लौकी में एल्टरनेरिया ब्लाइट नामक रोग का नियंत्रण

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  • बीमारी की रोकथाम करने हेतु खेतों की सफाई करें एवं फसल चक्र अपनाएँ।
  • फफूंदनाशक 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75% डब्ल्यू पी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या
  • कीटाजिन 48.0 w/w @ 400 मिली/एकड़ का स्प्रे करें। 
  • क्लोरोथालोनिल 75 डब्ल्यू पी @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।
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लौकी में एल्टरनेरिया ब्लाइट नामक रोग की पहचान

  • पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे बन जाते है जो भूरे रंग से परिवर्तित होकर आखिर में काले रंग के हो जाते हैं।
  • ये धब्बे किनारों से शुरू होते हैं जो बाद में संकेन्द्रीय रूप धारण कर लेते हैं।
  • अत्यधिक ग्रसित लताओं के अंदर चारकोलनुमा पावडर जमा हो जाता है।
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मिट्टी परीक्षण करने का मुख्य उद्देश्य

  • फसलों में रासायनिक खादों के प्रयोग की सही मात्रा निर्धारित करने के लिए।
  • ऊसर तथा अम्लीय भूमि के सुधार तथा उसे उपजाऊ बनाने का सही ढंग जानने के लिए।
  • फसल लगाने हेतु भूमि की अनुकूलता तय करने के लिए।
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गर्मी के मौसम में सेहतमंद रहने हेतु जाने एलोवेरा के गुणकारी महत्व 

  • एलोवेरा में कैंसर से लड़ने की क्षमता पाई जाती है।
  • एलोवेरा एक प्राकृतिक रेचक के रूप में काम करता है।
  • ब्लड शुगर कम करने में मदद करता है।
  • पेट के रोगों को नष्ट कर पाचन की क्रिया सुदृढ़ बनाता है।
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कद्दुवर्गीय फसलों में लाल मकड़ी की पहचान

  • लाल मकड़ी 1 मिमी लंबी होती है जिन्हे नग्न आँखों से आसानी से नहीं देखा जा सकता है।
  • लाल मकड़ी पत्तियों की निचली सतह में समूह बनाकर रहती है।
  • इसका लार्वा शिशु एवं वयस्क दोनों पत्तियों की निचली सतह को फाड़कर खाते हैं।
  • शिशु एवं वयस्क दोनों पत्तियों व लताओं के कोशिका रस को चूसते हैं, जिसके पत्तियों व लताओं पर सफ़ेद रंग के धब्बे विकसित हो जाते हैं।
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करेले की फसल में मंडप बना कर ऐसे दें सहारा

  • करेला अत्यधिक तेजी से बढ़ने वाली फसल है। इसके बीज की बुआई के दो सप्ताह बाद इसकी लताएं तेजी से बढ़ने लगती है।
  • जालीदार मंडप की सहायता से करेले के फलों के आकार एवं उपज में वृद्धि होती है, साथ ही फलों में सड़न कम होती है। 
  • फलों की तुड़ाई एवं कीटनाशकों का छिड़काव आसानी से किया जा सकता है।
  • इसके लिए मंडप 1.2-1.8 मीटर ऊँचाई के होने चाहिए। 
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तरबूज की गुणवत्ता बढ़ाने के उपाय

  • तरबूज की फसल में लताओं की अतिवृद्धि को रोकने हेतु एवं फलो के अच्छे विकास के लिए तरबूज की लताओं में यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।
  • इस प्रक्रिया में जब बेल पर पर्याप्त फल लग जाते है तब लताओं के शीर्ष को तोड़ दिया जाता है। इसके परिणाम स्वरूप लताओं की वानस्पतिक वृद्धि रुक जाती है।
  • शीर्ष को तोड़ने से लताओं की वृद्धि रुक जाती है जिससे फलो के आकार और गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • यदि एक बेल पर अधिक फल लगे हों तो, छोटे और कमजोर फलो को हटा दें ताकि मुख्य फल की वृद्धि अच्छी हो सके।
  • अनावश्यक शाखाओं को हटाने से तरबूज को पूरा पोषण प्राप्त होता है और वह जल्दी बडे होते हैं।
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कद्दू व तुरई की फसल में लाल कीट का नियंत्रण

  • पुरानी फसल के अवशेष को नष्ट कर दें।
  • यदि फसल की प्रारंभिक अवस्था में, कीट दिखाई दे तो उसे हाथ से पकड़कर नष्ट कर दें।
  • साईपरमेथ्रिन 25% ईसी 150 मि.ली.प्रति एकड़ + डायमिथोएट 30% ईसी 300 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। या
  • कार्बारिल 50% डब्लू पी 450 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिड़काव करें। पहला छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 7 दिन बाद करें।
  • डाइक्लोरवास (डीडीवीपी) 76% ईसी का 250-350 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव कर के इस कीट का नियंत्रण किया जा सकता है |
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कद्दू व तुरई की फसल में लाल कीट की पहचान 

  • अंडे से निकले हुये ग्रब ‘जड़ों, भूमिगत भागों एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते हैं उनको खा जाते हैं।
  • इन प्रभावित पौधे के खाये हुए जड़ों एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी फंगस का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्व फल व लताएँ सुख जाती है।
  • बीटल पत्तियों को खाकर उनमें छेद कर देते है। 
  • पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुँचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते हैं। 
  • संक्रमित फल मनुष्य के खाने योग्य नहीं रहते हैं।
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अधिक उत्पादन पाने के लिए तरबूज, खरबूज और कद्दू की फसल में फूलों की संख्या ऐसे बढ़ाएं

नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता हैं। 

  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली/एकड़ का स्प्रे करें।
  • समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें।
  • इस छिड़काव का असर पौधे पर 80 दिनों तक रहता है।
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