Ideal soil for cowpea cultivation

  • अच्छे जल निकास वाली सभी प्रकार की भूमियों में इसकी खेती की जा सकती है परन्तु दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है।
  • लवणीय व क्षारीय भूमि बरबटी या लोबिया की खेती के लिए उपयुक्त नही होती है।
  • बेल के अच्छे विकास के लिए भूमि का पी.एच मान 5.5-6.0 होना चाहिए।

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Control of aphid in muskmelon

  • ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिये ताकि ये कीट फैलने न पाये।
  • माहू का प्रकोप दिखाई देने पर एसीफेट 75% एसपी @ 300-400 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17% एसएल @ 100 मिली प्रति एकड या एसीटामाप्रिड 20% एसपी @ 150 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर पंद्रह दिन के अंतराल से छिड़काव कर इनका प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता हैंं |

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Control of cowpea pod borer

  • ईल्ली फलियों में छेद करके बीजो को खाती है।
  • यदि फूल और फली न हो तो लार्वा पत्तियाँ ही खाने लगती है।
  • गहरी जुताई करके जमीन में रहने वाली कीट की प्यूपा अवस्था को ख़त्म कर सकते हैं| इसके अलावा फसल चक्र अपनाना भी कीट नियंत्रण में सहायक होता है। ।
  • प्रतिरोधक/सहनशील किस्मों को बोये।
  • 3 फीट लम्बी डण्डी 10/है की दर से परजीवी पक्षियों के बैठने के लिए लगाये।
  • क्लोरपाइरीफोस 20% ईसी 450 मिली/एकड़ या इंडोक्साकार्ब 14.5% एससी @ 160-200 मिली/एकड़ का पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।
  • इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 100 ग्राम/एकड़ का पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।

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Control of White fly in bottle gourd

  • शिशु एवं वयस्क अण्डाकार हरे-सफेद रंग के होते हैं।
  • वयस्क लगभग 1मि.ली. लम्बे एवं शरीर पर सफेद मोम जैसे आवरण होते हैं।
  • शिशु एवं वयस्क पत्तियों के निचले सतह से रस चूसते हैं एवं मधु-श्राव का उत्सर्जन करते हैं जिसकी वजह से प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती हैं।
  • पत्तियाँ रोगग्रस्त दिखती है और काली फफूंद से ढक जाती है।
  • यह कीट पत्ती मोड़क विषाणु रोग का वाहक होकर इसे फैलाता है।
  • पीले पात्र वाले चिपचिपे प्रपंच खेत में कई जगह लगाये।
  • बुवाई के समय कार्बोफ्यूरान 3% जीआर 8 किग्रा/एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाये।
  • डायमिथोएट 30%ईसी का 250 ग्राम/एकड़ की दर से 15 दिन के अन्तराल से छिड़काव करें।

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Control of pod borer in moong

  • जब इल्लिया बड़ी हो जाती है तब वह फलीयों के अंदर दानो को खाकर अधिक नुकसान पहुंचाती हैं।
  • फली छेदक इल्ली के द्वारा संक्रमण के कारण फली समय के पहले सूख कर पौधे से गिर जाती हैं |
  • बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई कर मिट्टी में उपस्थित कीट के अंडो एवं कोकून को नष्ट कर दे |
  • बुवाई के लिए मूंग की कम अवधि वाली किस्मों का चयन करें।
  • मूंग के पौधों के बीच निश्चित दूरी रखे |
  • क्लोरपाइरीफोस 20% ई.सी.450 मिली/एकड़ या इंडोक्साकार्ब 14.5% एस.सी. @ 160-200 मिली/एकड़ का पानी  में घोल बना कर छिड़काव करें।
  • इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. @ 100 ग्राम/एकड़ का पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।

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Suitable climate for sorghum crop

  • ज्वार एक गर्म मौसम की फसल हैं|  
  • लेकिन अत्यधिक तापमान ज्वार की उपज को कम कर सकता हैं
  • ज्वार की फसल के लिए अर्ध-शुष्क मौसम अच्छा माना जाता हैं
  • ज्वार  की फसल के लिए अनुकूल तापमान 25-35 oC होता हैं |
  • समुद्र तल से अधिक ऊंचाई (1200 मीटर से अधिक) इसकी फसल के लिए अनुकूल नहीं होती
  • ज्वार की फसल लगभग 300-350 मिली. वार्षिक वर्षा में भी उगाई जा सकती हैं|

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Method of sowing in okra

  • भिन्डी को समतल मिट्टी या मेढ पर बोया जाता है, यदि मिट्टी भारी है तो इसे मेढ पर बोया जाना चाहिए।
  • भिंडी की संकर किस्मों को 75 x 30 सेमी या 60 x 45 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है।
  • भिंडी की बुवाई से 3-4 दिन पहले सिंचाई करना फायदेमंद होता हैं
  • लगभग 4-5 दिनों में बीज अंकुरित हो जाते हैं।

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Control of thrips in moong

  • थ्रिप्स पौधों का रस चूसता हैं जिससे पौधे पीले व कमज़ोर हो जाते है जिससे उपज कम हो जाती हैं|
  • इसके नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफोस 400 मिली. प्रति एकड़ या फिप्रोनिल 400 मिली. प्रति एकड़ या थायमेथोक्जोम 200 ग्राम प्रति एकड़ का स्प्रे हर 10 दिन के अंतराल पर करे|
  • नीम के बीज की गिरी का अर्क (NSKE) 5% या ट्राईजोफास @ 350 मिली/एकड़  पानी में घोल कर छिड़काव करें|

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Soil and Climate for coriander

  • अच्छी तरह जल निकास वाली दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी मानी जाती हैं
  • वर्षा आधारित खेती के लिए चिकनी मिट्टी अच्छी होती है जिसका pH 6-8 होनी चाहिए।
  • धनिया की फसल हेतु उपयुक्त तापमान 20-25 oC होता हैं|
  • ठंडी और शुष्क जलवायु इसकी फसल के लिए अच्छी मानी जाती हैं

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Control of bacterial wilt in tomato

  • रोगग्रस्त पौधों की पत्तियां पीले रंग की होकर सूखने लगती हैं एवं कुछ समय बाद पौधा सूख जाता हैं
  • नीचे की पत्तियां पौधे के सूखने से पहले गिर जाती हैं
  • पौधे के तने के नीचे के भाग को काटने पर उसमें से जीवाणु द्रव दिखाई देता हैं
  • पौधों के तने के बाहरी भाग पर पतली एवं छोटी जड़े निकलने लगती हैं
  • कद्दू वर्गीय सब्जिया, गेंदा या धान की फसल को उगाकर फसल चक्र अपनायें।
  • खेत में पौधे लगाने से पहले ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव 6 कि.ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें।
  • स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट I.P. 90% w/w + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड I.P. 10% w/w  20 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग।
  • कसुगामाइसिन 3% एस.एल. 300 मिली/एकड़ के प्रयोग करके भी इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

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