प्याज में कंद के फटने से सम्बंधित रोग की पहचान

  • कंद फटने के प्रथम लक्षण  पौधे के आधार पर दिखाई देते है |
  • प्याज़ के खेत में अनियमित सिंचाई के कारण इस विकार में वृद्धि होती है|
  • खेत में ज्यादा सिंचाई, के बाद में पुरी तरह से सूखने देने एवं अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण कंद फटने लगते है|
  • कंद के फटने के कारण कंदों में मकड़ी (राईज़ोफ़ाइगस प्रजाति) चिपक जाती है|
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मटर में अंगमारी (झुलसा) और पद गलन रोग का नियंत्रण

  • स्वस्थ बीजों का उपयोग करें एवं बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम  + मेंकोजेब @ 250 ग्राम/ क्विन्टल बीज से बीजोपचार करें।
  • रोग ग्रस्त पौधों पर फूलों के आने पर मैनकोजेब 75% @ 400 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें एवं 10-15 दिन के अंतराल से पुनः  छिड़काव करें ।
  • थायोफनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम/एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें| या 
  • क्लोरोथ्रोनिल 75% WP @ 250 ग्राम/एकड़  छिड़काव करें।
  • रोगग्रस्त पौधों को निकालकर नष्ट करें ।  
  • जल निकास की उचित व्यवस्था  करें ।
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मटर में अंगमारी (झुलसा) और पद गलन रोग की पहचान

  • पत्तियों पर गहरे भूरे किनारे वाले गोल कत्थई से लेकर भूरे रंग के धब्बे पाये जाते है ।  
  • तनों पर बने विक्षत धब्बे लंबे, दबे हुये एवं बैगनी-काले रंग के होते है ।  
  • ये विक्षत बाद में आपस में मिल जाते है और पूरे तने को चारों और से  घेर लेते है । 
  • फलियों पर लाल या भूरे रंग के अनियमित धब्बे दिखाई देते है ।
  • रोग की गंभीर अवस्था में  पौधे का तना कमजोर होने लगता है | 
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जाने कुसुम योजना के तहत सब्सीडी कैसे मिलेगी

  • कुसुम योजना के तहत सौर पैनल लगाने के लिए, किसानों को उपकरणों की कुल लागत का 10 प्रतिशत का भुगतान करना होता है। 
  • शेष राशि में से 30 प्रतिशत का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में किया जाएगा जबकि 30 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा। 
  •  शेष 30 प्रतिशत के लिए, किसान बैंकों से ऋण ले सकते हैं। सरकार भी किसानों को बैंकों से ऋण लेने में मदद करती है।
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क्या आप कुसुम योजना के बारे में जानते है जिसके माध्यम से किसान 10 प्रतिशत पैसे देकर सौर जल पंप प्राप्त कर सकते हैं

  • किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान Mahabhiyan  ( कुसुम ) योजना के तहत किसान किसान बिना किसी बाधा के अपने खेतों में आसानी से सिंचाई कर सकेंगे। 
  • केंद्र सरकार ने एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) कंपनी को इसकी जिम्मेदारी दी है | , 
  • एजेंसी के माध्यम से किसानों को सौर जल पंप उपलब्ध कराया जाएगा।
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गेंदे की बढ़ती माँग ने बनाया है इसे फायदे की फसल

  • सिर दर्द, सूजन, दांत दर्द, घाव और कई त्वचा की समस्याओं जैसे औषधीय प्रयोजनों के लिए मैरीगोल्ड्स अत्यधिक मूल्यवान हैं। 
  • मेकअप, रंग भरने वाले भोजन (स्ट्यू, सूप, पुडिंग आदि) और कपड़ों और औषधीय उपयोगों के लिए गेंदे की पंखुड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है ।
  •  मोमबत्तियों में अर्क के रूप में भी  गेंदे का इस्तेमाल किया जाता है।
  • बर्साइटिस या बर्सा थैली कैंसर जैसी बीमारी के उपचार में भी इसका प्रयोग किया जाता है|
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धनिया की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

  • अच्छी तरह जल निकास वाली दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी मानी जाती हैं।
  • वर्षा आधारित खेती के लिए चिकनी मिट्टी अच्छी होती है जिसका pH 6-8 होनी चाहिए।
  • धनिया की फसल हेतु उपयुक्त तापमान 20-25 oC होता हैं|
  • ठंडी और शुष्क जलवायु इसकी फसल के लिए अच्छी मानी जाती हैं।
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मटर में माहु का नियंत्रण

मटर में माहु का नियंत्रण:-

  • हरे रंग के छोटे कीट होते है । वयस्क, बड़े नाशपाती के आकार वाले हरे, पीले या गुलाबी रंग के होते है।

हानि :-  

  • पत्तियों, फूलों व फल्लियों से रस चूसते है ।  
  • प्रभावित पत्तियां मुड़ जाती है व टहनियां छोटी रह जाती है ।
  • यह कीट मीठे पदार्थ का रिसाव करते है जो सूटी मोल्ड को विकसित करते है ।

 

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Control of Root-Knot Nematode in Tomato

  • प्रतिरोधक किस्मों को उगाये|
  • ग्रीष्म ऋतू में भूमि की गहरी जुताई करें|
  • नीम खली 80 किलो प्रति एकड़ की दर से देना चाहिए|
  • कार्बोफ्युरोन 3% G 8 किलो प्रति एकड़ की दर से देना चाहिए|
  • पेसिलोमाइसेस लिलासिनास -1% डब्ल्यूपी, बीज उपचार के लिए 10 ग्राम/किलोग्राम बीज, 50 ग्राम/मीटर वर्ग नर्सरी उपचार, 2.5 से 5 किलो/हेक्टेयर जमीन से देने के लिए | 

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Root-Knot Nematode in Tomato

हानि 

  • पत्तियों का रंग हल्का पीला हो जाता है|
  • सूत्रकृमि से ग्रसित पौधों की वृद्धि रुक जाती है एवं पौधा छोटा ही रहता है| अधिक संक्रमण होने पर पौधा सुखकर मर जाता है|

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