बी.टी. कपास में रिफ्यूजिया का क्या है महत्व

Importance of Refugia in BT Cotton
  • भारत सरकार की अनुवांशिक अभियांत्रिकी अनुमोदन समिति (जी. ई.ए.सी.) की अनुशंसा के अनुसार कुल बी.टी. क्षेत्र का 20 प्रतिशत अथवा 5 कतारें मुख्य फसल के चारों उसी किस्म का नॉन बी.टी. वाला बीज (रिफ्यूजिया) लगाना अत्यंत आवश्यक है।
  • प्रत्येक बी.टी. किस्म के साथ उसका नान बी.टी. (120 ग्राम बीज) या अरहर का बीज उसी पैकेट के साथ आता है।
  • बी.टी. किस्म के पौधों में बेसिलस थुरेनजेसिस नामक जीवाणु का जीन समाहित रहता जो कि एक विषैला प्रोटीन उत्पन्न करता हैं। इस कारण इनमें डेन्डू छेदक (बॉल वर्म) कीटों से बचाव की क्षमता विकसित होती हैं।
  • रिफ्यूजिया कतार लगाने पर डेन्डू छेदक कीटों का प्रकोप उन तक ही सीमित रहता हैं और यहाँ उनका नियंत्रण आसान होता हैं।
  • यदि रिफ्यूजिया नहीं लगाते तो डेन्डू छेदक कीटों में प्रतिरोधकता विकसित हो सकती हैं ऐसी स्थिति में बीटी किस्मों की सार्थकता नहीं रह जाएगी।
Share

म.प्र. में मंडी अधिनियम बदला, किसानों के लिए खुले नए विकल्प, बिचौलियों से मिला छुटकारा

Private mandis will now open in Madhya Pradesh, farmers will benefit from this

किसानों के पास अपनी उपज को बेचने के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं होते हैं और उन्हें सरकारी मंडियों में ही अपना उत्पादन बेचने को मजबूर होना पड़ता है। इस कारण कई बार उन्हें अपनी उपज के लिए अच्छा दाम भी नहीं मिल पाता है। मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की इन्हीं परेशानियों को समझ कर अब निजी क्षेत्र में मंडियां और नए खरीदी केंद्र आरंभ करने की घोषणा की है। इस घोषणा के साथ साथ अब प्रदेश में मंडी अधिनियम भी बदल गया है।

मंत्रालय में मंडी नियमों में संशोधन पर चर्चा के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘किसान भाइयों को उनकी फसल का सही मूल्य दिलाना सरकार का कर्तव्य है। ऐसा करने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इससे दलालों और बिचौलियों से किसानों को छुटकारा भी मिलेगा। किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए कई विकल्प मिलेंगे। किसान जहां चाहेगा वहां अपनी सुविधानुसार फसल बेच सकेगा।’

स्रोत: मध्यप्रदेश कृषि मंत्रालय

Share

शाकनाशी (चारामार) रसायनों का प्रयोग करते समय रखें ये सावधानियाँ

These precautions to be taken while using herbicide
  • उचित नोजल फ्लड जेट या फ्लैट फैन का ही उपयोग करना चाहिए।
  • शाकनाशी रसायनों की उचित मात्रा का ही प्रयोग करना चाहिए। यदि संस्तुति दर से अधिक शाकनाशी का प्रयोग किया जाता है तो खरपतवारों के अतिरिक्त फसल को भी क्षति पहुँच सकती है।
  • शाकनाशी रसायनों को उचित समय पर छिड़कना चाहिए। अगर छिड़काव समय से पहले या बाद में किया जाता है तो लाभ की अपेक्षा हानि की संभावना रहती है।
  • शाकनाशी रसायनों का घोल तैयार करने के लिए रसायन व पानी की सही मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
  • एक ही रसायन का बार-बार फसलों पर छिड़काव न करें बल्कि बदल-बदल कर करें अन्यथा खरपतवारों में लगातार उपयोग में लाने वाले शाकनाशी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो सकती है।
  • छिड़काव के समय मृदा में पर्याप्त नमी होना चाहिए तथा पूरे खेत में छिड़काव एक समान होना चाहिए।
  • छिड़काव के समय मौसम साफ़ होना चाहिए।
  • यदि दवा इस्तेमाल से ज्यादा ख़रीद ली गई है तो उसे ठंडे, शुष्क एवं अंधेरे स्थान पर रखें तथा ध्यान रखें कि बच्चे एवं पशु इसके सम्पर्क में न आये।
  • प्रयोग करते समय ध्यान रखिए कि रसायन शरीर पर न पड़े। इसके लिए विशेष पोशाक दस्ताने, चश्में का प्रयोग करें अथवा उपलब्ध न होने पर हाथ में पॉलीथीन लपेट लें तथा चेहरे पर गमछा (तौलिया) बांध लें।
  • प्रयोग के पश्चात खाली डिब्बों को नष्ट कर मिट्टी में दबा दें। इसे साफ़ कर इसका प्रयोग खाद्य पदार्थों को रखने के लिए कतई न करें।
  • छिड़काव समाप्त होने के बाद दवा छिड़कने वाले व्यक्ति साबुन से अच्छी तरह हाथ व मुँह अवश्य धो लें।
Share

अगेती फूलगोभी की उन्नत किस्में, बीज दर, बुआई समय आदि की जानकारी

Know about Early Cauliflower improved varieties, seed rate, sowing time
  • फूलगोभी की अगेती किस्में जैसे-पूसा कार्तिक संकर, पूसा दीपाली, पूसा कार्तिकी, पूसा अश्वनी, पूसा मेघना आदि प्रमुख है।
  • संकर फूलगोभी किस्मों के लिए 150 ग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से पर्याप्त होता है।
    फूलगोभी की अगेती बुआई का समय मध्य मई से जून के मध्य तक होता है जिसकी रोपाई 5-6 सप्ताह बाद की जाती है।
  • बुआई के पूर्व बीजों को 2 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5% WP प्रति कि.ग्राम की दर या ट्राईकोडर्मा विरिडी 5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
  • बीजो की बुआई क्यारियों में की जाती है। क्यारियों का आकार 3 x 6 मीटर होना चाहिए, जो ज़मीन से 10 से 15 सेंटीमीटर ऊपर उठी हुई हो।
  • दो क्यारियों के बीच की दूरी 70 सेंटीमीटर होनी चाहिये। जिससे अन्तरसस्य क्रियाएं आसानी से की जा सके।
  • नर्सरी की क्यारियों की सतह भुरभुरी एवं समतल होनी चाहिये।
  • भारी भूमि में ऊँची क्यारियों का निर्माण करके जल भराव की समस्या को दूर किया जा सकता है।
  • नर्सरी के लिए क्यारियों को बनाते समय गोबर की खाद 8-10 किलो प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिला दें।
Share

अब कृषि क्रांति की तरफ बढ़ेगा भारत, वित्तमंत्री ने किये बड़े कृषि सुधारों के ऐलान

Aatm Nirbhar Bharat Package 2 lakh crore gift to farmers, Finance Minister announced

पीएम मोदी ने कोरोना त्रासदी से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रूपये की घोषणा की थी। पिछले तीन दिनों से केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा इस पैकेज से जुड़ा हर ब्योरा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में पिछले दो दिनों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो घोषणाएँ की हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है की देश एक नए कृषि क्रांति की तरफ बढ़ने वाला है।

पिछले दो दिनों में वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र को लेकर कई सकारात्मक घोषणाएँ की हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को उन्होंने देश में कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए एक लाख करोड़ रूपये की घोषणा की है। कृषि क्षेत्र के लिए 2 लाख करोड़ रुपये के रियायती कर्ज से जुड़ा ऐलान उन्होंने गुरुवार को ही कर दिया था।

आइये समझते हैं कल की घोषणाओं में क्या था ख़ास?

  • सब्जी आपूर्ति के लिए सरकार ऑपरेशन ग्रीन के अंतर्गत किसानों को लाभ प्रदान करेगी। इसमें कृषि उत्पादों के भंडारण, पैकेजिंग, ब्रांडिंग का काम किया जाएगा।
  • हर्बल खेती पर होगा जोर, इसके लिए सरकार ने 4 हजार करोड़ रुपए की योजना का ऐलान किया है।
  • किसानों को अतिरिक्त आय दिलाने के लिए सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए की योजना पेश की है। इससे 2 लाख मधुमक्खी पालकों को लाभ होगा।
  • पशुपालन इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए करीब 15 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार।
  • सरकार डेयरी सेक्टर के अंतर्गत लिए गए ऋण के ब्याज पर 2% की छूट देगी जिससे लाखों- करोड़ों किसानों को फायदा होगा।
  • मछली पालन के क्षेत्र में सरकार 20 हजार करोड़ रुपए की बड़ी आर्थिक मदद देगी।
  • सरकार ने फसल बीमा के लिए भी 64 हजार करोड़ रुपए का ऐलान किया है।
  • फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भी सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया है।
  • बहरहाल वित्त मंत्री ने यह भी कहा है की अभी कृषि क्षेत्र से जुड़े और भी ऐलान होने बाकी हैं।
Share

मिर्च की नर्सरी में खरपतवार का प्रबंधन

How to choose a location for planting chili nursery
  • खरपतवारों का यदि उचित समय पर नियंत्रित नहीं किया जाए तो यह सब्जियों की उपज एवं गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
  • खरपतवारों की वजह से 50-70 प्रतिशत तक हानि हो सकती है।
  • खरपतवार मिर्ची के उत्पादन को कई तरह से प्रभावित करते हैं जैसे संक्रमण फैलाने वाले कीट एवं फफूंद को आश्रय देते हैं।
  • मिर्च के बीजों की बुआई के 72 घंटों के भीतर 3 मिली पेंडीमेथालिन 38.7 CS प्रति लीटर पानी में मिलाकर मिट्टी में छिड़काव कर देना चाहिए।
  • समय समय पर खरपतवार उग जाने पर हाथों से ही उखाड़ कर नर्सरी को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए।
Share

क्या है मिट्टी सौर्यीकरण (सोलेराइजेशन) की प्रक्रिया, जानें इसका महत्व

Soil Solarization Process and Importance
  • गर्मी में जब तेज धूप और तापमान अधिक हो (25 अप्रैल से 15 मई) तब मिट्टी सोलेराइजेशन का उत्तम समय होता है।
  • सर्वप्रथम मिट्टी को पानी से गीला करें, या पानी से संतृप्त करें।
  • इन क्यारियों को पारदर्शी 200 गेज (50 माइक्रोन) पॉलीथीन शीट से ढक कर गर्मियों में 5-6 सप्ताह के लिए फैला कर उसके चारों तरफ के किनारों को मिट्टी से अच्छी तरह से दबा दिया जाता है ताकि हवा अंदर प्रवेश ना कर सके।
  • इस प्रक्रिया में सूर्य की गर्मी से पॉलीथिन शीट के नीचे मिट्टी का तापमान सामान्य की अपेक्षा 8-10 डिग्री सेन्टीग्रेट बढ़ जाता है। जिससे क्यारी में मौजूद हानिकारक कीट, रोगों के बीजाणु तथा कुछ खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते हैं।
  • 5-6 सप्ताह बाद पॉलीथीन शीट को हटा देना चाहिए।
  • यह विधि नर्सरी के लिए बहुत ही लाभदायक एवं कम खर्चीली होती है और इससे विभिन्न प्रकार के खरपतवार के बीज/प्रकन्द (कुछ को छोड़कर जैसे मोथा एवं हिरनखुरी इत्यादि) नष्ट हो जाते हैं।
  • परजीवी खरपतवार ओरोबंकी, सूत्रकृमि एवं मिट्टी से होने वाली बीमारियों के जीवाणु इत्यादि भी नष्ट हो जाते हैं। यह विधि काफी व्यवहारिक एवं सफल है।
  • इस तरह से मिट्टी में बिना कुछ डाले मिट्टी का उपचार किया जा सकता है।
Share

आत्मनिर्भर भारत पैकेज: किसानों के लिए 2 लाख करोड़ की सौगात, वित्तमंत्री ने की घोषणा

Aatm Nirbhar Bharat Package 2 lakh crore gift to farmers, Finance Minister announced

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत किस क्षेत्र को लिए कितने पैसे दिए जाएंगे इसकी घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की है। इस दौरान उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए 2 लाख करोड़ रुपये के रियायती कर्ज के साथ कई अन्य घोषणाएँ भी की।

वित्त मंत्री ने बताया की तीन करोड़ छोटे किसान को पहले ही कम ब्याज दर पर चार लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया जा चुका है। 25 लाख नये किसान क्रेडिट कार्डधारकों को 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया गया है। उन्होंने बताया की मार्च और अप्रैल महीने में 63 लाख लोगों के लिये 86,000 करोड़ रुपये मूल्य के ऋण मंज़ूर किये गये।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया की किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ अब फिशरमैन और एनिमल हसबैंड्री फार्मर्स भी उठा पाएंगे। साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 2 लाख करोड़ रुपये का रियायती कर्ज देने की भी घोषणा की गई।

इसके साथ ही किसानों के लिए 30 हजार करोड़ की अतिरिक्त सुविधा (अडिशनल इमर्जेंसी वर्किंग कैपिटल) की घोषणा भी की गई है जिससे 3 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा और इसकी फंडिंग NABARD बैंक करेगा।

रूरल इकॉनमी को मज़बूती प्रदान करने के लिए रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड के अंतर्गत राज्यों को 4200 करोड़ रुपये देने की भी बात की गई है। इसके अलावा उन्होंने बताया की “फसली लोन पर रीपेमेंट में राहत देते हुए 1 मार्च को पेमेंट वाले लोन पर रीपेमेंट की तारीख 31 मई तक के लिए बढ़ा दी गई है। 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं, जिसकी लोन लिमिट 25 हजार करोड़ रुपये है।”

स्रोत: नवभारत टाइम्स

Share

कपास की फसल में खरपतवार से होता है नुकसान, ऐसे करें प्रबंधन

Weed Management in Cotton Crop
  • रसायनों द्वारा खरपतवार नियंत्रण के लिए अंकुरण से पहले (बुआई के 72 घंटों के भीतर) 700 मिली पेन्डीमेथालीन 38.7 CS या पेन्डीमेथालीन 30% EC को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में छिड़काव करें।
  • पहली निराई- गुड़ाई फसल अंकुरण के 25 से 30 दिन के अंदर कोल्पा या डोरा चला कर करें।
  • 2-3 पत्ती वाले खरपतवार होने पर पायरिथियोबेक सोडियम 6% EC + क्यूजालोफोप एथिल 4% 5 EC 350 मिली प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ के खेत में छिड़काव करें। खेत में नमी अवश्य होनी चाहिए।
  • फसल में संकरी पत्ती वाले खरपतवार दिखाई देने पर क्यूजालोफोप एथिल 5% EC @ 400 मिली या प्रोपाकिजाफाप 10% EC @ 300 मिली प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ के खेत में छिड़काव करें।
  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के नियंत्रण हेतु फसल के 1.5 फीट का होने पर हुड लगाकर फसल को बचाते हुए मिट्टी की सतह पर पैराक्वाट डाईक्लोराइड 24% SL @ 500 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर साफ पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह एक नॉन-सेलेक्टिव खरपतवार नाशी हैं।
Share

मूंग की फसल में फली छेदक (इल्ली) नियंत्रण के साथ दानों का आकार कैसे बढ़ाएं?

मूंग की फसल को फली छेदक (इल्ली) के कारण नुकसान हो सकता है अतः इसका नियंत्रण करें। इसके नियंत्रण के साथ दानों का आकार बढ़ाने के लिए इन उपायों को अपनाएं?

  • यह इल्ली हरे-भूरे रंग की दिखाई देती है, और इसके शरीर पर गहरे भूरे रंग की धारियाँ होती है।
  • फली छेदक (इल्ली) का सिर फली में अंदर घुसा रहता जो फली में छेद कर नुकसान पहुँचाता है।
  • इल्ली नियंत्रण हेतु क्लोरट्रानिलीप्रोल 18.5 SC 60 मिली/एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। या
  • कीट रोकथाम के लिए इमामेक्टीन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम + बिवेरिया बेसियाना 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • दानों का आकार बढ़ाने के लिए 1 किलो सल्फर ऑफ पोटाश-0:0:50 उर्वरक इस छिड़काव के साथ मिलाकर उपयोग करें।
Share