नाम:- सुरेश वर्मा
गाँव:- कनारदी
तहसील:- तराना
जिला:- उज्जैन
समस्या:- टमाटर की नर्सरी में पत्ती झुलसा रोग|
नियंत्रण:- मेटॉलेक्ज़ील 8% + मेंकोजेब 64% @ 50 ग्राम का स्प्रे करें |
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नाम:- सुरेश वर्मा
गाँव:- कनारदी
तहसील:- तराना
जिला:- उज्जैन
समस्या:- टमाटर की नर्सरी में पत्ती झुलसा रोग|
नियंत्रण:- मेटॉलेक्ज़ील 8% + मेंकोजेब 64% @ 50 ग्राम का स्प्रे करें |
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Shareसहकारी खेती किसानों की आय को बढ़ा सकती है:-
सहकारी खेती एक संगठन को संदर्भित करती है जिसमें प्रत्येक सदस्य-किसान व्यक्तिगत रूप से अपनी भूमि का मालिक बना रहता है। लेकिन खेती संयुक्त रूप से की जाती है। सदस्य-किसानों के बीच लाभ उनके स्वामित्व वाली भूमि के अनुपात में वितरित किया जाता है। मजदूरी सदस्य-किसानों के बीच काम किए गए दिनों की संख्या के अनुसार वितरित की जाती है|
“आज किसान (कृषि सम्बंधित सामान) खुदरा दर पर खरीदते हैं और थोक मूल्य पर (उनकी उपज) बेचते हैं। क्या इसे उलट किया जा सकता है? अगर वे थोक दरों पर (इनपुट) खरीदते हैं और खुदरा मूल्य पर बेचते हैं, तो कोई भी उन्हें लूट नहीं सकता, यहां तक कि बिचौलिये भी नहीं|
फायदे :-
“हम एक व्यक्ति के मुकाबले एक समूह के रूप में मजबूत होते हैं। सहकारी और सामुहिक तरीके से सोचें, स्थानीय खाद्य केंद्र स्थापित करें और समुदायों को बनाएं।”
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Shareनाम:- मनीष चौधरी
गाँव:- सिलोटिया
जिला:- इंदौर
राज्य:- मध्य प्रदेश
किसान भाई मनीष जी फूलगोभी की खेती ग्रामोफोन के मार्गदर्शन में कर रहे हैं |
Shareमिर्च में फल सडन एवं डायबेक रोग:-इसके लक्षण फुल आने पर नजर आते है पत्ती पर काले धब्बे नजर आते है और पौधा बीच में से टूट जाता है| फुल सुख जाते है तथा पौधा ऊपर से नीचे सूखने लगता है|
नियंत्रण:- रोग पर अच्छे नियंत्रण के लिए थायोफिनेट मिथाईल 70% @ 30 ग्राम/पंप या हेक्साकोनाज़ोल 5 % +केपटान 70% WP @ 25 ग्राम/पम्प का स्प्रे करें | पहला स्प्रे फुल आने से पहले, दुसरा फल बनाने लगे तब तथा तीसरा स्प्रे दुसरे के 15 दिन बाद करें |
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Shareपीला मौजेक वायरस :- पीला मौजेक वायरस मुख्य रूप से खरीफ मौसम में सोयाबीन, उड़द, मूग व कुछ अन्य फसलो में भी होता हैं | सोयाबीन, उड़द आदि फसलो में रोग के प्रकोप से काफी नुकसान होता हैं | इससे पैदावार पर बुरा प्रभाव होता हैं, यह रोग 4-5 दिनों में पुरे खेत में फ़ैल जाता हैं और फसल पीली पड़ने लगती हैं रोग फैलाने मे मुख्य भूमिका सफ़ेद मक्खी की होती हैं |
रोग फेलने के मुख्य कारण :-
रोग के लक्षण :-
रोकथाम के उपाय :-
यांत्रिक विधि :-
जैविक विधि :-
रासायनिक विधि :-
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नाम:- सचिन ठाकुर
ग्राम:- दिलावरा
जिला:-धार
समस्या:- पत्ता गोभी में ईल्ली
सुझाव:- एमामेक्टीन बेंजोएट 15 ग्राम + प्रोफेनोफास 30 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करे |
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कद्दु की खेती के लिये उपयुक्त जलवायु:-
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Shareमिर्च की रोपाई का समय:-
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Shareसोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण
1.यांत्रिक विधिया ( श्रमिकों से निंदाई एवं डोरा ):-सोयाबीन में 20-25 दिन तथा 40 -45 दिनों में दो बार निंदाई करना आवश्यक हें | सुविधानुसार फसल में डोरा कुलपा बोवनी से 30 दिन, पहले तक करना चाहिए उपयोग के समय यह सावधानी रखनी चाहिए की पौधो की जड़ो को नुकसान नही हो |
2.खरपतवार नाशक रसायनो का उपयोग :- खरपतवार नाशक दवा की अनुशंसित मात्रा को 700 -800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें| यन्त्र में फ्लेट पेन या फ्लड जेट नोजल लगाकर प्रयोग करें | नमीयुक्त भूमि पर ही छिडकाव करना चाहिए सोयाबीन की फसल हेतु अनुशंसित खरपताबर नाशक रसायनो में से किसी एक का ही प्रयोग करे एवं प्रत्येक वर्ष रसायन बदल कर प्रयोग करें |
सोयाबीन की फसल में अनुशंसित खरपतवार
प्रयोग का समय | रासायनिक नाम | मात्रा/ हे |
बोवनी के पूर्व | 1 फ्लुक्लोरालीन | 2.2 लीटर |
2 ट्राईफ्लुरालीन | 2.0 लीटर | |
बोवनी के तुरन्त बाद | 1 मेटालोक्लोर | 2 लीटर |
2 क्लोमाझोन | 2 लीटर | |
3 पेंडीमेथालीन | 3.25 लीटर | |
4 डाक्लोरोसुलन | 26 ग्राम | |
बोवनी के 10-15 दिन बाद | 1 क्लोरोम्युरान इथाइल | 36 ग्राम |
बोवनी के 15-20 दिन बाद | 1 इमेझेथापर | 1 लीटर |
2 क्बिज़ेलोफाप इथाइल | 1 लीटर | |
3 फेनाक्सीफ्रोप इथाइल | 0.75 लीटर | |
4 प्रोपाक्विजाफोप | 0.75 लीटर |
source:- https://iisrindore.icar.gov.in/
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Shareसोयाबीन का बीज उपचार :- सोयाबीन बीज को बोवनी के पहले कार्बाक्सिन 37.5% + थायरम 37.5 WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेन्कोजेब 63% WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या थायोफिनेट मिथाईल 45%+ पायराक्लोस्ट्रोबीन 5% FS 200 मिली प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें| उसके बाद कीटनाशक ईमिडाक्लोरप्रिड 30.5% SC 100 मिली प्रति क्विंटल या थायमेथोक्साम 30% FS 250 मिली प्रति क्विंटल बीज का उपचार करने से रस चुसक कीट के 30 दिन तक सुरक्षा मिलती है |
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