- पशु को सांस लेने में कठिनाई होना, पशु का पेट अधिक फूल जाना, ज़मीन पर लेट कर पाँव पटकना,पशु का जुगाली नही करना, चारा-पानी बंद कर देना, नाड़ी की गति तेज हो जाना किन्तु तापमान सामान्य रहना आदि आफरे के प्रमुख लक्षण है।
- आफरा का असर बढ़ने पर पशु की हालत गंभीर हो जाती है और कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है।
- बरसीम, जई और दूसरे रसदार हरे चारे, विशेषकर जब यह गीले होते है तब पशु द्वारा खाया जाना आफरे का कारण बनते है।
- गेहूं, मक्का जैसे अनाज ज्यादा मात्रा में खाने से भी आफरा हो जाता है क्योंकि इनमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है।
- बरसात के दिनों में कच्चा चारा अधिक मात्रा में खा लेना, गर्मी के दिनों में उचित तापमान न मिलना, पाचन क्रिया गड़बड़ाना, अपच हो जाना, पशु को खाने के तुरन्त बाद खूब सारा पानी पिलाने आदि से भी आफरा हो जाता है।
कृषि व्यवसाय हेतु 20 लाख के लोन पर मिलेगी 8.8 लाख की सब्सिडी, जानें आवेदन की प्रक्रिया
पढ़े लिखे युवाओं को कृषि क्षेत्र में लाने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है। अब केंद्र सरकार ने कृषि संबंधित व्यवसाय को बढ़ावा देने और इससे ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ने का प्लान तैयार किया है। इस प्लान के अंतर्गत खेती से जुड़े व्यवसाय की शुरुआत के लिए 20 लाख रुपए तक का लोन सरकार देने वाली है।
आवेदन देने वाली व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से 20 लाख रुपए और पांच व्यक्तियों के समूह को 1 करोड़ रुपए तक का लोन दिया जाएगा। सामान्य वर्ग के आवेदकों को इस लोन पर 36 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिला वर्ग के आवेदकों को 44 प्रतिशत सब्सिडी दी जायेगी।
इस योजना का लाभ पाने के लिए किसी भी व्यक्ति को 45 दिन की ट्रेनिंग लेनी होती है। ट्रेनिंग के बाद अगर व्यक्ति इस लोन के योग्य पाया जाता है तो नाबार्ड उसे ऋण देगा। इस योजना से जुड़ने के लिए इस लिंक पर जाएँ https://www.acabcmis.gov.in/ApplicantReg.aspx
Shareकिसानों को 36,000 रूपए सालाना पेंशन, जानें योजना की जानकारी और आवेदन की विधि
किसानों को वृद्धावस्था में कई प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ता है। शरीर कमजोर हो जाने से वे कृषि कार्यों में भी पूर्णतः भागीदारी नहीं निभा पाते इसी लिए उन्हें वृद्धावस्था आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। किसानों के वृद्धावस्था में इसी आर्थिक संकट को दूर करने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत बुढ़ापे में किसानों को 36,000 रूपए सालाना पेंशन दी जायेगी।
18 से 40 वर्ष के मध्य आने वाले किसान इस योजना में रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। किसानों को इस योजना में कम से 20 और अधिकतम 42 साल तक 55 से 200 रुपये का मासिक प्रीमियम जमा करना होगा। जितनी रकम किसान जमा करेंगे उतनी ही रकम सरकार भी इसमें जमा करेगी। आखिर में किसान के 60 वर्ष की उम्र पार करने के बाद सरकार की तरफ से 36,000 रूपए सालाना पेंशन मिलेगी। यह 36,000 रूपए किसानों 3 हजार रुपये के क़िस्त में हर माह दी जायेगी।
कैसे करें रजिस्ट्रेशन?
किसान इस योजना के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन अपने नज़दीकी कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर करवा सकते हैं। इसके रजिस्ट्रेशन में कोई शुल्क नहीं लगता है। अगर कोई किसान पीएम-किसान सम्मान निधि के अंतर्गत लाभ उठा रहा है तो उसे इस योजना के लिए सिर्फ आधार कार्ड लेकर जाना होता है।
किसानों का पैसा नहीं डूबेगा
अगर कोई किसान इस योजना को बीच में ही छोड़ना चाहता है तो उसके द्वारा जमा किया गया पैसा डूबेगा नहीं बल्कि उसके द्वारा जमा की गई रकम सेविंग अकाउंट के अंतर्गत मिलने वाले ब्याज के साथ लौटा दिया जाएगा।
स्त्रोत: कृषि जागरण
Shareमिर्च की फसल में वैज्ञानिक विधि से नर्सरी प्रबंधन कैसे करें?
- मिर्च की पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले बीजों की बुआई 3 गुणा 1.5 मीटर आकार की भूमि में करनी चाहिए तथा इसमें क्यारियां जमीन से 8-10 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए ताकि पानी इकट्ठा होने से बीज व पौध सड़ न जाये।
- एक एकड़ क्षेत्र के लिए 100 ग्राम मिर्च के बीजों की आवश्यकता होती है। 150 किलो अच्छी सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुंद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएं ताकि मिट्टी की संरचना के साथ पौधे का विकास अच्छा हो और हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाए।
- बुआई के 8-10 दिन बाद एफिड व जैसिड कीट आने पर 10 ग्राम थाइमेथोक्सोम 25% WG 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें तथा 20-22 दिन बाद दूसरा छिड़काव 5 ग्राम फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG को 15 लीटर पानी संग छिड़काव करें।
- बुआई के 15-20 दिन बाद आर्द्र गलन की समस्या नर्सरी में आती है, अतः 0.5 ग्राम थियोफिनेट मिथाइल 70 WP का छिड़काव या डेंचिंग प्रति वर्ग मीटर करें या 30 ग्राम मेटालैक्सील 4% + मैंकोजेब 64% WP को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
ऐसे तैयार करें बोतल बंद गन्ने का रस
- तीन किलो गन्ने के रस के लिए एक निम्बू और 2-3 ग्राम अदरक का रस मिलाएं।
- गन्ने के रस को 600-700 सेन्टीग्रेड तापमान पर 15 मिनट तक गर्म करें।
- कचरे या गन्देपन को मसलिन वाले कपड़े से छानकर निकाल दें।
- गन्ने के रस को साफ़ और सुरक्षित रखने के लिए 1 ग्राम सोडियम मेटाबाईसल्फाइड प्रति 8 लीटर रस में डालें।
- इस रस को गर्म पानी से जीवाणुरहित की गई बोतलों में भरकर कार्क लगाने वाली मशीन की सहायता से कार्क लगाएं।
- इस बोतल बंद रस को 6-8 सप्ताह के लिए भण्डारित किया जा सकता है।
मध्यप्रदेश बना वैज्ञानिक विधि से गेहूँ का भंडारण करने वाला अग्रणी राज्य
मध्यप्रदेश में गेहूं की खरीदी 15 अप्रैल से रोज़ाना चल रही है और अब इसका भंडारण भी शुरू हो गया है। यहाँ गेहूँ का भंडारण वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है। वैज्ञानिक तरीके से भंडारण करने के मामले मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य बन गया है। राज्य की 289 सहकारी समितियों ने 1 लाख 81 हजार से भी अधिक किसानों से 11 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन किया है। इस उपार्जित गेहूं का भंडारण 25 साईलो बैग और स्टील साइलो में किया जा रहा है।
साईलो बैग और स्टील साइलो के बारे में बताते हुए प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण श्री शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि यह खाद्यान्न भंडारण की सबसे आधुनिक तकनीकी है। इसमें खाद्यान्न को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए कीटनाशक औषधियों का इस्तेमाल करने की कोई जरुरत नहीं होती है। बिना कीटनाशक का इस्तेमाल किये ही इस तकनीक के जरिये लंबे समय तक खाद्यान्न को सुरक्षित रखा जा सकता है।
यह तकनीक सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने में मददगार है
प्रमुख सचिव श्री शुक्ला बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने में भी साइलो बैग वाली तकनीक मददगार है। इस तकनीक से भंडारण करने में मानव श्रम की कम आवश्यकता होती है। इस पद्धति में किसान ट्रैक्टर, ट्रॉली या ट्रक में अपनी उपज लेकर पहुँचता है, तो धर्म-काँटे से तौल करने के बाद हाइड्रोलिक सिस्टम के द्वारा एक ही बार में उसका पूरा गेहूं भंडारण के लिए खाली करा लिया जाता है। इस पूरे कार्य में 15 से 20 मिनट ही लगते हैं और ज्यादा लोगों की भीड़ भी जमा नहीं होती है।
स्रोत: जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश
Shareग्रामोफ़ोन का साथ मिलने से इंदौर के धीरज रमेश चंद्र बने ‘स्मार्ट किसान’
इंदौर जिले के देपालपुर तहसील के करजोदा गांव के रहने वाले किसान भाई धीरज रमेश चंद्र अपने पिताजी के समय से खेती करते आ रहे हैं वे बताते हैं की “पहले बहुत पुराने तरीके से खेती होती थी लेकिन अब बहुत सारे नए तरीके आ गए हैं। बाजार में बहुत सी दवाइयाँ उपलब्ध हैं, लेकिन दवाइयाँ जो लेने जाते हैं उसकी जगह पर दुकानदार अन्य दवाइयाँ दे देते हैं। इसीलिए इन दवाइयों पर कोई भरोसा नहीं होता, की फसल बचेगी या ख़राब होगी।”
धीरज जब अपनी इन्हीं समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे थे तभी वे ग्रामोफ़ोन के सम्पर्क में आये। उन्होंने अपने ग्रामोफ़ोन से संपर्क का वाक्या बताते हुए कहा की “जब मैं अपनी समस्या का समाधान ढूंढ रहा था तभी मुझे गांव के लोगों से ग्रामोफ़ोन के बारे में जानकारी मिली। मैंने ग्रामोफ़ोन से दवाइयाँ मंगवानी शुरू की। यहाँ से मुझे दवाइयाँ ऑरिजनल, अच्छी क्वालिटी की, उचित दाम पर, सही समय पर और अपने घर पर ही प्राप्त हुई।
धीरज ने ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के फायदे बताते हुए कहा की “फसल में मुझे जब भी कोई समस्या आई तो मैंने उसकी फोटो खींच कर ग्रामोफ़ोन एप पर अपलोड किया और ग्रामोफ़ोन की तरफ से उन्हें तत्काल मदद मिल गई।” उन्होंने अन्य किसानों के लिए यह भी बताया की अगर आप स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं तब भी टोल फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल देकर भी अपनी समस्या का समाधान करवा सकते हैं। आखिर में उन्होंने ग्रामोफ़ोन को किसानों का सच्चा मित्र और साथी भी बताया।
Shareम.प्र. में किसानों को गेहूं उपार्जन की राशि मिलनी शुरू, अब तक दिए गए 200 करोड़
मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की शुरुआत हुए एक हफ्ते से ज्यादा हो गया है। अब प्रदेश के किसानों को गेहूं उपार्जन की राशि मिलनी भी शुरू हो गई है। इसकी जानकारी खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी। उन्होंने कहा कि “प्रदेश में चल रहे रबी उपार्जन कार्य में गेहूं की राशि किसानों के खातों में भिजवाए जाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। उपार्जन की लगभग 200 करोड़ रुपए की राशि बैंकों को भिजवा दी गई है। यह राशि 02-03 दिन में किसानों के खातों में पहुँच जाएगी।”
बता दें की पिछले साल की तुलना में इस बार अभी तक मंडियों के माध्यम से दोगुना गेहूं बिक चुका है। मुख्यमंत्री मंत्रालय में अपने मंत्रियों एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रबी उपार्जन के कार्य की मॉनिटरिंग स्वयं कर रहे थे। इस बैठक में अब तक हुए गेहूं उपार्जन से जुड़ी जानकारी देते हुए बताया गया कि अब तक हुई खरीदी में से 81% सौदा पत्रक से हुई है। इसके अंतर्गत व्यापारी किसानों के घर से ही गेहूं ख़रीद रहे हैं।
बहरहाल बता दें की मंडियों के माध्यम से अब तक पिछले साल की तुलना में दोगुने गेहूं की खरीदी हो चुकी है। पिछले साल वर्तमान समय तक जहाँ मंडियों से 1.11 लाख मी.टन गेहूं की खरीदी हुई थी वहीं इस बार अभी तक 2 लाख 14 हजार मी.टन गेहूं की खरीदी हो चुकी है।
स्रोत: जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश
Shareआम के पेड़ में फलों के झड़ने की समस्या को कैसे रोकें?
- आम के पेड़ में फलों का झड़ना एक बहुत ही गंभीर समस्या है। आम में लगभग 99% फल विभिन्न चरणों में गिर जाते हैं और मात्र 0.1% फल ही परिपक्व अवस्था तक पहुँच पाते हैं।
- फलों का गिरना ऑक्सिन हार्मोन की कमी, निषेचन की कमी, द्विलिंगी पुष्पों की कमी, अपर्याप्त परागण, पराग कीटों की कमी, रोग व कीटो के प्रकोप, पोषक तत्वों की कमी, मिट्टी में अपर्याप्त नमी आदि के कारण हो सकते हैं।
- आम में फलों को गिरने से बचाने के लिए एल्फा नेफ्थलीन एसिटिक एसिड 4.5% SL की 0.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अन्तराल पर 2-3 बार छिड़काव करें।
ग्वारपाठा (एलोवेरा) के औषधीय गुण
- इसे घृतकुमारी भी कहते है। इसके सेवन करने से वात दोष से होने वाली पेट की बीमारियाँ ठीक हो जाती है।
- इसके कोमल गुदे को 10 ग्राम सुबह-शाम नियमित खाने ने गठिया रोग ठीक होने लगता है।
जलने पर, कटने पर, अंदरूनी चोटों पर एलोवेरा अपने एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण घाव को जल्दी भरता है। - यह खून की कमी को दूर करता है तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- यह त्वचा सम्बन्धित विकार जैसे रूखी त्वचा, मुंहासे, झुलसी त्वचा, झुर्रियों, चेहरे के दाग-धब्बों, आंखों के काले घेरों, फटी एड़ियों के लिए यह लाभप्रद है।
- इसके अतिरिक्त डायबिटीज़, बवासीर, जोड़ों का दर्द, बाल का घने-लंबे एवं मजबूत करने आदि में एलोवेरा का उपयोग फ़ायदेमंद होता है।