मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में आगामी एक-दो दिनों में होगी बारिश, जाने मौसम पूर्वानुमान

Weather report

मध्य भारत में पिछले कई दिनों से प्री-मानसून बारिश हो रही है और इस समय की जो बारिश है वो फसलों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। बारिश के साथ ही तेज हवाएँ चल रही है और ओले गिरने की भी खबर आ रही है। उम्मीद है कि दक्षिणी मध्य प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के ज्यादा तर इलाकों में अगले एक-दो दिनों तक बारिश की गतिविधियाँ जारी रहेगी।

स्रोत : स्काईमेट वेदर

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टमाटर की फसल का मकड़ी के प्रकोप से ऐसे करें बचाव

How to control tomato crop from mite outbreak
  • यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते हैं और टमाटर की फसल के कोमल भागों जैसे पत्तियां, फूल, कलियों एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
  • इसके प्रकोप के कारण पत्तियों पर सफ़ेद रंग के धब्बे बन जाते हैं।
  • जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में पौधा मर जाता है।
  • प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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गेहूँ की कटाई के बाद फसल अवशेष पर ऐसे करें डीकम्पोजर का उपयोग

How to use decomposer after harvesting of wheat
  • गेहूँ की कटाई के बाद उसके फसल अवशेष बहुत अधिक मात्रा में खेत में रह जाते हैं।
  • इन अवशेषों के कारण अगली लगाई जाने वाली फसल में इन अवशेषों के कारण कवक जनित एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में होता है।
  • कवक एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप नई फसल में ना हो इसके लिए गेहूँ की कटाई के बाद खाली खेत में या फिर फसल की बुआई के बाद दोनों ही स्थिति में डीकम्पोजर का उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इसके लिए यदि किसान तरल द्रव्य का उपयोग करना चाहते हैं तो 1 लीटर/एकड़ की दर से डीकम्पोजर का उपयोग छिड़काव के रूप में कर सकते हैं।
  • इसके अलावा ग्रामोफोन किसानों को स्पीड कपोस्ट के नाम से डीकम्पोजर उपलब्ध करवा रहा है जिसको 4 किलो/एकड़ में 10 किलो यूरिया के साथ मिलाकर, खेत की 50-100 किलो मिट्टी में मिलाकर खेत में भुरकाव करें।
  • जब डीकम्पोजर का उपयोग किया जा रहा हो तो इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।
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कद्दू वर्गीय फसलों को स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस के उपयोग से मिलते हैं कई लाभ

Benefits of Pseudomonas fluorescens in cucurbits crops
  • स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस एक जैविक कवकनाशी एवं जीवाणु नाशी की तरह कार्य करता है।
  • यह कद्दू वर्गीय फसलों को कवक जनित, जीवाणु जनित, मिट्टी जनित एवं बीज़ जनित रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • बदलते मौसम के कारण फसलों पर होने वाले प्रतिकूल प्रभावों से यह फसल की रक्षा करता है।
  • यह कद्दू वर्गीय फसलों में गमी स्टेम ब्लाइट रोग को नियंत्रित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • कद्दूवर्गीय फसलों में अच्छे जड़ विकास, फल विकास, फूल विकास अड्डी में भी यह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस कद्दूवर्गीय फसलों को प्रभावित करने वाले रोग जैसे आर्द्र गलन, जड़ गलन, उकठा, तना गलन, फल सड़न, तना झुलसा आदि की रोकथाम में भी सहायक होता है।
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मध्य प्रदेश के मंडियों में 20 मार्च को क्या रहे फसलों के भाव

Mandi Bhaw Madhya Pradesh

 

मंडी फसल न्यूनतम अधिकतम
मंदसौर धनिया 5400 7003
मंदसौर चना 4200 4751
मंदसौर अलसी 5800 6250
मंदसौर मेथी 5400 5860
मंदसौर सोयाबीन 4800 5550
खरगोन कपास 4600 6455
खरगोन गेहूं 1650 1876
खरगोन चना 4436 4941
खरगोन मक्का 1175 1325
खरगोन सोयाबीन 5351 5351
खरगोन डॉलर चना 7341 8000
खरगोन तुवर 5350 6270
नीमच शरबती गेहूं 2250 2250
नीमच लोकवन गेहूं 2000 2050
नीमच सोयाबीन 5400 5552
नीमच मेथी 5700 6200
नीमच धनिया 6800 9100
नीमच रायडा 5100 5400
नीमच अलसी 5850 6150
नीमच विशाल चना 4800 4840
नीमच चना 4600 4886
नीमच डॉलर चना 7800 9000
नीमच मसूर 5000 5350
नीमच उड़द 4500 6400
हरसूद सोयाबीन 4727 5313
हरसूद तुवर 4000 6110
हरसूद गेहूं 1703 1724
हरसूद चना 4498 4700
हरसूद मूंग 4900 4900
हरसूद मक्का 1276 1276

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तरबूज की दो पत्ती अवस्था में लीफ माइनर के प्रकोप का ऐसे करें नियंत्रण

Leaf Miner attack in a two leaf state of watermelon
  • लीफ माइनर कीट के वयस्क गहरे रंग के होते हैं।
  • इस कीट का तरबूज की फसल की दो पत्ती अवस्था में बहुत प्रकोप दिखाई दे रहा है।
  • इसके कारण पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती है। यह धारियाँ इल्ली के द्वारा पत्ती के अंदर सुरंग बनाये जाने के कारण बनती हैं।
  • इससे तरबूज के पौधे की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते हैं।
  • इस कीट से ग्रसित पौधों की फल एवं फूल लगने की क्षमता पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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मध्य प्रदेश में जारी बारिश का दौर अब धीरे धीरे थम जाएगा, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather Forecast

मध्य प्रदेश समेत मध्य भारत के अन्य क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से जारी बारिश का दौर आगामी 24 घंटे में थम जाएगा। बता दें कि पिछले 24 घंटे में मध्य प्रदेश के जबलपुर, भोपाल, सागर, सतना, रायसेन, उमरिया जैसे कई क्षेत्रों में बारिश के साथ साथ बिजली चमकने की भी खबर आई है और कुछ क्षेत्रों से ओलावृष्टि की भी खबर है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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टमाटर की फसल के लिए पोटाश होता है बहुत महत्वपूर्ण

Importance of Potash for Tomato Crop
  • टमाटर की फसल में अच्छे फल उत्पादन के लिए पोटाश का बहुत अधिक महत्व होता है।
  • फसल की शुरुआती अवस्था में पोटाश का उपयोग जमीन से करने पर टमाटर की जड़ों का विकास बहुत अच्छा होता है।
  • पोटाश पौधों में संश्लेषित शर्करा को फलों तक पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • पोटाश प्राकृतिक नत्रजन की कार्य क्षमता को भी बढ़ावा देता है।
  • टमाटर के सुर्ख़ लाल रंग के लिए आवश्यक लाइकोपेन के निर्माण के लिए भी पोटाश जरूरी है।
  • पोटाश टमाटर के फल का वजन बढ़ाने में भी मदद करता है।

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मध्य प्रदेश के मंडियों में 19 मार्च को क्या रहे फसलों के भाव

Mandi Bhaw Madhya Pradesh

 

मंडी फसल न्यूनतम अधिकतम मॉडल
हरसूद सोयाबीन 3299 5275 5100
हरसूद तुवर 5700 6100 5950
हरसूद गेहूं 1600 1745 1711
हरसूद चना 4400 4700 4580
हरसूद मूंग 5301 5301 5301
हरसूद मक्का 1250 1265 1260
हरसूद सरसो 4201 4642 4600
खरगोन कपास 4850 6730 6000
खरगोन गेहूं 1650 2002 1740
खरगोन चना 4400 4900 4650
खरगोन मक्का 1241 1380 1360
खरगोन सोयाबीन 5130 5376 5320
खरगोन डॉलर चना 7350 7850 7600
खरगोन तुवर 5500 6700 6500

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लौकी की फसल में एफिड प्रकोप के लक्षण एवं बचाव के उपाय

How to control aphid in bottle gourd crop
  • एफिड रस चूसक कीटों की श्रेणी में आते हैं।
  • ये कीट लौकी की फसल की पत्तियों का रस चूसकर पौधे के विकास को प्रभावित करते हैं।
  • इससे ग्रसित पौधे की पत्तियां पीली होकर सिकुड़ कर मुड़ जाती हैं।
  • इसके अत्यधिक संक्रमण की अवस्था में पत्तियां सूख जाती हैं और धीरे-धीरे पूरा पौधा सूख जाता है।
  • एफिड एक प्रकार का मधु रस छोड़ते हैं जिसके कारण काले फफूंद का प्रकोप होता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ या एसीफेट 75% SP@ 300 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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