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- सुबह सूर्य निकलने के पहले पत्तियों के निचली सतह पर नीम के तेल का छिड़काव करें।
- प्रॉपर जाइट (ओमाइट) @ 400 मिली/एकड़ का छिड़काव करें या
- एबासिन (एबामेक्टिन 1.8% ईसी) @ 150 एमएल/एकड़ का छिड़काव करें।
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- इसके लार्वा शिशु एवं वयस्क पत्तियों की निचली सतह को फाड़कर खाते हैं।
- शिशु एवं वयस्क दोनों पत्तियों व लताओं के कोशिका रस को चूसते हैं, जिसके पत्तियों व लताओं पर सफ़ेद रंग के धब्बे विकसित हो जाते हैं।
- अत्यधिक संक्रमण की अवस्था में पत्तियों की निचली सतह पर जालनुमा संरचना तैयार करके उन्हे हानि पहुँचाती है।
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- एसीटामिप्रिड 20% WP @ 80 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8% @ 80 मिली/एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
- एविडेंट (थाइमिथोक्सम) @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें या
- एबासिन (एबामेक्टिन 1.8% ईसी) @ 150 एमएल/एकड़ का छिड़काव करें।
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- शिशु एवं वयस्क कीट दोनों हरे रंग के एवं छोटे आकार के होते है।
- शिशु एवं वयस्क, पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं।
- ग्रसित पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ जाती है जो बाद में पीली हो जाती है एवं उन पर जले हुये धब्बे बन जाते हैं।
- इनके द्वारा माइकोप्लाज्मा रोग जैसे लघु पर्ण एवं विषाणु रोग जैसे चितकबरापन स्थानांतरित हो जाता है।
- इस कीट के अत्यधिक प्रभाव देखे जाने पर पौधे में फल लगना कम हो जाता है।
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- एसिटामाप्रिड 20% एसपी @ 40-80 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करने पर भी इस कीट का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता।
- कॉन्फीडोर (इमिडाक्लोप्रिड) @ 100 एमएल/एकड़ का छिड़काव करें या
- बिलीफ (थाइमिथोक्सम 12.6% + लेम्ब्डासाइहलोथ्रिन 9.5% ZC) @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें या
- एफिड कीट (माहू) के संक्रमण को कम करने के लिए पौधे के संक्रमित भागों को हटा दें।
- फ़सलों को अधिक पानी या अधिक खाद न दें।
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- एफिड कीट (माहू) के आक्रमण से पत्तिया पीली हो कर सिकुड़ जाती हैं एवं कुछ समय बाद सूख जाती हैं जिससे पौधे का विकास रुक जाता है।
- संक्रमण की शुरूआती अवस्था में पत्तियों पर फफूंद का विकास दिखाई देता है।
- माहू द्वारा चिपचिपा स्राव किया जाता है जिसकी वजह से पौधे में कई फफूंद जनित रोग पैदा होते हैं।
- सूखी और गर्म जलवायु माहू कीट की वृद्धि के लिए अनुकूल होती है।
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- आक्रमण की शुरुआती अवस्था में प्रभावित पौधे को खेत से बाहर निकाल दें या नष्ट कर दें।
- वेपकील (एसिटामप्रिड) @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें या
- कॉन्फीडोर (इमिडाक्लोप्रिड) @ 100 एमएल/एकड़ का छिड़काव करें या
- बिलीफ (थाइमिथोक्सम 12.6% + लेम्ब्डासाइहलोथ्रिन 9.5% ZC) @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें या
- एबासिन (एबामेक्टिन 1.8% ईसी) @ 150 एमएल का छिड़काव करें।
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- वयस्क कीट छोटे काले और पीले मक्खियों के जैसे दिखाई देते हैं।
- लार्वा अपने विकास के पूरा होने पर पत्ती से बाहर निकलते हैं और उसके बाद मादा कीट पत्ती के ऊतक के भीतर अंडे देने के लिए पत्ती में भेदन करती हैं।
- इसके परिणामस्वरूप पौधे का विकास रूक जाता है और बल्ब की उपज कम हो जाती है।
- प्रभावित पौधे की पत्तियों मे सुरंग दिखाई देती है।
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- मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते हैं।
- इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
- मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अंडे देती है।
- मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुँचाती है।
- इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।
- अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
- मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते हैं, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते हैं।
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- मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते हैं।
- इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
- मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अंडे देती है।
- मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुँचाती है।
- इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।
- अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
- मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते हैं, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते हैं।
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