Advantages of N fixation bacteria in okra

  • एज़ोटोबैक्टर स्वतंत्रजीवी नाईट्रोजन स्थिरिकरण वायवीय जीवाणु हैं |
  • यह जीवाणु वातावरण की नाईट्रोजन को लगातार जमीन में जमा करता रहता हैं|
  • इसका उपयोग करने पर प्रति फसल 20 % से 25 % तक कम नाईट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता होती हैं|
  • ये जीवाणु बीजो का अंकुरण प्रतिशत बढ़ाते हैं|
  • तना और जड़ो की संख्या और लंबाई बढ़ाने में सहायक होता हैं|
  • रोगों की संभावना को कम करता हैं|

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Control of gummy stem blight in bottle gourd

  • इस बीमारी में पोधे की जड़ो को छोड़कर सभी भागो में संक्रमण हो जाता है|
  • प्रारम्भिक लक्षण पोधे की पत्ती के किनारों पर पीलापन /हरिम्हीनता दिखाई पड़ती है,और सतह पर जल भरे हुवे धब्बे दिखाई देते है|
  • इस रोग से ग्रसित पोधे के तने पर घाव बन जाते हैं जिससे लाल-भूरे, काले रंग का चिपचिपा पदार्थ (गम) निकलता हैं|  तने पर भूरे-काले रंग के धब्बे बन जाते जो बाद में जाकर घाव से मिल जाते हैं |
  • लौकी के बीजो पर मध्यम-भूरे, काले धब्बे पड़ जाते है|

प्रबंधन:

  • स्वस्थ बीजो का चयन करें |
  • रोपाई का निरीक्षण करें एवं संक्रमित पोधौ को उखाड़ कर खेत से बाहर फैंक दें|
  • बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत ही क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 350 ग्राम/ एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली/ एकड़ का घोल बना कर छिड़काव करें|

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Control of aphid in bitter gourd

  • ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिये ताकि यह कीट फैलने न पाये।
  • माहू का प्रकोप दिखाई देने पर एसीफेट 75 % एसपी @ 300- 400 ग्राम / एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17% एस एल @ 100 मिली प्रति एकड या एसीटामाप्रिड 20 % एसपी @ 150 ग्राम  प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर पंद्रह दिन के अंतराल से छिड़काव कर इनका प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है |

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Advantages of PSB in Tomato

  • ये जीवाणु फास्फोरस के साथ साथ मैंगनीज, मैगनेशियम, आयरन, मॉलिब्डेनम, जिंक और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी पौधे में उपलब्ध करवाने में सहायक होते है|
  • तेजी से जड़ों का विकास करने में सहायक होता है जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते है |
  • पीएसबी कुछ खास जैविक अम्ल बनाते है जैसे मैलिक, सक्सेनिक, फ्यूमरिक, साइट्रिक, टार्टरिक एसिड और एसिटिक एसिड ये अम्ल फॉस्फोरस उपलब्धता बढ़ाते है|
  • रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है|
  • इसका उपयोग करने से  25 -30% फॉस्फेटिक उर्वरक की आवश्यकता कम होती है ।

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Fertilizer requirements in muskmelon

  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद / कम्पोस्ट @ 10-15 टन  / एकड़ की दर से डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएँ।
  • यूरिया 110 किग्रा, सिंगल सुपर फास्फेट 155 किग्रा, और म्यूरेट ऑफ पोटाश 40 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करे।
  • बीज बोने से पहले एसएसपी, म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा और यूरिया की एक तिहाई मात्रा डालें।
  • जड़ो के पास एवं तने से दूर यूरिया की शेष मात्रा प्रयोग करें, और प्रारंभिक विकास अवधि के दौरान मिट्टी में अच्छी तरह मिश्रित करें।
  • जब फसल 10-15 दिन पुरानी हो, तो अच्छी गुणवत्ता के साथ-साथ फसल की अच्छी वृद्धि के लिए 19:19:19 + माइक्रोन्यूट्रिएंट @ 2-3 ग्राम / लीटर पानी का छिड़काव करें।

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Alternaria leaf blight control in bottle gourd

  • पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे बन  जाते है जो भूरे रंग से परिवर्तित होकर काले रंग के हो जाते है।
  • ये धब्बे किनारों से शुरू  होते है जो बाद में संकेन्द्रीय रूप धारण कर लेते है।
  • अत्यधिक ग्रसित लताओं के अन्दर चारकोलनुमा पावडर जमा हो जाता है।
  • बीमारी की रोकथाम करने हेतु खेतों की सफाई करें एवं फसल चक्र अपनाएँ।
  • फफूंदनाशक 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75 % डब्ल्यू पी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी @ 300 मिली / एकड़ का स्प्रे करे |
  • क्लोरोथालोनिल 75 डब्ल्यू पी @ 300  ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।

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Management of mosaic virus in bottle gourd

  • पौधे पूर्ण रूप से सुख जाते हैं| पत्तियों पर पीले धब्बे मोज़ेक जैसे बन जाते हैं|
  • पौधे की पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ी हुई रहती हैं और पत्ती का आकार सामान्य से छोटा होता हैं।
  • फल का आकार बदल जाता हैं और आकार में छोटे होते हैं। यह रोग एफिड द्वारा फेलता हैं।

 प्रबंधन –

  • खरपतवार और रोगी पौधों को खेतों से हटाने से संक्रमण की संभावना कम हो सकती हैं|
  • रोग प्रतिरोध किस्मो का उपयोग करके कुछ किसान वायरस फैलने पर नियंत्रण करते हैं।
  • इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) @ 100-120 मिली प्रति एकड़ अथवा एसीफट (75% SP ) @ 140- 200 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करके रोग फैलाने वाले कीट का नियंत्रण करे।

 

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Collar rot control in bottle gourd

  • तने के आधार पर गहरे भूरे हरे रंग के जल युक्त धब्बों का निर्माण हो जाता है। अंततः संपूर्ण पौधा सड़ कर मर जाता है ।
  • इस बीमारी के संक्रमण अवस्था पर सफेद रंग के धागेनुमा तंतुओं का विकास हो जाता है।
  • ग्रसित पौधे आसानी से तने के आधार वाले भाग से भूमि से उखड़ जाते है, किन्तु पौधे का जड़ वाला भाग भूमि के अंदर ही रह जाता है।
  • बीजों को बुवाई के पूर्व कार्बेन्डाजिम @ 2.5 ग्राम प्रति कि. ग्राम बीज की दर से उपचारित करे।
  • बीजों की बुवाई ऊपरी क्यारियों वाली सतह पर करनी चाहिये।
  • जड़ों के पास मेंकोजेब 63% + कार्बेन्डाजिम 12% WP @  400 ग्राम / एकड़ या थायोफनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम / एकड़ फफूँदनाशक का ड्रेंचिंग करे।
  • खेत में पहले से लगी हुई फसल के अवशेष को भूमि गहराई में दबा देना चाहिये।

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Fertilizer dose in bitter gourd

  • उर्वरक का प्रयोग मिट्टी की उर्वरता, जलवायु और रोपण के मौसम पर निर्भर करती है।
  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद / कम्पोस्ट @ 6-8 टन / एकड़ की दर से डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से  मिलाएँ।
  • यूरिया 30-40 किलो, डीएपी 35-50 किलो,और एमओपी 20-40 किलो/एकड़ प्रयोग करे।
  • रोपण से पहले आधा यूरिया और डीएपी संपूर्ण और एमओपी प्रयोग किया जाना चाहिए। बाकी आधा यूरिया को बुआई के 15 दिन बाद और 30 दिन बाद दो बार में दें।

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Flower promotion nutrients in snake gourd

  • ककड़ी में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है|
  • बुवाई के 40-45 दिनों बाद ककड़ी की फसल में फूल वाली अवस्था प्रारम्भ होती है|
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा ककड़ी की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है|
  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली./एकड़ का स्प्रे करें|
  • समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली. /एकड़ का उपयोग करें|
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • 2 ग्राम /एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते है|

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