Control of Neck Blast in Paddy

  • ट्रायसायक्लाज़ोल 75% डब्ल्यूपी 120ग्राम/एकड़ | या 
  • कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% डब्ल्यू पी @ 300 ग्राम/एकड़ | या 
  • थियोफोनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम/एकड़ | 

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Neck Blast of Paddy

  • बहुतायत से होने  वाला यह रोग जो की  ब्लास्ट नाम से जाना जाता हैं धान की उपज में अधिक कमी ला देता हैं | 
  •  ग्रषित पौधे में संक्रमण नोड्स पर पट्टी नुमा गर्डल होता हैं जिसका रंग धूसर से काला होता हैं |
  •  क्योकी संक्रमण करधनी के ऊपर होता हैं इस कारण नोड्स के ऊपर का हिस्सा लटक जाता हैं या टूट जाता हैं | 
  • अगर संक्रमण दाने भरने के पहले हो जाये तो दाने नहीं बनते अगर यह संक्रमण देर से होता हैं तो दानो की गुणवत्ता खराब हो जाती हैं | 
  • कभी कभी इसके लक्षण स्टेम बोरर कीट की तरह होते हैं जिसमे बालिया सफ़ेद रंग की  हो जाती हैं |

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Control of late blight of tomato

  • कटाई के बाद फसल अवशेष को नष्ट करें
  • खेत पर जल भराव की स्थिति न होने दे | 
  • रोग नियंत्रण के लिए किसी भी एक फफूंद नाशक का स्प्रे करे | 
  • मेटलैक्सिल 8% + मैनकोजेब 64% @ 500 ग्राम/एकड़।
  • कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़।
  • पायरोस्टॉकलोबिन 5% + मेटीराम 55% @ 600 ग्राम/एकड़।
  • डाइमेथोमॉर्फ 50% डब्लू पी @ 400 ग्राम/एकड़।

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Late blight of tomato

  • लेट ब्लाइट के लक्षण पुरानी पत्तियों की निचली साथ पर धूसर हरे रंग के पनीले धब्बो के रूप में नजर आते हैं | 
  • जैसे ही रोग बढ़ता हैं ये धब्बे काले पड़ जाते हैं और अंदर की तरफ सफेद कवक की वृद्धि होती है। तथा अंत में पूरा पौधा संक्रमित हो जाता हैं| 
  • इस रोग से फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। यह रोग खेतों में शीघ्रता से फैलता है अगर उपचार नहीं होने पर कुल पूरी फसल नष्ट हो जाती हैं |

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Weed Control in Tomato Crop

टमाटर की फसल में खरपतवार नियंत्रण :-

  • प्रारंभिक अवस्था में पौधे की अच्छी वृद्धि के लिये 2-3 निदाई-गुड़ाई आवश्यक होती है।
  • खरपतवार नियंत्रण के लिये अंकुर पूर्व निदानाशक पेन्डामेथिलिन 30% SC @ 700 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर साथ में फसल लगाने के 45 दिन बाद हाथ से एक निदाई करनी चाहिये ।
  • खरपतवार नियंत्रण के लिए पौध लगाने 15 दिन बाद मेट्रिब्यूज़िन 70% WP @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें|
  • संपूर्ण नियंत्रण करने के लिये मल्च जैसे पैरा, लकड़ी का बुरादा और काले रंग का पॉलीथीन का उपयोग किया जाता है । इसके साथ ही मल्च भूमि में नमी का संरक्षण करके उत्पादन व गुणवत्ता को बढ़ता है ।

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Seed treatment of Potato

आलू में बीज उपचार:- आलू एक कंदीय फसल हैं जिसमे विभिन्न फफूंद जनित रोग लगते है जो कि बीज एवं मृदा से फैलते है इसलिए आलू में बीज उपचार अति महत्त्वपूर्ण है | आलू का बीज उपचार कार्बोक्सीन 37. 5 % + थायरम 37. 5 % @ 200 ग्राम / 6 लीटर पानी 1 एकड़ बीज के लिए  या थायोफनेट मिथाइल 45% + पाइरक्लोस्ट्रोबिन 5% एफएस @ 800 मिलीलीटर/16 लीटर पानी 40 क्विंटल बीज के लिए | 

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Control of Verticillium wilt in cotton

  • छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
  • रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
  • रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
  • ट्राइकोडर्मा विरिडी @ 2 किलो प्रति एकड़ की दर से बुवाई के पहले 40- 50 किलो गोबर की खाद के साथ मिला कर जमीन में मिलवाये |
  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे |
  • ट्राईकोडर्मा विरिडी @ 1 किलो + सूडोमोनास फ्लोरोसेंसे @ 1 किलो का घोल 200 लीटर पानी में मिला कर ड्रेंचिंग करे |
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें |
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/ एकड़ का स्प्रे करें | ( या ) 
  • कासुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 46% WP @ 300 ग्रामं प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करे | 

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Verticillium wilt of cotton

 

  • प्रारंभिक अवस्था में संक्रमित पौधे गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं।
  • लक्षण पत्तियों की शिराओ का कांसे के जैसे रंग में परिवर्तित होना हैं
  • अंत में पत्तियां सूख कर झुलसे के सामान लगती है।
  • इस स्तर पर, विशिष्ट लक्षण देखने को मिलता हैं जिसे “टाइगर स्ट्राइप” या “टाइगर क्लॉ” कहते हैं।
  • ग्रसित पत्तिया झड़ जाती हैं तथा रोग के लक्षण तनो एवं जड़ो पर भी दीखते हैं |

 

 

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Control of Fusarium wilt in cotton crop

  • छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
  • रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
  • रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @  5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे |
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/ एकड़ का स्प्रे करें|

 

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Symptoms of Fusarium wilt in cotton

  • इस रोग का  रोग कारक फ्यूसेरियम ऑक्सीस्पोरम एफ.एस.पी. हैं 
  • कपास में होने वाले सभी रोगो में यह एक मुख्य रोग के रूप में देखा जाता हैं ।
  • इस रोग में पत्तिया किनारो से मुरझाना शुरू करती हैं तथा मुख्य शिरा की ओर मुरझाती चली जाती हैं | 
  • पत्तियों की शिराये गहरी, संकरी और धब्बे वाली हो जाती हैं। तथा अंत में पौधा सुख कर मर जाता हैं | 
  • इस  रोग का मुख्य लक्षण जड़ो के पास वाले तने का अंदर से क्षतिग्रस्त होना हैं।

 

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