- किसी भी फसल से अच्छे उत्पादन की प्राप्ति के लिए फसल में कवक जनित रोगों को नियंत्रण करना बहुत आवश्यक होता है।
- कवक जनित रोगों की रोकथाम में ‘सावधानी ही सुरक्षा है’ का मूल मंत्र काम करता है। इस रोग के प्रकोप होने से पहले उपचार करना बहुत आवश्यक है। अर्थात इसके लिए बुआई के पूर्व ही नियंत्रण करना बहुत आवश्यक होता है।
- सबसे पहले बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।
- मिट्टी उपचार बाद बीजो को कवक रोगों से बचाव के लिए कवक नाशी से बीज़ उपचार करना बहुत आवश्यक है।
- बुआई के 15-25 दिनों में कवकनाशी का छिड़काव करें जिससे की फसल को अच्छी शुरुआत मिल जाए एवं जड़ों विकास अच्छे से हो जाए।
- इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में हर 10 से 15 दिनों में छिड़काव करते रहें।
करेले की फसल में लाल भृंग कीट का नियंत्रण
- इस कीट के अंडे से निकले हुये ग्रब जड़ों, भूमिगत भागों एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते है उनको खाता है।
- इनसे प्रभावित पौधे के संक्रमित भागों पर मृतजीवी फंगस का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्व फल व लताएँ सुख जाती हैं।
- ये पत्तियों को खाकर उनमें छेद कर देते हैं। पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण होने पर यह मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुँचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते हैं।
- गहरी जुताई करने से भूमि के अंदर उपस्थित प्यूपा या ग्रब ऊपर आ जाते हैं और सूर्य की किरणों के सम्पर्क में मर जाते हैं।
- इससे बचाव के लिए बीजो के अंकुरण के बाद पौध के चारों तरफ भूमि में कारटाप हाईड्रोक्लोराईड 4G@ 7.5 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
- इसके अलावा आपक प्रोफेनोफोस 40 % + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS@ 200 मिली/एकड़ की दर से भी छिड़काव में उपयोग कर सकते हैं।
- जैविक उपचार के रूप बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करे या मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
बैंगन की फसल में छोटी पत्ती रोग से बचाव के उपाय
- यह एक विषाणु जनित रोग है जो लीफ हॉपर के कारण होता है।
- यह छोटी पत्ती रोग बैगन की फसल में भारी आर्थिक नुकसान का कारण बनती है।
- जैसा कि नाम से समझ आता है, इस रोग के लक्षणों में बैगन की फसल के पेटीओल्स का आकार छोटा रह जाता है।
- पत्तियों का आकार भी इसके कारण बहुत छोटा रह जाता है। इसके अलावा पेटीओल्स इतने कम होते हैं कि पत्तियां तने से चिपकी हुई लगती है।
- इससे बचाव के लिए एसिटामिप्रीड 20% SP@ 80 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@100 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
पीएम किसान योजना से मिलेगा किसान क्रेडिट कार्ड, किसान ले सकेंगे सस्ते लोन
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम के जरिए अब आप पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा आसानी से किसान क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं। इस योजना के जरिए आत्मनिर्भर भारत के तहत 1.5 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं और इनके खर्च की सीमा 1.35 लाख करोड़ रुपये है।
कृषि मंत्रालय के मुताबिक कुल 2 लाख करोड़ रुपये तक की खर्च सीमा के 2.5 करोड़ केसीसी जारी किए जाएंगे। इससे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के सभी लाभार्थियों को केसीसी का भी फायदा मिलेगा। इस कार्ड के जरिए 3 लाख रुपये तक का कर्ज खेती के लिए लिया जा सकता है और ये कर्ज 4 प्रतिशत की बहुत कम दर से मिलता है।
स्रोत: न्यूज 18
Shareभिंडी की फसल में सफ़ेद मक्खी के लक्षण एवं नियंत्रण
- इस कीट का शिशु एवं वयस्क दोनों ही रूप भिंडी की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।
- ये पत्ती की कोशिकाओं का रस चूसकर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं एवं पौधे पर उत्पन्न होने वाली काली कवक नामक हानिकारक कवक के संक्रमण का कारण भी बनते हैं।
- इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में भिंडी की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है। फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण से पौधों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।
- प्रबंधन:- इस कीट के निवारण के लिए डायफेनथुरोंन 50% SP@ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामाइड 50% WG @ 60 मिली/एकड़ या एसिटामेप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10% EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
आलू की फसल में बुआई के समय ऐसे करें पोषण प्रबंधन
- आलू की फसल से अच्छे उत्पादन की प्राप्ति के लिए पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता पड़ती है।
- आलू की फसल कन्द वाली फसल होती है इसी कारण आलू की फसल बहुत अधिक मात्रा में पोषक तत्व ग्रहण करती है।
- अत: पौधे की अच्छी बढ़वार एवं अधिक उत्पादन के लिए उपयुक्त समय एवं उचित मात्रा में खाद प्रबंधन बहुत ही आवश्यक होता है।
- बुआई के पहले मिट्टी उपचार के रूप में एसएसपी @ 200 किलो/एकड़ + DAP @75 किलो/एकड़ + DAP (बिना एसएसपी के) @ 150 किलो/एकड़ + पोटाश@ 75 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- बुआई समय पोषण प्रबंधन के लिए यूरिया (एसएसपी के साथ) @ 60 किलो/एकड़ + यूरिया (एसएसपी के बिना) @ 45 किलो/एकड़ की दर से खाली खेत में भुरकाव करें।
- इन सभी पोषक तत्वों के साथ ग्रामोफ़ोन की पेशकश “आलू समृद्धि किट” का उपयोग आलू की फसल के पोषण प्रबंधन लिए किया जा सकता है। इस किट का उपयोग मिट्टी उपचार के लिए किया जाता है।
अगर नहीं आई है पीएम किसान योजना की क़िस्त तो ऐसे जानें अपना स्टेटस
अगर आपने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत आवेदन किया है और अब तक बैंक अकाउंट में आपकी क़िस्त के पैसे नहीं आये हैं तो इसका कारण आप खुद जान सकते हैं। अपने पीएम किसान स्कीम का स्टेटस जानने के लिए आपको ऑनलाइन पीएम किसान पोर्टल पर जाना होगा।
पीएम किसान पोर्टल पर जाकर कोई भी किसान भाई अपना आधार, मोबाइल और बैंक खाता नंबर दर्ज करके योजना से संबंधित अपने स्टेटस की जानकारी ले सकता है। अगर आपका भी पैसा आपके खाते में अभी तक नहीं पहुंचा है इस लिंक? https://pmkisan.gov.in/ पर जाकर इसके कारणों का पता लगाएं।
इस योजना के अंतर्गत अभी तक अगर आपने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है तो इसी किसान पोर्टल के माध्यम से आप अपना रजिस्ट्रेशन खुद कर सकते हैं और योजना का लाभ ले सकते हैं।
स्रोत: न्यूज 18
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मटर की फसल में हो जाए लीफ माइनर का प्रकोप तो ऐसे करें नियंत्रण
- लीफ माइनर के वयस्क रूप गहरे रंग के होते हैं।
- यह कीट मटर की पत्तियों पर आक्रमण करता है।
- इसके कारण पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती हैं। यह धारियाँ इल्ली के द्वारा पत्ती के अंदर सुरंग बनाने के कारण बनती हैं।
- इसके कारण पौधे की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते हैं।
- इस कीट से ग्रसित पौधों में फल एवं फूल लगने की क्षमता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
- इससे बचाव के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मुख्य खेत में प्याज़ की रोपाई के समय ऐसे करें प्याज़ समृद्धि किट का उपयोग
- ग्रामोफ़ोन की पेशकश प्याज़ समृद्धि किट का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है।
- इस किट की कुल मात्रा 3.2 किलो है और यह मात्रा एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
- इसका उपयोग यूरिया, DAP में मिलाकर किया जा सकता है।
- इसका उपयोग 50 किलो पकी हुई गोबर की खाद, या कम्पोस्ट या मिट्टी में मिलाकर कर सकते हैं।
- इसके उपयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
- अगर बुआई के समय इस किट का उपयोग नहीं कर पाए हैं तो बुआई बाद 15-20 दिनों के अंदर इसका उपयोग मिट्टी में भुरकाव के रूप में कर सकते हैं।
लहसुन की फसल में बुआई के बाद 15 दिनों में पोषण प्रबंधन
- लहसुन की फसल से अच्छे उत्पादन की प्राप्ति के लिए बुआई के 15 दिनों के अंदर पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- इस समय पोषण प्रबंधन करने से लहसुन की फसल को अच्छी शुरुआत मिलती है और जड़ों का विकास बहुत अच्छा होता है।
- लहसुन की फसल में रोग के प्रति प्रतिरोधी क्षमता उत्पन्न करने में भी यह लाभकारी होती है।
- इस समय पोषण प्रबंधन करने के लिए यूरिया @ 25 किलो/एकड़ + ज़िंक सल्फेट @ 5 किलो/एकड़ + सल्फर 90% @ 10 किलो/एकड़ की दर से भूमि उपचार के रूप में उपयोग करें।
- पोषण प्रबंधन करते समय इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी जरूर बनी रहे।