- हेलिकोवरपा आर्मीजेरा एक बहुत ही हानिकारक एवं बहुभक्षीय कीट है जिसे फल व फली छेदक कीट के रूप में भी जाना जाता है।
- इस कीट का प्रकोप सभी फसलों पर होता है, मुख्य रूप से इसका प्रकोप चना, मटर, कपास, अरहर, भिन्डी, टमाटर व गोभी में अधिक देखा गया है।
- हेलिकोवरपा आर्मीजेरा (फल व फली छेदक कीट) की केवल सुण्डियां ही नुकसान पहुंचाती हैं। इस कीट का प्रकोप फसल की शुरूआती अवस्था से ही शुरू हो जाता है।
- यह कीट पहले पौधे के नरम भागों को और बाद में फल एवं बीज को खाता है।
- इस कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC@ 80 मिली/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
बवेरिया बेसियाना का फसलों में महत्व
- बवेरिया बेसियाना एक जैविक कीटनाशक है। यह दरअसल एक प्रकार का फफूंद है जिसका उपयोग सभी फसलों में लगने वाले सभी प्रकार के कीटों के नियंत्रण के लिए किया जाता है।
- बवेरिया बेसियाना का उपयोग विभिन्न प्रकार की लेपिडोप्टेरा वर्ग की सुंडियों जैसे चने की सुंडी, बालदार सुंडी, रस चूसने वाले कीट, एफिड, फुदको, सफेद मक्खी, दीमक तथा मकड़ी आदि के नियंत्रण के लिए किया जाता है।
- यह कीटों की सभी अवस्थाएं जैसे अण्डे, लार्वा, प्यूपा, ग्रब और निम्फ इत्यादि पर आक्रमण करके उनको ख़त्म कर देता है।
- बवेरिया बेसियाना का उपयोग छिड़काव के रूप में किया जा सकता है क्योंकि यह फसल की पत्तियों पर चिपक कर वहाँ पर अपनी क्रिया द्वारा पत्तियों पर उपस्थित रस चूसक कीटों एवं सुंडी वर्गीय कीटों को खत्म करने का काम करता है।
- इसका उपयोग मिट्टी उपचार में भी किया जा सकता है क्योंकि यह मिट्टी में जाकर वहाँ उपस्थित मिट्टी जनित कीटों के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आने वाले कुछ दिनों में देश के कई राज्यों में होगी तूफ़ानी बारिश, मौसम विभाग का अलर्ट जारी
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश जारी है जिसकी वजह से शहर का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। मौसम विभाग के अनुसार अरब सागर में मानसूनी प्रवाह बना हुआ है साथ ही मध्य प्रदेश के दक्षिणी इलाकों में कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। इन्हीं वजहों से इन क्षेत्रों में बारिश हो रही है।
मौसम विभाग की मानें तो आने वाले 2 दिनों तक यह स्थिति बनी रहेगी और अगले 4 से 5 दिनों में कई राज्यों में भारी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले 24 घंटों के दौरान गंगीय पश्चिम बंगाल, तटीय ओडिशा, गुजरात, कोंकण गोवा, तटीय कर्नाटक, केरल और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। इसके अलावा दक्षिण-पूर्वी राजस्थान और मध्य प्रदेश के भी कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम मानसूनी बौछारों के बीच एक या दो जगहों पर भारी वर्षा देखने को मिल सकती है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareकपास की 60 से 80 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन
- कपास की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग-अलग प्रकार की इल्लियों एवं रस चूसक कीटों का प्रकोप भारी नुकसान पहुँचाते हैं।
- इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित एवं जीवाणु जनित बीमारियाँ भी कपास की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करती है।
इनके प्रबंधन के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग किया जाता है
- इल्ली के प्रबंधन के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या मोनोक्रोटोफॉस 36% SL @ 400 मिली/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रस चूसक कीट के प्रबंधन हेतु डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC @ 250 मिली/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रोग प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या कसुंगामायसीन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से छिड़काव करें।
- पोषण प्रबंधन के लिए एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ + 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मिर्च की 60 से 80 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन
- मिर्च एक कीट प्रिय पौधा है और इसी कारण मिर्च की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग-अलग प्रकार की इल्लियों एवं रस चूसक कीटों का प्रकोप होता है।
- इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित एवं जीवाणु जनित बीमारियाँ भी मिर्च की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं।
इनके प्रबंधन के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग करें
- रस चूसक कीट प्रबंधन के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली।एकड़ का उपयोग करें।
- इल्ली के प्रबंधन हेतु प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- इसके जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रोग प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या कसुंगामायसीन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- इसके जैविक उपचार के रूप में सूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- पोषण प्रबंधन: मिर्च की फसल में अच्छी वृद्धि के लिए एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ + 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
किसानों को सरकार की तरफ से मिलेगा 15 लाख करोड़ का कृषि कर्ज
कृषि क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है ऐसे में सरकार हमेशा कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए कार्य करती रहती है। इसी कड़ी में सरकार ने इस साल 15 लाख करोड़ रुपए का कृषि कर्ज किसानों को देने का लक्ष्य बनाया है। सरकार इस बड़ी धन राशि को कृषि क्षेत्र की अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत किसानों को देने वाली हो।
15 लाख करोड़ रुपये के कृषि कर्ज के लक्ष्य के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण योजना किसान क्रेडिट कार्ड है। अब तक इस योजना का लाभ 1 करोड़ से ज्यादा किसानों को दिया भी जा चुका है। इसी प्रकार अन्य कृषि योजनाओं के अंतर्गत भी इस बड़ी राशि को कर्ज के रूप में किसानों में वितरित किया जाएगा।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareमक्का की फसल में एफिड एवं ईयर हेड बग का प्रबंधन
- ईयर हेड: ईयर हेड बग का निम्फ और वयस्क रूप अनाज के भीतर से रस चूसते हैं। जिसके कारण दाने सिकुड़ जाते हैं और काले रंग में बदल जाते हैं।
- एफिड: यह एक छोटा कीट है जो पौधों से चूसकर फसल को नुकसान पहुँचाता है। यह बड़ी संख्या में पत्तों के नीचे रहकर पौधों को नुकसान पहुँचाता है।
- इसके नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं।
- प्रोफेनोफॉस 50% EC@ 500 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रिड 20% SP @100 ग्राम/एकड़ या एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़।
मक्का की फसल में सैनिक कीट का प्रबंधन
- यह कीट दिन में मिट्टी के ढेलों, पुआल के ढेर आदि में छिप जाता है और रात भर फसलों को खाता रहता है। प्रभावित खेत/फसल में इसकी संख्या काफी देखी जा सकती है।
- यह कीट बहुत तेज़ी से फसलों को खाता है और काफी कम समय में पूरे खेत की फसल को खाकर ख़त्म कर सकता है। अतः इस कीट का प्रबंधन/नियंत्रण आवश्यक है।
- जिन क्षेत्रों में सैनिक कीट की संख्या अधिक है उस खेत में इसका प्रबंधन/नियंत्रण तत्काल किया जाना बहुत आवश्यक है।
- छिड़काव:- लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 5% EC 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC 100 मिली/एकड़ या क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 1.15% WP @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जिन खेतो में इसका प्रकोप थोड़ी कम मात्रा में हो वहां किसान खेत के मेड पर या खेत की बीच में पुआल के छोटे छोटे ढेर लगा कर रखें। जब बहुत अधिक धुप पड़ती है तब आर्मी वर्म (सैनिक कीट) छाया की खोज में इन पुआल के ढेर में छिप जाता है। शाम को इन पुआल को इकट्ठा करके जला देना चाहिए।
मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या है गेहूं, सोयाबीन, चना आदि का भाव?
इंदौर के गौतमपुरा मंडी में गेहूं का भाव 1800 रूपये प्रति क्विंटल का है। वहीं बात करें उज्जैन स्थित खाचरौद मंडी की तो यहाँ गेहूं का भाव 1729 रूपये प्रति क्विंटल है। खाचरौद मंडी में सोयाबीन का भाव फिलहाल 3520 रूपये प्रति क्विंटल है।
उज्जैन के बडनगर मंडी की बात करें तो यहाँ गेहूं का भाव 1900 रूपये प्रति क्विंटल, डॉलर चने का भाव 3910 रूपये प्रति क्विंटल, आम चने का भाव 4180 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का भाव 3598 रूपये प्रति क्विंटल है।
रतलाम के ताल मंडी में गेहूं का भाव 3550 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का भाव 1700 रूपये प्रति क्विंटल है। इसके अलावा रतलाम स्थित रतलाम मंडी में गेहूं 1810 रूपये प्रति क्विंटल, आलू 2020 रूपये प्रति क्विंटल, चना विशाल 3790 रूपये प्रति क्विंटल, टमाटर 1620 रूपये प्रति क्विंटल, डॉलर चना 5390 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन 3571 रूपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रही है।
स्रोत: किसान समाधान
Shareसोयाबीन की फसल में एन्थ्रेक्नोज/पोड ब्लाइट की रोकथाम
- इसका संक्रमण फसल की परिपक्वता के समय मुख्यतः तने पर दिखाई देता है और इससे पत्तियों पर अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देते हैं।
- प्रबंधन के लिए टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ और कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ और थायोफिनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार हेतु ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।