शुरू होंगे 10000 नए एफपीओ, सरकार ₹6850 करोड़ करेगी खर्च, पढ़ें पूरी जानकारी

10000 new FPOs to start, Government will spend ₹6850 crore, read full information

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर 10 हजार नए एफपीओ खोलने की बात दोहराई है। उन्होंने कहा की “भारत में 86% छोटे तथा सीमांत किसान हैं और इनकी हर प्रकार की सहायता हेतु एफपीओ को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत सरकार देश में 10 हजार नए एफपीओ बनाने जा रही है, जिन पर आने वाले 5 वर्ष में 6850 करोड़ रूपए खर्च होंगे।”

बता दें की पिछले दिनों मधुमक्खी पालकों/शहद संग्राहकों के लिए 5 नए एफपीओ का शुभारंभ कुछ दिन पहले ही किया गया है। ये नए एफपीओ मध्य प्रदेश के मुरैना, पश्चिम बंगाल के सुंदरबन, बिहार के पूर्वी चंपारण, राजस्थान के भरतपुर और उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में बनाये गए हैं।

एफपीओ कृषक उत्पादक संगठन को कहते हैं। ये वैसे किसानों का समूह होता है जो कृषि उत्पादन के काम में हो और आगे चल के खेती से संबंधित व्यावसायिक गतिविधियां चलाने में सक्षम हो। आप भी एक समूह बना कर कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड हो सकते हैं।

कैसे करें आवेदन
इसके आवेदन हेतु आधिकारिक वेबसाइट http://sfacindia.com/FPOS.aspx पर जाएँ और आवेदन हेतु पूछी गई जानकारियों को सही सही भर दें। अधिक जानकारी के लिए इस लिंक http://sfacindia.com/UploadFile/Statistics/Farmer%20Producer%20Organizations%20Scheme.pdf पर क्लिक करें।

कृषक उत्पादक संगठन से जुड़े हुए किसानों को अपने उत्पादन के लिए बाजार के साथ साथ खाद, बीज, दवा तथा खेती के उपकरण आदि भी आसानी से सस्ती दरों पर मिल पाएंगे। इससे छोटे-मझौले किसानों के जीवन में बदलाव आएगा और इनकी आय काफी बढ़ेगी।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश समेत इन क्षेत्रों में आने वाले कुछ दिनों में हो सकती है बारिश

weather forecast

दक्षिण पूर्वी एवं पूर्वी मध्यप्रदेश के साथ साथ छत्तीसगढ़, झारखंड, तटीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, विदर्भ, मराठवाड़ा जैसे क्षेत्रों में कल से आने वाले कुछ दिनों तक बारिश की संभावना बन रही है। इसके साथ ही पहाड़ों पर हल्की बर्फबारी के भी आसार बन रहे हैं। उत्तर भारत में घना कोहरा छाये रहने की संभावना है। हालाँकि अब सर्दी के जल्द विदाई की संभावना बन गई है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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करेले की फसल में फल मक्खी का प्रबंधन

Management of fruit fly in bitter gourd crop
  • फल मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अण्डे देती है और अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुंचाती है।
  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनके भीतरी भाग को खाते है। इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते हैं।
  • इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है। अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
  • इस समस्या से ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों का नियंत्रण करने के लिये करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, पौधे की उचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी पत्तों के नीचे अंडे देती है।
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की मक्खी की सुप्त अवस्था को नष्ट करना चाहिये।
  • कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप और फेरामोन ट्रैप का उपयोग करें।
  • इसके नियंत्रण के लिए फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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फसलों में पत्ती झुलसा रोग के लक्षण एवं बचाव के उपाय

Symptoms and prevention of leaf blight disease in crops
  • ब्लाइट एक कवक एवं जीवाणु जनित बीमारी है। इसके लक्षणों में पौधों में गंभीर पीलापन, भूरापन, स्पॉटिंग, मुरझाने की समस्या या फिर पत्तियों, फूलों, फलों, तने और कभी कभी पूरे पौधे का मरना शामिल होता है।
  • आमतौर पर यह रोग पूरे पौधे और पौधे के तेजी से बढ़ते ऊतकों पर हमला करते हैं।
  • फंगल और बैक्टीरियल ब्लाइट्स के प्रकोप में अधिक नमी सबसे बड़ा कारण होती है।
  • जीवाणु जनित रोग के निवारण के लिए कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड@ 24 ग्राम/एकड़ या कसुगामाइसिन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ या सूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ से छिड़काव करें।
  • कवक जनित रोगों के निवारण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@500 ग्राम/एकड या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.30% W/W@ 250 मिली/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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मूंग समृद्धि किट से कई किसानों को हुआ मूंग का बम्पर उत्पादन, जानें इसके फायदे

Moong Samriddhi Kit

मूंग की फसल के लिए ग्रामोफ़ोन की ख़ास पेशकश ‘मूंग समृद्धि किट’ के उपयोग से पिछले वर्ष कई किसानों ने मूंग का बम्पर उत्पादन प्राप्त किया। इस साल भी किसान इस किट को इस्तेमाल करने वाले हैं। आप भी इसके इस्तेमाल से अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। आइये जानते हैं इस किट की खासियत क्या है?

  • मूंग समृद्धि किट दरअसल एक भूमि सुधारक की तरह कार्य करता है।
  • इस किट में तीन आवश्यक बैक्टीरिया PK एवं राइजोबियम है, जो मिट्टी में PK (फॉस्फोरस + पोटाश) की पूर्ति करके फसल के स्वस्थ्य बढ़वार में सहायता करते हैं।
  • इसके साथ ही राइजोबियम का जीवाणु वातावरण से प्राप्त नाइट्रोज़न को सरल रूप में परिवर्तित करके फसल को प्रदान करने का कार्य करता है।
  • इस किट में एक जैविक कवकनाशी ट्रायकोडर्मा विरिडी को शामिल किया गया है जो मूंग की फसल को कवकजनित रोगों से सुरक्षित रखता है।
  • इस किट में समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड एवं मायकोराइज़ा जैसी सामग्री का भी संयोजन है। ये मिट्टी की गुणवत्ता में काफी सुधार करता है, साथ ही मायकोराइज़ा सफेद जड़ के विकास में मदद करता है। ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सुधार करके मूंग की फसल के बेहतर वनस्पति विकास में भी मदद करता है।
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गिलकी की फसल में लीफ माइनर का ऐसे करें प्रबंधन

Leaf Miner in Sponge gourd
  • लीफ माइनर के वयस्क गहरे रंग के होते हैं।
  • यह कीट गिलकी की पत्तियों पर आक्रमण करता है।
  • इससे पत्तियों पर सफेद रंग की टेढ़ी-मेढ़ी धारियां बन जाती हैं।
  • यह धारियाँ इल्ली के द्वारा पत्ती के अंदर सुरंग बनने के कारण होता है।
  • इससे फसल की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते हैं।
  • कीट से ग्रसित पौधों में फल एवं फूल लगने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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भारत में लॉन्च हुआ सीएनजी ट्रैक्टर, किसानों के लिए होगा काफी फ़ायदेमंद

CNG tractor launched in India

वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की तरफ बढ़ते हमारे देश में सीएनजी से चलने वाले ट्रैक्टर का शुभारम्भ हो गया है। शुक्रवार को सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने इस ट्रैक्टर को लॉन्च किया।

लॉन्चिंग के दौरान श्री गडकरी ने कहा कि ‘डीजल के बजाए सीएनजी ट्रैक्टर के इस्तेमाल से किसान सालाना एक लाख रुपये बचा सकेंगे। सीएनजी ट्रैक्टर से 80% वायु प्रदूषण कम होगा, वहीं नए उत्सर्जन मानक के तहत उनको चलाने पर प्रतिबंध भी नहीं लगेगा और 15 वर्ष तक किसान ऐसे ट्रैक्टरों को चला सकेंगे।’ ग़ौरतलब है की सरकार 15 वर्ष से अधिक पुराने व्यावसायिक वाहनों को हटाने की योजना बना रही है।

सीएनजी वाले ट्रैक्टर का उपयोग कर किसान अपने पैसे बचा सकेंगे। आने वाले दिनों में कई डीजल से सीएनजी में परिवर्तित करने वाली तकनीक से जुड़े केंद्र गांव-कस्बों में खोले जाएंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर भी पैदा होंगे।

स्रोत: लाइव हिंदुस्तान

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16 फ़रवरी से मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में हो सकती है बेमौसम बारिश

weather forecast

मध्य भारत में इस समय विपरीत चक्रवातीय हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इस दौरान हवाएं ऊपर से नीचे की ओर आती हैं जिससे हवाएं गर्म होती है। इस कारण मध्य भारत के ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम शुष्क बना हुआ रहेगा और दिन का तापमान बढ़ेगा। हालांकि आगामी 16 फ़रवरी से बेमौसम बारिश की संभावना है जो मध्य भारत के कई क्षेत्रों में अपना प्रभाव छोड़ेगी।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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प्रो-अमिनो मैक्स के उपयोग से होगा आपकी फसल का सम्पूर्ण विकास

Pro-AminoMaxx gives complete growth to your crop
  • प्रो-अमीनो मैक्स एक जैविक उत्पाद है।
  • यह जड़ विकास को तेज करता है।
  • फूलों और फलों की संख्या बढ़ाता है।
  • पौधें की कमजोरियों को दूर करता है।
  • मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि करता है।
  • फसलों की पैदावार को बढ़ाने में मदद करता है।
  • पौधे को मौसम एवं रसायनो के कारण होने वाले तनाव से रक्षा करता है।
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प्याज की फसल में अनियन मेगट का ऐसे करें प्रबंधन

How to prevent onion maggot in onion crop
  • प्याज का मेगट सफेद रंग का बहुत छोटा कीट होता है।
  • यह प्याज़ के कंद को बहुत नुकसान पहुँचाता है।
  • बड़े कंदो में 9 से 10 मैगट एक साथ हमला करते हैं और उसे खोखला बना देते हैं।
  • इसके कारण प्याज़ का कंद पूरी तरह सड़ जाता है।
  • इस कीट के निवारण के लिए फिप्रोनिल 0.3% 7.5 या कारटाप हाइड्रोक्लोरइड 7.5 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाएं।
  • फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या क्लोरोपायरीफॉस 20% EC@ 1 लीटर/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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