स्वास्थ्य के लिए वरदान है बकरी का दूध

Goat milk is a boon for health
  • बकरी का दूध प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज व इम्युनोग्लोबुलिन की पर्याप्त मात्रा से युक्त होता है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता हैं।
  • गाय के दूध की तुलना में बकरी के दूध में अल्फा कैसिइन की मात्रा कम, कपा कैसिइन की बराबर और बीटा कैसिइन की उच्च मात्रा होती है। बकरी के दूध में कम अल्फा कैसिइन पाचनशक्ति को बढ़ाता है।
  • बकरी का दूध पेट व आंत के रोगों के उपचार में सहायक है।
  • एलर्जी और कैंसर के उपचार के लिए भी बकरी का दूध उत्तम माना गया है।
  • बकरी के दूध में संयुग्मित लिनोलिक एसिड (सीएलए) की उच्च मात्रा होती है। सीएलए की इसके एंटी कारसिनोजेनिक गुण के कारण कोलोरेक्टल और स्तन कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका पाई गई है।
  • डेंगू व चिकनगुनिया जैसे रोगों में बकरी का दूध इस रोग की रोकथाम व इलाज के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • बकरी का दूध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
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देवास के किशन चंद्र ने मूंग की खेती से पाया बम्पर उत्पादन, ग्रामोफ़ोन को कहा धन्यवाद

Kishan Chandra Rathore of village Nemawar under Khategaon tehsil of Dewas

कोई भी किसान खेती इसलिए करता है ताकि उसे इससे अच्छा मुनाफ़ा प्राप्त हो और खेती से मुनाफ़ा प्राप्त करने के लिए जो दो महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखने वाली होती हैं उनमें पहला ‘खेती की लागत को कम करना’ होता है और दूसरा ‘उत्पादन को बढ़ाना’ होता है। इन्हीं दो बिंदुओं पर ध्यान दे कर देवास जिले के खातेगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम नेमावर के किसान श्री किशन चंद्र राठौर जी ने पिछले साल मूंग की फसल से बम्पर उत्पादन प्राप्त किया था। इस बम्पर उत्पादन को प्राप्त करने के लिए किशन जी ने ग्रामोफ़ोन से भी मदद ली थी।

दरअसल किशन चंद्र जी दो साल पहले ग्रामोफ़ोन से जुड़े थे। शुरुआत में उन्होंने ग्रामोफ़ोन से थोड़ी बहुत सलाह ली लेकिन पिछले साल जब वे मूंग की खेती करने जा रहे थे तब उन्होंने अपने 10 एकड़ ज़मीन में आधे पर ग्रामोफ़ोन की सलाह अनुसार खेती की और बाकी के आधे ज़मीन पर अपने पुराने अनुभवों के आधार पर खेती की। ग्रामोफ़ोन की सलाह पर किशन चंद्र जी ने अपने खेतों में सॉइल समृद्धि किट डलवाया और बुआई से लेकर कटाई तक विशेषज्ञों से सलाह लेते रहे जिसका असर उत्पादन में देखने को मिला।

जब फसल की कटाई हुई तब उत्पादन के आंकड़े चौंकाने वाले थे। जिन पांच एकड़ के खेत में किशन जी ने अपने अनुभव के आधार पर खेती की उसमे महज 18 क्विंटल मूंग का उत्पादन हुआ और लागत ज्यादा रही वहीं ग्रामोफ़ोन की सलाह पर खेती किये गए पांच एकड़ के खेत में 25 क्विंटल मूंग का उत्पादन हुआ और लागत भी काफी कम लगी थी।

ग्रामोफ़ोन की सलाह ने जहाँ लागत कम किया वहीं उत्पादन में 7 क्विंटल का इज़ाफा कर दिया। पिछले साल के अपने इन्हीं अनुभवों को किशन जी ने टीम ग्रामोफ़ोन से शेयर किया और कहा की इस साल भी वे मूंग की फसल ग्रामोफ़ोन की सलाह पर अपने पूरे 10 एकड़ के खेत में लगाएंगे।

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उड़द में सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग से बचाव

Prevention of Cercospora leaf spot disease in Black gram
  • पत्तियों पर लाल भूरे किनारों से घिरे हुए कई छोटे छोटे हल्के पीले -भूरे रंग के गोल धब्बे हो जाते हैं।
  • इसी तरह के धब्बे शाखाओं और हरी फलियों पर भी होते हैं।
  • पत्तियों पर गंभीर रूप से धब्बे होने पर फलियों के बनने के समय भारी मात्रा में पत्ते झड़ने लगते है।
  • रोग के शुरुआती अवस्था में कार्बेन्डाजिम 12 + मैनकोजेब 63 WP 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें और 10 दिन बाद छिड़काव दोहराये।
  • इससे उपचार हेतु क्लोरोथालोनिल 33.1 + मेफेनोक्साम 3.3 SC 400 मिली या एजॉक्सीस्टॉबिन 11 + टेबुकोनाजोल 18.3 SC 250 मिली/एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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