Sowing and sowing time of Chickpea (Gram)

  • असिचिंत क्षेत्रों में चने की बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में कर देनी चाहिये। जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा हो वहाँ पर बुवाई 30 अक्टूबर तक अवश्य कर देनी चाहिये।
  • फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत में प्रति इकाई पौधों की उचित संख्या होना बहुत आवश्यक है। पौधों की उचित संख्या के लिए आवश्यक बीज दर व पंक्ति से पंक्ति एवं पौधे से पौधे की उचित दूरी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है|
  • बारानी खेती के लिए 80 कि.ग्रा. तथा सिंचित क्षेत्र के लिए 60 कि.ग्रा. बीज की मात्रा प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होती है।
  • बारानी फसल के लिए बीज की गहराई 7 से 10 से.मी. तथा सिंचित क्षेत्र के लिए बीज की बुवाई 5 से 7 से.मी. गहराई पर करनी चाहिये। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 से 50 से.मी. पर रखनी चाहिये।

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Irrigation in Gram

चने में सिंचाई:-

  • चना में भारी सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • कुछ क्षेत्रो में दो सिंचाई शाखाएं निकलते समय ( फुल आने से पहले ) एवं फली बनते समय देने से अधिक उपज प्राप्त हुई है लेकिन एक सिंचाई शाखाएं निकलते समय (फुल आने से पहले ) देने से इष्टतम उपज में वृद्धि होती है |

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Suitable soil for Gram

चना भारत में विस्तृत तरह की मिट्टी पर उगाया जाता है। हालांकि रेतीले चिकनी मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में इस तरह की मिटटी में चना लगता है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में, काली कपास की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। बेहतर विकास के लिए मिटटी को अच्छी तरह से सूखा और बहुत भारी नहीं होना चाहिए। भारी मिट्टी में पानी को सोखने की क्षमता होती है जिससे पौधों में भारी वनस्पति विकास हो जाता है और सूर्य की रौशनी कम मिलने के कारन फ्रूटिंग घट जाती है। ध्यान रखें मिटटी में नमक की मात्रा काम हो और pH 6.5 – 7.5 के बीच हो।

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Seed Treatment of Chickpea (Gram)

चने का बीज उपचार:-

  • चने को बुआई से पहले फफुद जनित बिमारियों जैसे जड़ सडन, कोलर सडन एवं पाद गलन से बचने के लिए कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% या कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% 2 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए |

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Weed management in Onion

प्याज में खरपतवार नियंत्रण:-पेंडिमेथालीन @ 100 मिली. / 15 लीटर पानी या ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC @ 15 मिली. / 15 लीटर पानी का उपयोग रोपाई के 3 दिनों के बाद प्याज में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए सिफारिश की जाती है, इसके साथ ही खरीफ की फसल में रोपाई के 25-30 दिनों के बाद और रबी फसल में रोपण के 40-45 दिन बाद एक हाथ से निदाई करे । रबी मौसम के दौरान चावल का भूरा घास या गेहूं पुआल का उपयोग मल्चिंग के रूप में करने से उपज बढ़ाने के लिए सिफारिश की गई है। ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC 1 मिलीलीटर / ली.पानी + क्विजलॉफॉप एथाइल 5% ईसी @ 2 मिलीलीटर / लीटर पानी का संयुक्त छिडकाव रोपाई के बाद 20-25 दिन में और 30-35 दिन होने पर करने से खरपतवार का अच्छा नियंत्रण और अधिक उपज मिलती है|

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Prevention of Fusarium Wilt in Gram

चने में उकठा रोग फ्यूजेरियम ओक्सीस्पोरस फफुद के कारण होता है गर्म व नमी वाला वातावरण इसके लिए अनुकूल होता है इस बीमारी के रोकथाम के लिए निम्न सावधानिया रखनी पड़ती है |:-
• छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
• मानसून में खेत की नमी को संरक्षित करे |
• गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
• रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
• रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
• कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे|
• जब तापमान अधिक हो जब बुआई ना करे| अक्टूबर के दुसरे व तीसरे सप्ताह में बुआई करे |
• सिचाई नवम्बर-दिसम्बर में करे |

 

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Fertilizer and Manure in Onion

गोबर की खाद 15-20 टन / हेक्टयर की दर से भुमि की तैयारी के समय मिलाये | नाईट्रोजन 120 किलो/. हे. फास्फोरस 60 किलों प्रति हे. पोटाश 75 किलो /हे.
20 किलो सल्फर, 10 किलो बोरेक्स एवं 10-15 किलो जाईम देने से उपज एवं गुणवत्ता बढती है |

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Pea seed rate and sowing

मटर की बीजदर तथा बुवाई:- बीज दर :- अगेती के लिए – 100 से 120 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिये| मध्य तथा देर के लिए 80-90 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिये| बीजोपचार: बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करके बोने से मटर की अधिक उपज मिलाती है| भूमि उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि होती है| बुवाई से पहले बीज को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन कर लेना चाहिएI बोने का समय:- इसकी बुआई अक्टूवर से नवम्बर महीने के बीच की जाती है|

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Seed and Nursery Bed Treatment in Onion

बुआई के पहले, प्याज के बीज को थायरम @ 2 ग्राम/किलो बीज के अनुसार उपचारित करना चाहिए जिससे पाद गलन रोग से बचा जा सकता है | नर्सरी की मिट्टी को थायरम या केप्टान @ 4-5 ग्राम/ मी वर्ग क्षेत्र से उपचारित करना चाहिए | बुआई के 15-20 दिन पहले क्यारियों की सिचाई कर के सोरयीकरण के लिए उन्हें 250 गेज के पारदर्शी पॉलीथीन से ढक देना चाहिए | पाद्गलन के प्रबंध एवं स्वस्थ पौध उगने के लिए ट्रायकोड्रमा विरिडी @ 1250 ग्राम/ हेक्टेयर की दर से देने की अनुशंसा की जाती है |

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