Potash Deficiency and Their Control in Cotton

कपास में पोटाश की कमी एवं निदान :-

फुल खिलने से पहले, कपास में पोटेशियम की कमी पुरानी पत्तियों पर पीलापन के रूप में दिखाई देती । पत्तियों का पीलापन  धीरे धीरे लाल/सुनहरे रंग में बदलने लगता हैं इसके बाद उत्तक क्षय हो कर रोग के समान लक्षण दिखने लगते हैं| पत्तियाँ लटक जाती हैं और गूलर ठीक से नहीं खिलते हैं| पत्तियाँ मुड़ जाती हैं ओर सुख जाती हैं |

निदान :- 00:52:34 या 00:00:50 @100 ग्राम प्रति पम्प का स्प्रे दो से तीन बार करें|

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Control of White fly in Soybean

सोयाबीन में सफ़ेद मक्खी का नियंत्रण:-

  • शिशु एवं वयस्क पत्तियों के निचले सतह से रस चूसते है एवं मधु स्त्राव के उत्सर्जन से प्रकाश संश्लेषण में बाधा आती है|
  • पत्तियाँ रोगग्रस्त दिखती है सुटी मोल्ड से ढक जाती है | यह कीट पत्ति मोड़क विषाणु रोग व पीला शिरा विषाणु रोग का वाहक होकर इसे फैलाता है|
  • नियंत्रण:- पीले रंग वाले चिपचिपे प्रपंच खेत में कई जगह लगाए|
  • प्रोफेनोफॉस @ 50 मिली./पम्प या थायमेथोक्जोम @ 5 ग्राम/पम्प या एसीटामीप्रिड @ 15 ग्राम/ पम्प का स्प्रे 3-4 बार 10 दिन के अंतराल पर करे|

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Management of Tobacco caterpillar in Soybean

 

 

नुकसान के लक्षण:  इल्लियां पत्तियों का क्लोरोफिल खा में लेते है |  खाए गए पत्ते पर सफेद पीले रंग की झिल्ली दिखाई देती हैं।
प्रबंधन

  • गर्मियों में गहरी जुताई  करना चाहिए |
  • मानसून आने से पहले बुवाई से बचें।
  • बीज दर (70-100 किलो / हेक्टेयर) रखना चाहिए|
  • रोग ग्रस्त  भागों को इकट्ठा और नष्ट करें|
  • फेरोमोन ट्रेप 5 प्रति हेक्टेयर लगाए | ताकि इसके व्यस्क के आगमन का पता चल सके |
  • प्रोफेनोफॉस  50% ईसी @ 400 मिलीलीटर / एकड़ या क़्वीनाल्फास 25% ईसी  @ 400 मिलीलीटर / एकड़ का स्प्रे करे |
  • अधिक  प्रकोप होने पर एमामेक्टीन बेंज़ोएट @ 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर |

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Phosphorus Deficiency in Cotton

कपास में फास्फोरस की कमी:-

फॉस्फोरस की कमी वाले पौधों की पत्तियां का आकार छोटी तथा गहरे हरे रंग की रहती हैं। कमी के लक्षण सबसे पहले कपास की निचली या पुरानी पत्तियों में पर दिखते होता है। पत्तियों के हरे रंग की गहराई बढ़ती है, जिससे फॉस्फोरस की कमी हो जाती है| फॉस्फोरस की अत्यधिक कमी न केवल पौधे के आकार को कम करती है, बल्कि द्वितीयक शाखाओं की कमी और घेटों की संख्या भी कम होती है। इसकी कमी से  फूल खिलने, फलने और परिपक्वता में देरी होती है| छोटी पत्तियां अधिक गहरे हरे रंग की दिखाती हैं। पुराने पत्ते आकार में छोटे हो जाते हैं और बैंगनी और लाल रंगद्रव्य विकसित होते हैं।

निदान :- 12:61:00 या 00:52:34  @100 ग्राम प्रति पम्प का स्प्रे करें|

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Seed rate and sowing time for Onion

प्याज की बीज दर व बुआई का समय –

प्याज की खेती करने के लिए उचित बीज दर तथा बुआई के समय पर विशेष ध्यान दिया जाना बहुत ही जरुरी है अन्यथा उत्पादन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है|

बुआई का समय –

  • प्याज की खेती करने के लिए पहले प्याज की नर्सरी तैयार करना पड़ता है प्याज की नर्सरी रबी में दिसंबर माह में तैयार की जाती है तथा खेत में चौपाई जनवरी माह में की जाती है  
  • खरीफ में 15 जून से लेकर 15 जुलाई तक नर्सरी तैयार की जाती है तथा अगस्त के अंतिम सप्ताह में खेत में चौपाई की जाती है

प्याज की बीज दर –

  • सामान्यत: 8-10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज दर रखना चाहिए|  
  • 3 x 0.6 मीटर की 100 – 110 क्यारियाँ एक हेक्टेयर खेत की बुआई के लिए पर्याप्त होती है|
  • प्याज को सीधे खेत में छिडकाव के द्वारा भी बोया जाता है छिडकाव विधि में बीजदर 15 – 20 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर रखना चाहिये|

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Nitrogen deficiency in Cotton

कपास में नाइट्रोजन की कमी:-

नाइट्रोजन की कमी से पत्तियां पीले हरे रंग की हो जाती है तथा पत्तियों का आकार भी छोटा रह जाता है । यह कपास में नाइट्रोजन की कमी का सबसे मुख्य लक्षण है। कोशिकाएं एंथोकाइनिन नामक लाल रंगद्रव्य के विकास के साथ असंगठित हो जाती हैं। नाइट्रोजन की कमी वाले पौधे का वानस्पतिक विकास भी कम होता है तथा पौधा बौना रह जाता है ।

निदान :- 19:19:19 @100 ग्राम प्रति पम्प का स्प्रे करें|

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Integrated Management of Pink Bollworm in Cotton

ऐसे करें कपास में गुलाबी इल्ली का समेकित प्रबंधन –

  • कपास की फसल को जनवरी महीने तक हर हालत में समाप्त कर दे |
  • गुलाबी इल्ली के पतंगों की गतिविधि की निगरानी के लिए बुवाई के 45 दिन बाद खेत में फेरोमोन ट्रैप 5 प्रति हेक्टेर की दर से स्थापित कर दे |
  • गुलाबी इल्ली की उपस्थिति जानने के लिए कली तथा पुष्पन अवस्था पर फसल का निरीक्षण करें तथा पुष्प के अन्दर सुंडी की उपस्थिति का आकलन करें |
  • मान्यता प्राप्त व सिफारिश की हुई किटनाशक का उपयोग करें |
  • कीटनाशको का मिश्रण करके छिडकाव ना करें |
  • सफ़ेद मक्खी का संक्रमण टालने हेतु नवम्बर माह के पहले कोई भी सिंथेटिक पायरेथ्रोइड इस्तेमाल ना करें |
  • फसल के विभिन्न पोधो से 20 हरे गुलरो को तोड़कर गुलाबी इल्ली की उपस्थिति और क्षति का निरिक्षण करें |
  • साफ़ सुथरी और कीटग्रस्त कपास को चुनकर अलग -अलग रखे |

 

गुलाबी इल्लियों के प्रबंधन के लिए सिफारिश किए गए कीटनाशक :-

 

महिना कीटनाशक मात्रा  प्रति 10 ली .पानी *
सितम्बर क्विनॉलफॉस 25 EC

थियोडिकार्ब 75 WP

20 मिली

20 ग्राम

अक्टूबर क्लोरोपाइरीफास 20 EC

थियोडिकार्ब 75 WP

25 मिली

20 ग्राम

नवंबर फेनवेलेरेट 20 EC

साइपरमेथ्रिन 25 EC

10 मिली

10 मिली

 

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Bacterial Blight of Cotton

कपास में जीवाणु धब्बा रोग:-

लक्षण-  इस बिमारी के लक्षण पत्ते, तने तथा कपास के घेटों के ऊपर दिखाई देते है इसमें पौधे के सभी वायवीय भागो पर काले तथा हल्के भूरे धब्बे नजर आते है | जैसे जैसे बीमारी विकसित होती जाती है, छोटे धब्बे बड़े घावों में मिलते जाते हैं, बैक्टीरिया पत्ती की  नसों में प्रवेश कर जाता है | धब्बो की वजह से पत्तियों का क्लोरोफिल समाप्त हो जाता है जिसकी वजह से पौधा भोजन नहीं बना पता है |

नियंत्रण –  स्ट्रैपटोमाइसीन + टेट्रासाइक्लीन @ 2 ग्राम या कासुगामायसीन @ 30 मिली./ प्रति पम्प का का छिडकाव 7-10  दिन के अंतराल में दो बार करें |

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Damping off disease in Onion

प्याज में पौध गलन रोग :-खरीफ के मौसम में विशेष रूप से भूमि में अधिक नमी एवं मध्यम तापमान इस रोग के विकास के मुख्य कारक है | इस रोग में प्याज की पौध गल कर मर जाती है |

नियंत्रण – कार्बेन्डाजिम12% + मेनेकोज़ेब 63% या थियोफीनेट मिथाइल 70% WP 50 ग्राम प्रति पम्प का छिडकाव करें |

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Girdle beetle in Soybean

सोयाबीन में गर्डल बीटल:- इसे रिंग कटर भी कहा जाता है | यहाँ कीट सोयाबीन की उपज को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है|

नुकसान के लक्षण:-

  • तना को अंदर से लार्वा द्वारा खाया जाता है और तने के अंदर एक सुरंग बनती है।
  • संक्रमित हिस्से के पौधे की पत्तियां पोषक तत्व पाने में असमर्थ होती हैं और सूख जाती हैं।
  • बाद में पौधे को जमीन से लगभग 15 से 25 सेमी पर काट देता है।

प्रबंधन :-

  • गर्मी में खेत की गहरी जुताई  करे |
  • मक्का या ज्वार साथ में लगाने से बचा |
  • फसल चक्र का पालन किया जाना चाहिए |
  • अतिरिक्त नाइट्रोजन उर्वरकों से बचें।
  • 10 दिनों में कम से कम एक बार ग्रसित पौधे के हिस्सों को हटा दें और उन्हें खाद के गड्ढे में गाड दें ताकि गर्डल बीटल की आबादी को नियंत्रित किया जा सके |

रोकथाम :-

  • बुवाई के समय फोरेट 10 G @ 10 किलो / हेक्टेयर या  कार्बोफूरोन 3 G @ 30 किलोग्राम / हेक्टेयर लागू करें।
  • क्विनालफास 25% EC या ट्रायजोफॉस 40% EC @ 3 मिली / लीटर पानी का छिड़काव 30-35 दिनों की फसल की उम्र में करे |

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