- मौसम में हो रहे परिवर्तनों के कारण लहसुन की फसल में बहुत अधिक समस्या आ रही है।
- इसके कारण लहसुन के पौधों की वृद्धि एवं विकास पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा है।
- लहसुन का पीलापन कवक जनित, कीट जनित एवं पोषण संबधी समस्या के कारण भी हो सकता है।
- यदि यह कवक जनित रोगों के कारण होता है तो कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ उपयोग करें।
- पोषक तत्वों की कमी के कारण पीलापन होने पर सीवीड@ 400 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- कीटों के प्रकोप के कारण पीलापन होने पर प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 80 ग्राम/एकड़ की दर उपयोग करें।
मध्यप्रदेश समेत इन राज्यों में आ सकती हैं तापमान में गिरावट
मध्य भारत के कई हिस्सों की बात करें तो मध्य प्रदेश, दक्षिणी गुजरात, छत्तीसगढ़, उड़ीसा के कुछ हिस्सों को छोड़कर, ये ठंडी हवाएँ मध्य प्रदेश के उत्तरी भागों में पहुँच रही हैं। जिसके कारण इन सभी भागों में तापमान नीचे गिर गया है, न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे पहुंच गया है और अगले दो-तीन दिनों के दौरान यह स्थिति बनी रहेगी।
स्त्रोत:- स्काईमेट वेदर
Shareआलू के भंडारण के समय अपनाई जाने वाली सावधानियाँ
- आलू की उपज बहुत जल्दी ख़राब हो जाती है अतः इसके भण्डारण की उचित व्यवस्था होना बहुत आवश्यक होता है।
- पर्वतीय क्षेत्रों में कम तापमान होने के कारण वंहा भण्डारण कि कोई विशेष समस्या नहीं आती है।
- भण्डारण की सबसे ज्यादा समस्या मैदानी भागों एवं ऐसे जगहों पर होती है जहाँ तापमान अधिक होता है।
- आलू के भण्डारण के पूर्व इस बात का विशेष ध्यान रखें की आलू का कंद पूरी तरह से परिपक्व हो।
- मैदानी क्षेत्रो में आलू को ख़राब होने से बचाने के लिए आलू को शीत गृहों में रखने कि आवश्यकता होती है।
- इन शीत भंडार गृहों में तापमान 1 से 2.5 डिग्री सेल्सियस और आपेक्षिक आद्रता 90-95% होना चाहिए।
- भण्डारण के बाद समय समय पर आलू की जांच करते रहना चाहिए जिससे की जो आलू खराब हो गया है उसको अच्छे आलू से अलग कर लिया जा सके।
मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में रहेगा आसमान साफ
मध्य भारत के भागों में 25 प्रतिशत पहुंचा था बारिश का आंकड़ा लेकिन 3 दिन हो चुके गुजरात से लेकर महाराष्ट्र्र, मध्यप्रदेश, ओरिसा इन राज्यों मैं आसमान रहेगा साफ।
वीडियो स्रोत: स्काइमेट वेदर
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31 जनवरी तक चुकाएं ऋण और पाएं 90 प्रतिशत तक की छूट
भारतीय स्टेट बैंक द्वारा ऋण समाधान योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत ऋण बकायादारों को एक बड़ी राहत दी गई है। 31 जनवरी 2021 से पहले ऋण जमा कराने वालों को 90 प्रतिशत तक की छूट दी जाएगी। यानी अब पुराने बकायादारों ने जो ऋण ले रखा है, केवल 10 प्रतिशत राशि की अदायगी कर ऋण मुक्त हो जाएंगे। 31 जनवरी 2021 तक एक मुश्त ऋण समाधान योजना का लाभ उठा सकते हैं और कर्ज को चुकता कर सकते हैं। लोन श्रेणी एनपीए के अनुसार, बकायादारों सन्दिग्ध खाता 1, सन्दिग्ध खाता 2, संदिग्ध खाता 3 में 90 प्रतिशत तक माफी ले सकते हैं।
किस प्रकार से लोन पर मिलेगा योजना का लाभ।
इस योजना के तहत आवास लोन को छोड़कर कृषि, व्यवसाय आदि किसी भी तरह के एनपीए लोन पर छूट दी जाएगी। बैंक डिफाल्टर आवेदन के साथ कुल बकाया के 10 प्रतिशत राशि जमा करके माफी योजना का लाभ ले सकते हैं। दोषी को 31 जनवरी तक आवेदन देने पर बैंक द्वारा अतिरिक्त 5 से 15 प्रतिशत तक बतौर प्रोत्साहन राशि लाभ मिल सकता है। डिफाल्टर बैंक से संपर्क करके अपने एनपीए खाता से सबंधित जानकारी ले प्राप्त कर सकते हैं। खास बात यह है कि कृषि लोन लेने वाले किसानों को इस योजना का अधिक लाभ मिल पाएगा |
ऋण समाधान होने के लीये पात्र।
भारतीय स्टेट बैंक के सहायक प्रबंधक के अनुसार, ऐसा ऋण खाता जो 31 दिसंबर 2019 या उससे पूर्व एनपीए में वर्गीकृत हो चुका हो, प्रति ऋणी कुल बकाया 20 लाख रुपए तक हो, इस तरह के सभी खाते ऋण समाधान योजना में पात्र हैं |
कहाँ संपर्क करना है?
इस योजना का लाभ उठाने के लिए आप अपनी गृह शाखा या SBI की निकटतम शाखा से संपर्क कर सकते हैं। आप सीमित समय के लिए इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
स्त्रोत: – कृषि जागरण
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गेहूँ की फसल में उकठा रोग का ऐसे करें नियंत्रण
- गेहूँ की फसल में होने वाला यह रोग एक जीवाणु एवं कवक जनित रोग है जो फसल को काफी नुकसान पहुँचाता है।
- बैक्टीरियल विल्ट संक्रमण के लक्षण संक्रमित पौधों के सभी भागों पर देखे जा सकते हैं।
- इसके कारण पत्तियां पीली हो जाती हैं। आगे चलकर पूरा पौधा सूख जाता है और मर जाता है।
- इसके कारण गेहूँ की फसल गोल घेरे में सूखना शुरू हो जाती है।
- इसके नियंत्रण हेतु कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
मध्यप्रदेश में फूड प्रोसेसिंग से जुड़ने हेतु किसानों को दिया जाएगा तकनीकी ज्ञान
मध्य प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई फैसले ले रही है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण कारोबार से किसानों को जोड़ने के लिए नई पहल की है। सरकार ने किसानों का तकनीकी ज्ञान मुहैया कराने का ऐलान किया है।
ये जानकारी मध्य प्रदेश सरकार में खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह ने दी है। उन्होंने कहा कि ‘किसान खेती उत्पादन के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण से जुड़कर भी उपज के कारोबारी बनने की दिशा में काम करें। किसानों को फूड प्रोसेसिंग बिजनेस से जुड़ने के लिए टेक्निकल स्किल्स की जरूरत पड़ेगी, जिसके लिए सरकार उनकी मदद करने को तैयार है। सरकार किसानों को आर्थिक मदद के साथ-साथ तकनीकी कौशल का ज्ञान भी मुहैया कराएगी।”
स्रोत: वन इंडिया डॉट कॉम
Shareमध्यप्रदेश समेत इन राज्यों में ख़त्म होगा बारिश का दौर, जानें मौसम पूर्वानुमान
बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में आज से मौसम साफ़ होने के आसार हैं और बारिश का दौर धीरे धीरे खत्म हो जाएगा।
वीडियो स्रोत: स्काइमेट वेदर
Shareतरबूज़ के तने से निकल रहा हो गोंद जैसा चिपचिपा प्रदार्थ तो हो जाएँ सावधान
- तरबूज की फसल में गमी स्टेम ब्लाइट नामक घातक रोग के लक्षण पहले पत्तियों पर और फिर तने पर गहरे भूरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं।
- इसके घाव पत्ती की मार्जिन पर पहले विकसित होते हैं, लेकिन अंततः पूरी पत्तियों पर फैल जाते हैं।
- तने पर गमोसिस ब्लाइट के लक्षण घाव के रूप में दिखायी देते हैं। ये आकार में गोलाकार होते हैं और भूरे रंग के होते हैं।
- गमोसिस ब्लाइट या गमी स्टेम ब्लाइट का एक मुख्य लक्षण यह है की इस रोग से ग्रसित तने से गोंद जैसा चिपचिपा प्रदार्थ निकलता है।
- कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ के रूप में प्रति माह उपयोग करें।
तरबूज़ में बुआई पूर्व बीज़ उपचार करें और पाएं जबरदस्त पैदावार
- रासायनिक उपचार: बुआई पूर्व तरबूज़ के बीजों को कवकनाशी कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% DS @ 2.5 ग्राम/किलो बीज से बीज़ उपचार करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम + PSB बैक्टेरिया @ 2 ग्राम/किलो बीज या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
- बीज उपचार करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें की बीज उपचार के बाद उपचारित बीजों को उसी दिन बुआई के लिए उपयोग कर लिया जाए। उपचारित बीजों को संगृहीत करके ना रखें।
