in Moong

मैग्नीशियम की कमी से पौधे की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं, लेकिन शिराएँ हरी बनी रहती हैं। पौधे की पुरानी पत्तियां गिरने लगती हैं, कुछ पौधों में पत्तियों के किनारे ऊपर की ओर मुड़ने लगते हैं। पौधे की वृद्धि तथा जड़ का विकास कम होता है। मैग्नीशियम की कमी से ग्रस्त पौधे में भूरे या काले धब्बे दिखाई दे सकते हैं। इससे पौधा मुरझा जाता है, टहनियां कमजोर होकर फफूँदी रोग के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं। अपरिपक्व पत्तियां गिर जाती हैं। पौधे की पत्तियों में क्लोरोफिल के लिए मैग्नेशियम सूक्ष्म पोषक तत्व एक मुख्य घटक माना जाता है।

फसल में मैग्नेशियम की बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है। पौधे के बढ़वार और विकास में मैग्नीशियम तत्व की भूमिका बहुत कम होती है, परंतु इसकी कमी से फल, फूल और अनाज की गुणवत्ता में अधिक फर्क पड़ता है। यही कारण है कि इसकी कमी मूंग की खड़ी फसल में दिखाई देती है। मिट्टी की जांच द्वारा, मैग्नीशियम के स्तर की जानकारी पता करनी चाहिए। फिर मिट्टी की जांच रिपोर्ट के आधार पर, फसलों में मैग्नीशियम की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।

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टमाटर की फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप एवं नियंत्रण के उपाय

Whitefly infestation and control measures in tomatoes

यह मक्खी सफ़ेद रंग की होती हैं, जिसके शिशु एवं वयस्क दोनों ही पौधे के कोमल भागों से रस चूसते हैं, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है, साथ हीं ये विषाणु रोग को फ़ैलाने का भी काम करती है। सफेद मक्खियाँ पौधे के जिस भाग से रस चूसती हैं वहाँ पर चिपचिपे पदार्थ को छोड़ देती हैं जिस कारण वहाँ पर काली फफूँदी आ जाती है। इससे पौधे में प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधित हो जाती है। यह कीट पत्तियों की निचली सतह पर चिपके रहते हैं। 

नियंत्रण: इसकी रोकथाम के लिए, नीमगोल्ड नीम तेल 1000 मिली/एकड़ या बवे कर्व (बवेरिया बेसियाना 5% WP) 500 ग्राम/एकड़ या थियानोवा (थियामेथोक्साम 25% WG) 80 ग्राम/एकड़ या एडमायर (इमिडाक्लोप्रिड 70% WG) 30 ग्राम/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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तरबूज की फसल को लीफ माइनर कीट से दें सुरक्षा और नुकसान से बचाएं

Control of leaf miner in watermelon

लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) कीट बहुत ही छोटे आकार के होते हैं, जो पत्तियों के अंदर जाकर सुरंग बनाते हैं, जिस कारण पत्तियों के ऊपरी सतह पर सफेद धारी जैसी लकीरें दिखने लगती है। इससे पत्तियों पर टेढ़े-मेढ़े सुरंग नजर आने लगते हैं। लीफ माइनर कीट से ग्रसित पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया धीमी हो जाती है, और कुछ समय बाद पत्तियां कमजोर हो कर गिरने लगती हैं।

नियंत्रण: प्रभावित पत्तियों को पौधों से अलग कर के नष्ट करें। इसकी रोकथाम के लिए नीमगोल्ड नीम तेल 1000 मिली/एकड़ या बवेकर्व (बवेरिया बेसियाना 5% WP) 500 ग्राम/एकड़ की दर 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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मूंग की फसल में बढ़ेगा फली छेदक प्रकोप, जानें नियंत्रण के उपाय

Measures to control Pod Borer in Moong

फली छेदक कीट मुलायम पत्तियों, फलों, फूलों एवं फलियों को खाते हैं। यह कीट मुख्यत: जब फलियों में दाना बनना शुरू होता है तब फलियों के अंदर प्रवेश कर नुकसान पहुंचाना शुरू करते हैं। इस कीट के प्रकोप से फलियों में दाने नहीं बनते हैं। अधिक प्रकोप होने पर पौधे और पत्तियां सूख जाती हैं और पौधों का विकास रुक जाता है, जिसके कारण उपज में भारी नुकसान होता है।

नियंत्रण: इस कीट के नियंत्रण के लिए बवेकर्व (बवेरिया बेसियाना 5% WP) 500 ग्राम/एकड़ या फॉस्किल (मोनोक्रोटोफॉस 36% SL) 200 मिली/एकड़ की दर 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें। 

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कद्दू वर्गीय फसलों में गमोसिस रोग के लक्षण एवं निवारण के उपाय

Symptoms and prevention of gummosis disease in cucurbitaceous crops

गमोसिस रोग से प्रभावित लताओं पर उभरे हुए फफोले नजर आने लगते हैं। कुछ समय बाद यह फफोले घाव में परिवर्तित हो जाते हैं। रोग बढ़ने पर इन फफोलों से भूरे रंग के गोंद का स्राव होने लगता है। इस रोग से प्रभावित लताओं में फूल एवं फलों की संख्या में कमी आती है और प्रकोप बढ़ने पर लताएं सूखने लगती हैं।

नियंत्रण: पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरक एवं पोषक तत्वों का प्रयोग करें। इस रोग को फैलने से रोकने के लिए रोग से प्रभावित हिस्सों को तोड़कर नष्ट कर दें। खेत में रोग से प्रभावित फसलों के अवशेष न रहने दें। प्रभावित अवशेषों को खेत से बाहर निकालें और जला कर नष्ट कर दें। खेत में जल जमाव न होने दें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

रोग दिखाई दे तो एम-45 (मैनकोजेब 75% डब्ल्यूपी) 400 ग्राम/एकड़ या जटायु (क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी) 400 ग्राम/एकड़ की दर 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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मूंग की फसल में चूर्णिल आसिता रोग की पहचान एवं निवारण के उपाय

Identification and prevention of Powdery mildew disease in Moong crop

मूंग की फसल चूर्णिल आसिता रोग के कारण पत्तियों की ऊपरी सतह पर सफेद पाउडर के समान संरचना दिखाई देती है, जो कि बाद में मटमैले रंग में बदल जाती है। ये सफेद पाउडर तेजी से बढ़ता है और पत्तियों की ऊपरी सतह पर आवरण के रुप में फैल जाता है। अधिक प्रकोप होने पर यह पत्तियों की निचली सतह को भी ग्रसित करता है। रोग की उग्र अवस्था मे संक्रमित पौधे की पत्तियां पूर्णत: सूख जाती हैं और असमय झड़ने लगती है। मौसम अनुकुल होने पर इस तरह के लक्षण पत्तियों के अलावा शाखाओं एवं फलों पर भी दिखने लगते हैं।

नियंत्रण: रोग रोधी सहनशील बीज किस्मों का चयन करें। जैविक नियंत्रण के लिए कोमबेट (ट्राइकोडर्मा विर्डी) से 8 ग्राम/किलो के हिसाब से बीज को उपचारित करें।

घुलनशील सल्फर को 600 ग्राम/एकड़ या धानुस्टीन (कार्बेन्डाजिम 50% WP) 200 ग्राम/एकड़ या टिल्ट (प्रोपिकोनाज़ोल 25% EC) 200 मिली/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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लौकी की फसल में फलों का टेढ़ा होना पहुंचाएगा भारी नुकसान

Curvature of Bottle Gourd fruit and its prevention

लौकी की फसल में फल मक्खी कीट के कारण फलों के टेढ़े होने की समस्या देखने को मिलती है। ये कीट लौकी की सतह और फल के अंदर घुसकर अंडे देते हैं, जिससे फल टेढ़े होने लगते हैं। ये ज्यादातर नए और कोमल फलों पर हमला करते हैं जिससे फलों में छेद हो जाते हैं और छेदों में से रस निकलता हुआ दिखाई देता है। इसी वजह से फल सड़ने लगता है और फलों का आकार बिगड़ जाता है साथ हीं फल समय से पहले गिरने भी लगते हैं।

रोकथाम: इसकी रोकथाम के लिए नीमगोल्ड नीम तेल 1000 मीली/एकड़ या फेरोमोन – फ्रूट फ्लाई ट्रैप 10/एकड़ की दर से लगायें या बवेकर्व (बवेरिया बेसियाना 5% WP) 500 ग्राम/एकड़ की दर 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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लौकी की फसल में बीटल कीट की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

Identification and control of beetle pest in Bottle gourd

यह कीट मुख्य रूप से कद्दू वर्गीय फसल पर आक्रमण करता है। लाल पंपकिन बीटल पौधे की पत्तियों को शुरुआती अवस्था में पत्तियों को खाकर छेद कर देता है। यह कीट लौकी की पत्तियों की ऊपरी सतह को खाते हैं। इससे पत्तियां जालीदार हो जाती हैं। प्रकोप बढ़ने पर लौकी की पत्तियों में केवल नसें दिखती हैं जिससे फसल की बढ़वार रुक जाती है।

नियंत्रण: संक्रमित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए। खेत को खरपतवारों से मुक्त रखना चाहिए। इसके नियंत्रण के लिए टाफगोर (डाइमेथोएट 30% EC) 250 मिली/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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फसलों में लाल एवं पीली मकड़ी का प्रकोप एवं निवारण के उपाय

Outbreak and prevention of red and yellow mites in crops

लाल और पीली मकड़ी आकार में बहुत छोटे होते हैं और पत्तियों की निचली सतह पर समूह बना कर रहते हैं। ये पत्तियों से रस चूसते हैं जिससे पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इससे पत्तियां मुरझा जाती है और नीचे की ओर मुड़ जाती है जिसके फलस्वरूप पौधों का विकास रुक जाता है। इसके प्रकोप से फल कम लगते हैं और बिना पके हीं गिर जाते हैं। अधिक संक्रमण होने पर पौधों में जाले दिखाई देते हैं।

रोकथाम: इसकी रोकथाम के लिए फसल चक्र अपनाएं या प्रभावित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें। इसके अलावा ओमाइट (प्रोपार्जाइट 57% EC) 400 मिली/एकड़ या ओबेरोन (स्पाइरोमेसिफेन 22.90% EC) 160 मिली की दर से 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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मिर्च में बैक्टीरियल लीफ स्पॉट की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

Identification and control of bacterial leaf spot in chilli

मिर्च के पौधों में होने वाला ‘बैक्टीरियल लीफ स्पॉट’ एक गंभीर जीवाणु जनित रोग है। यह रोग मुख्य रूप से पुराने पौधों पर दिखाई देता है लेकिन जल्द ही ये नए पौधों को भी प्रभावित करने लगता है। इससे पत्तियों पर छोटे छोटे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। पत्तियों के किनारे सूखने लगते हैं और धब्बे आपस में मिलकर अनियमित घाव बनाते हैं। पत्तियों में हरापन नहीं रहता और संक्रमण अधिक होने पर पत्तियां समय से पहले गिर जाती हैं। 

नियंत्रण: संक्रमित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए ताकि यह रोग अन्य पौधों में न फ़ैल सके। रोग मुक्त बीजों का प्रयोग करें और रोग दिखाई दे तो एम-45 (मैनकोजेब 75% WP) 400 ग्राम/एकड़ या  ब्लू कॉपर (कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP) 300 ग्राम/एकड़ की दर 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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