मूंग की खेती: फसल वृद्धि तथा रस चूसक कीट एवं अन्य बीमारियों से बचाव के उपाय

Information of improved varieties of Moong bean
  • कवक जनित रोगों से बचाव हेतु कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • रसचूसक कीट से बचाव हेतु 100 ग्राम थायोमेथोक्सोम 25% WG या 100 ग्राम एसिटामिप्रिड 20% SP प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • फसल की अच्छी बढ़वार हेतु 100 ग्राम वीम-95 (पोटैशियम ह्यूमेट 90% + फ्लूविक एसिड 10 %) या 400 मिली धनजाइम गोल्ड (समुंद्री शैवाल) या 400 मिली होशी अल्ट्रा (जिबरेलिक एसिड 0.001%) प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • ऊपर के तीनों उत्पाद (फफूंदनाशी, कीटनाशी और वृद्धि नियामक) तथा 1 किलो NPK 19:19:19 को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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लॉकडाउन में घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने में भी किसान क्रेडिट कार्ड करेगा आपकी मदद

Kisan Credit Card will also help you in meeting domestic needs in lockdown

कोरोना महामारी की वजह से लम्बे समय से चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन के कारण किसान भाइयों को आर्थिक तौर पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान खेती की ज़रूरतों के साथ साथ घरेलू ज़रूरतों की भी पूर्ति करना किसानों के लिए चुनौती पूर्ण सिद्ध हो रहा है। बहरहाल किसान क्रेडिट कार्ड की मदद से आप इस चुनौती से राहत प्राप्त कर सकते हैं।

दरअसल किसान क्रेडिट कार्ड से मिलने वाली राशि का एक हिस्सा किसान अपनी घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी उपयोग में ला सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस बाबत अपनी वेबसाइट पर जानकारी डाल रखी है। इसके जानकारी के अनुसार “देशभर के किसान अपने किसान क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल घर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कर सकते हैं।”

बता दें की आम तौर पर किसान क्रेडिट कार्ड योजना से मिलने वाली राशि का उपयोग किसी फसल की तैयारी में लगने वाले ख़र्चों को पूरा करने के लिए किया जाता है। पर इस योजना से मिली कुल राशि का 10% हिस्सा किसान अपने घरेलू ख़र्चों के लिए भी कर सकता है।

स्त्रोत: कृषि जागरण

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कपास की फसल को सफेद लट्ट (व्हाइट ग्रब) से कैसे बचाएं?

How to protect the cotton crop from the white grub
  • सफेद लट्ट (व्हाइट ग्रब) मिट्टी में रहने वाला सफेद रंग का लट्ट है, जो कपास की फसल में नुकसान पहुंचाता हैं।
  • इसके ग्रब जमीन के अंदर से मुख्य जड़ तंत्र को खाते हैं जिसके कारण पौधा पीला पड़ जाता है और सूख जाता है।
  • गर्मी में खेतों की गहरी जुताई एवं सफाई कर कीट को नष्ट किया जा सकता है।
  • जैव-नियंत्रण के माध्यम से 1 किलो मेटारीजियम एनीसोपली (कालीचक्र) को 50 किलो गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद में मिलाकर बुआई से पहले या खाली खेत में पहली बारिश के बाद खेत में मिला दें या
  • फेनप्रोपेथ्रिन 10% EC @ 500 मिली या क्लोथियानिडीन 50% WDG 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से में 200 लीटर पानी में मिलाकर ड्रेंचिंग कर दें।
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सुप्रीम कोर्ट ने गन्ना किसानों के पक्ष में लिया निर्णय, लाखों किसानों को होगा लाभ

Supreme Court decides in favor of sugarcane farmers, millions of farmers will benefit

कोरोना महामारी की विश्वव्यापी त्रासदी के मध्य सुप्रीम कोर्ट की तरफ से देश के लाखों गन्ना किसानों के लिए खुशख़बरी आई है। सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय से गन्ना किसानों की पुरानी समस्या का अंत होता नजर आ रहा है। दरअसल गन्ना के मूल्य निर्धारण को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच अक्सर विवाद रहता है जिसका ख़ामियाज़ा किसानों को भुगतना पड़ता था। अब इसी विषय पर सुप्रीम कोर्ट को निर्णय इन विवादों को खत्म कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए जिस निर्णय की हम बात कर रहे हैं उसे न्यायालय की पांच जजों की बेंच ने दिया है। पांच जजों की बेंच ने गन्ने के मूल्य निर्धारण पर वर्ष 2004 के एक फैसले को सही मानते हुए कहा कि “राज्य सरकारों द्वारा गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जा सकता है।” ग़ौरतलब है की न्यायालय के इस निर्णय का लाभ देश के लगभग 35 मिलियन किसानों तथा उनके परिवारों को मिलेगा जो अपनी आजीविका के लिए गन्ने की खेती पर निर्भर रहते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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सूरजमुखी के हैं ये फायदे

Sunflower has these benefits
  • सूरजमुखी के तेल में लगभग 64% लिनोलिक अम्ल पाया जाता है जो हृदय में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है।
  • सूरजमुखी की खली में लगभग 40 से 44 % प्रोटीन पाई जाती है, जिसका उपयोग मुर्गियों और पशुओं के लिए आहार के रूप में होता है।
  • यह विटामिन ए, डी एवं ई का अच्छा स्रोत है। इसके द्वारा बेबी फूड भी तैयार किया जाता है।
    सूरजमुखी के बीज में आयरन, जिंक, कैल्शियम मौजूद होते हैं, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।
  • इसके तेल से गठिया रोग में आराम मिलता है।
  • इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते है जो डायबिटीज, कैंसर, अल्जाइमर, हड्डियों और त्वचा से संबंधित बीमारियों से शरीर को बचाते है।
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लेमन ग्रास है सेहत के लिए फ़ायदेमंद

Lemon grass is beneficial for health
  • लेमन ग्रास एन्टीऑक्सीडेंट, एन्टीइंफ्लामेंटरी और एन्टीसेप्टिक गुणों से युक्त है।
  • लेमन ग्रास की चाय सिरदर्द में काफी फ़ायदेमंद है तथा इसे प्रतिरोधकता को बढ़ाने का श्रेय भी हासिल है।
  • पेट दर्द, पेट में ऐंठन, पेट फूलना, गैस, अपच, जी-मिचलाना या उल्टी आना जैसी पाचन संबंधित समस्याओं में भी यह कारगर औषधि सिद्ध होती है।
  • लेमन ग्रास के नियमित सेवन से शरीर में आयरन की कमी दूर हो जाती है जो एनीमिया रोगियों के लिए लाभदायक है।
  • इसमें ऐसे तत्व मौजूद हैं जो कैंसर सेल्स को शुरुआती अवस्था में रोकने में कारगर है।
  • यह धमनियों में रक्त प्रवाह को तेज कर हृदय सम्बन्धी बीमारियों को रोकता है।
  • लेमन ग्रास का उपयोग अनिद्रा, अस्थमा, घुटने के दर्द, अवसाद की समस्या से निजात पाने में भी किया जाता है।
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मध्यप्रदेश में उपार्जन राशि का 50% से अधिक पैसा नहीं काट सकेंगे बैंक, सरकार का ऐलान

Relief for farmers, Govt. extended the duration of short-term crop loan

देशव्यापी लॉकडाउन के बीच पूरे देश में रबी फ़सलों की खरीदी जारी है। गेहूं की खरीदी के साथ-साथ अब किसानों तक उपार्जन राशि का भुगतान भी होने लगा है। पर जिन किसानों ने खेती के लिए बैंक से ऋण लिया था उनकी उपार्जन राशि से बैंक ने पैसे काटने शुरू कर दिए हैं, इस कारण किसानों को पूरी राशि नहीं प्राप्त हो रही है।

ग़ौरतलब है की मध्य प्रदेश में ज्यादातर किसान खेती करने के लिए फसली ऋण तथा किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण लेते हैं | इस ऋण को फिर किसान अपने फसल उत्पादन को बेच कर पूरा करते हैं। हालांकि इस साल साल पहले वर्षा और बाद में कोरोना महामारी की वजह से किसानों की बचत बहुत कम हुई है। जिस कारण बैंक द्वारा उपार्जन राशि के पैसे काटने से किसानों को और समस्याएं हो सकती हैं।

इन्ही समस्याओं पर ध्यान देते हुए अब मध्यप्रदेश सरकार ने बैंकों को यह आदेश दिया है की रबी उपार्जन के अंतर्गत किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचीं गई फसल की राशि में से बकाया ऋण की राशि का 50% से ज्यादा ना काटा जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि अगली फसल के लिए किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराएँ जाएँ |

स्रोत: किसान समाधान

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कपास समृद्धि किट में उपस्थित उत्पादों के फायदे

  • कपास समृद्धि किट मिट्टी की उत्पादकता बढ़ा कर उपज को बेहतर करने में सहयोग देता है।
  • यह जैविक कार्बन को बढ़ाने में भी सहायक है।
  • ये उत्पाद उर्वरक उपयोग दक्षता में सुधार लाकर गुणवत्ता के साथ उपज में वृद्धि करता है। जिससे रासायनिक उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है।
  • इसका कार्य प्रारंभिक अंकुर वृद्धि कर जड़ विकास और पौध स्वास्थ्य विकास करना है।
  • यह मिट्टी संरचना में सुधार लाकर मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को भी बढ़ाता है।
  • फसल में लगने वाले जड़ सड़न, उकठा, आद्र गलन जैसे मृदाजनित रोगों से रक्षा करता है।
  • नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक, फॉस्फेटिक, पोटाश तथा जिंक पोषक तत्वों की सतत आपूर्ति कर उर्वरक इनपुट लागत में कमी लाता है।
  • ये उत्पाद जैविक होते है जो कोई विषैला प्रभाव नहीं छोड़ते है।
  • मिट्टी PH और जल धारण क्षमता में सुधार करता है।

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पशुओं में आतंरिक परजीवियों से बचाव के उपाय

Bank will provide 65 percent assistance, can start their employment by setting up dairy farms
  • परजीवियों से सुरक्षित रहने के लिए सफाई और स्वच्छता बनाए रख कर, स्वच्छ कवक रहित चारा और साफ पीने योग्य पानी उपलब्ध करा कर, पूरक पोषण और खनिज पदार्थ प्रदान कर, नियमित और समय पर कृमिनाशक (डीवर्मिग) करवा कर और समय पर चिकित्सा सहायता के द्वारा हम पशुओं में परजीवियो की समस्या का प्रभावी रूप से निराकरण कर सकते हैं।
  • पशुओं में आतंरिक परजीवियो से सुरक्षा हेतु हर तीन महीने में एक बार पेट के कीड़े की दवा अवश्य देनी चाहिए। साथ ही नियमित रूप से गोबर की जाँच करनी चाहिए।
  • जाँच में कीड़े की पुष्टि होते ही पशुचिकित्सक की सलाह से उचित कृमिनाशक दवा दें। पशुओं में टीकाकरण से पहले कृमिनाशक दावा अवश्य देनी चाहिए। गाभिन पशुओं को पशुचिकित्सक की सलाह के बगैर किसी सूरत में कृमिनाशक दवा न दें।
  • कृमिनाशक दवा, विशेष कर ओकसीक्लोजानाइड (1 ग्राम प्रति 100 किलो ग्राम पशु वजन के लिए) का प्रयोग करें। ध्यान रखें कि दवा सुबह भूखे/खाली पेट में खिलायी/पिलायी जानी चाहिए। इस दवा का उपयोग पशुओं के गर्भावस्था के दौरान भी बिना किसी विपरीत प्रभाव के किया जा सकता है।
  • जहाँ तक संभव हों पशु चिकित्सक की सलाह लेकर ही पशुओं को दवा देनी चाहिए।
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मध्यप्रदेश में अब खुलेगी निजी मंडी, किसानों को होगा इससे फायदा

Private mandis will now open in Madhya Pradesh, farmers will benefit from this

आमतौर पर किसानों के पास अपनी उपज बेचने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं और उन्हें सरकारी मंडियों में ही अपना उत्पादन बेचने को मजबूर होना पड़ता है। मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की इसी परेशानी को समझा और प्रदेश में निजी मंडी खोले जाने का रास्ता साफ़ कर दिया है।

इस बाबत प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा कि है की “अब निर्यातक, व्यापारी, फूड प्रोससेसर आदि निजी मंडी को खोल सकते हैं और किसान की ज़मीन या उसके घर जाकर कृषि पैदावार को ख़रीद सकते हैं।” बता दें की मंडी नियमों में किये गए इस संशोधन का मकसद किसानों को बेहतर कीमतों और अपनी इच्छा अनुसार अपनी उपज की बिक्री करने की स्वतंत्रता प्रदान करना है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि सिर्फ एक लाइसेंस से ऐसी निजी मंडियों को किसानों की उपज खरीदने का अधिकार मिल जाएगा। इसके बाद वे पूरे राज्य से खरीदी कर सकेंगे। इस फैसले के बाद अब मध्य प्रदेश में किसान के पास अपनी उपज बेचने के लिए ज्यादा विकल्प होंगे और इसके लिए उन्हें मंडी के चक्कर लगाने की भी आवश्यकता नहीं होगी।

स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस

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