- आलू की फसल रबी की मुख्य फसल है और बारिश के मौसम के बाद मिट्टी में बहुत अधिक नमी होने के कारण आलू की फसल की बुआई के बाद खरपतवार बहुत अधिक मात्रा में उगने लगते हैं।
- सभी प्रकार के खरपतवारों का नियंत्रण समय पर एवं उचित खरपतवारनाशी का उपयोग करके किया जा सकता है।
- बुआई के 1-3 दिनों बाद खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिए पेंडामेथलिन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ का छिडकाव करें।
- इस प्रकार छिड़काव करने से बुआई के बाद शुरूआती अवस्था में उगने वाले खरपतवारों का नियंत्रण किया जा सकता है।
- बुआई के बाद दूसरे छिड़काव में मेट्रीब्युजीन 70% WP @ 100 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव बुआई के 3-4 दिन बाद या आलू का पौधा जब 5 सेमी का होने लगे तो उससे पहले ये छिडकाव करें।
- अंतिम छिड़काव (सकरी पत्ती के लिए): बुआई के 20-30 दिनों बाद करें। इस अंतिम छिड़काव में प्रोपेकुजाफोफ 10% EC या क्विज़लॉफ़ॉप इथाइल 5% EC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
केंद्र सरकार ने प्याज के बीज एक्सपोर्ट पर लगा दी है रोक, जानें वजह
कुछ हफ्ते पहले प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब इसी कड़ी में सरकार ने प्याज के बीजों के एक्सपोर्ट पर भी अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है। देश में प्याज की उपलब्धता बरकरार रहे इसी वजह से सरकार ने यह निर्णय लिया है।
इस निर्णय की जानकारी विदेश व्यापार निदेशालय की तरफ से दी गई है। निदेशालय द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना में यह बताया गया कि प्याज के बीज के एक्सपोर्ट को निषिद्ध श्रेणी डाल दिया गया है, पहले यह प्रतिबंधित श्रेणी में था।’ इसका मतलब यह हुआ की अब प्याज के बीज के एक्सपोर्ट पर पूरी तरह से रोक लग गई है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareप्याज़ एवं लहसुन की फसल में ऐसे करें खरपतवारों का प्रबंधन
- मिट्टी में प्राकृतिक रूप से बहुत प्रकार के मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं पर अत्यधिक खरपतवारों के प्रकोप के कारण प्याज़ एवं लहसुन की फसल को ये पोषक तत्व पूरी तरह नहीं मिल पाते हैं।
- इसके कारण फ़सल में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- प्याज़ एवं लहसुन की अच्छी फसल उत्पादन के लिए समय-समय पर खरपतवार प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है। इसके लिए निम्र प्रकार से खरपतवार प्रबंधन किया जा सकता है।
- पेंडिमेथालीन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ की दर से बुआई के 3 दिनों के अंदर लहसुन में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए इसकी सिफारिश की जाती है।
- प्रोपेक़्युज़ाफॉप 5% + ऑक्सीफ़्लोर्फिन 12% EC @ 250-350 मिली/एकड़ फसल में लगाने के 25-30 दिनों के बाद और 40-45 दिन बाद उपयोग करें।
- ऑक्सीफ़्लोर्फिन 23.5% EC @ 100 मिली/एकड़ + प्रोपेक़्युज़ाफॉप 10% EC @ 300 मिली/एकड़ या क्युजालोफॉप इथाइल 5% EC @ 300 मिली/एकड़ की दर से बुआई के 20 से 25 दिनों में छिड़काव करें।
मटर की फसल में एफिड के लक्षण एवं नियंत्रण की विधि
- एफिड (माहु) एक छोटे आकार का कीट है जो पत्तियों का रस चूसते हैं जिसके फलस्वरूप पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं और पत्तियों का रंग पीला हो जाता है।
- इसके कारण बाद में पत्तियाँ कड़क हो जाती हैं और कुछ समय बाद सूखकर गिर जाती हैं।
- मटर के जिस पौधे पर एफिड का प्रकोप होता है उस पौधे का विकास ठीक से नहीं होता है एवं पौधा रोग ग्रस्त दिखाई देता है।
- इस रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL.@ 100 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या ऐसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
लहसुन की फसल में कैल्शियम तत्व की होती है अहम भूमिका
- लहसुन की फसल के लिए कैल्शियम एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व होता है और यह फसल की पैदावार तथा गुणवत्ता को बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- कैल्शियम के कारण जड़ स्थापना में वृद्धि होती है एवं कोशिकाओं के विस्तार को बढ़ाता है जिससे पौधों की ऊँचाई बढ़ती है।
- यह रोग और ठंढ से सहिष्णुता बढ़ाता है, यद्यपि लहसुन में कैल्शियम की सिफारिश की गई मात्रा उपज, गुणवत्ता और भंडारण क्षमता के लिए अच्छी होती है।
- कैल्शियम की अनुशंसित खुराक 4 किलोग्राम/एकड़ या मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार देना चाहिए।
खुशखबरी: जल्द ही सब्जियों की भी समर्थन मूल्य पर होगी खरीदी
केरल सरकार की तरफ से कुल 21 खाने–पीने की वस्तुओं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण कर दिया गया है और इसमें 16 प्रकार की सब्जियों को भी शामिल किया गया हैं। केरल सरकार यह व्यवस्था एक नवंबर से शुरू करने जा रही है। केरल की ही तरह मध्यप्रदेश सरकार भी कुछ इसी प्रकार का कदम उठाने की सोच रही है।
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भी अब सब्जियों को एमएसपी पर खरीदने की तैयारी में है। ये बातें मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कही। उन्होंने कहा कि “अनाज के समर्थन मूल्य के बाद अब सब्जियों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की योजना प्रदेश सरकार बना रही है ताकि कृषि उद्योग की श्रेणी में आ जाए। गेहूं, चना, मूंग, मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीदी के बाद अब सब्जियां भी समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएंगी।”
स्रोत: जागरण
Shareलहसुन की फसल में ऐसे करें थ्रिप्स का प्रबंधन
- लहसुन की फसल में ऐसे करें थ्रिप्स का प्रबंधन थ्रिप्स छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते हैं जो पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक मात्रा में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।
- अपने तेज मुखपत्र के साथ ये पत्तियों, कलियों एवं फूलों का रस चूसते हैं। इनके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों पर भूरे रंग की हो जाती हैं।
- प्रभावित पौधे की पत्तियां सुखी एवं मुरझाई हुई दिखाई देती हैं, या पत्तिया विकृत हो जाती हैं और ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।
- थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए रसायनों को अदल बदल करके ही उपयोग करना आवश्यक होता है।
- थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
प्याज़ के पौध की रोपाई करते समय ज़रूर करें पोषण प्रबंधन
- प्याज़ की पौध को मुख्य खेत में लगाने से पहले पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- इस बात का विशेष ध्यान रखें की रोपाई के समय खेत में सभी पोषक तत्वों की पूर्ति होना आवश्यक है।
- इस समय पोषण प्रबधन करने के लिए युरिया @ 25 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
- युरिया का उपयोग नाइट्रोज़न के स्रोत के रूप में एवं फसल एवं मिट्टी में नाइट्रोज़न की कमी की पूर्ति के लिए किया जाता है। यह फसल की बढ़वार के लिए आवश्यक होता है।
- इसी के साथ ग्रामोफ़ोन की पेशकश प्याज़ समृद्धि किट का उपयोग भी फसल को अच्छी वृद्धि और विकास देने के लिए किया जा सकता है।
समर्थन मूल्य पर कपास की खरीदी जारी, अब तक हुई करीब 1300 करोड़ की खरीदी
भारतीय खाद्य निगम तथा राज्यों की खरीद एजेंसियों की तरफ से खरीफ फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी जारी है। मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में समर्थन मूल्य के अंतर्गत कपास का खरीद अभियान जारी है। ख़बरों के अनुसार 27 अक्टूबर तक, करीब 1300 करोड़ रुपये मूल्य के कुल 4,42,266 कपास गांठों की खरीद की गई है और इससे 84138 किसानों ने लाभ उठाया है।
बात करें धान की तो अब तक 26 प्रतिशत से अधिक धान की खरीद की जा चुकी है। समर्थन मूल्य पर अब तक कुल 32196 करोड़ रुपये मूल्य की 170.53 लाख टन धान की खरीदी हो गई है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर, केरल और गुजरात में धान की खरीदी तेजी से जारी है जहां अब तक 170.53 लाख टन धान खरीदा गया है।
स्रोत: नवभारत टाइम्स
Shareलहसुन के पूरे फसल चक्र में कब कब करें सिंचाई, पढ़ें पूरी जानकारी
- लहसुन की फसल में बुआई के समय खेत में उचित नमी होना बहुत आवश्यक होता है, इसलिए बुआई के पहले खेत में हल्की सिंचाई जरूर करें। इसके अलावा बीज अंकुरण के तीन दिन पश्चात फिर से सिचाई करनी चाहिये।
- वनस्पति वृद्धि के हर एक सप्ताह बाद सिंचाई करना चाहिये या फिर आवश्यकता होने पर सिचाई करनी चाहिए।
- जब कंद परिपक्त हो रहे हों तब सिंचाई नही करनी चाहिये।
- फसल को निकालने के 2-3 दिन पहले सिचाई करनी चाहिये, इससे फसल को निकालने में आसानी होती है।
- फसल के पकने के दौरान भूमि में नमी कम नही होनी चाहिये, इससे कंद के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
