मप्र के किसानों ने बनाया रिकॉर्ड, पूरे देश में सबसे ज्यादा गेहूं उपार्जन करने वाला राज्य बना

MP becomes number one state in the country, surpassing Punjab in wheat procurement

मध्यप्रदेश के किसानों ने बड़ा रिकॉर्ड बना दिया है। यह रिकॉर्ड समर्थन मूल्य पर हुए गेहूँ उपार्जन में बना है। दरअसल देश भर में मध्यप्रदेश ने इस बार सबसे ज्यादा गेहूं का उपार्जन किया है। 15 जून तक मध्यप्रदेश में एक करोड़ 29 लाख 28 हजार मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन समर्थन मूल्य पर हुआ है। इतना गेहूं आज तक किसी राज्य में उपार्जित नहीं किया गया था और यह अब तक का ऑलटाइम रिकार्ड है।

कोरोना महामारी के कारण लम्बे समय तक चले देशव्यापी लॉकडाउन के बीच मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूँ उपार्जन के प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इस मसले पर 23 मार्च से लगातार मुख्यमंत्री ने 75 बैठकें एवं जिला कलेक्टर्स के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की और गेहूँ उपार्जन की प्रतिदिन समीक्षा की। कोरोना लॉकाडाउन एवं निसर्ग तूफान के रुकावटों को पीछे छोड़ते हुए मध्यप्रदेश के किसानों ने यह बड़ा रिकॉर्ड बना दिया।

स्रोत: पत्रिका

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धान की खेती में बुआई से पहले ऐसे करें बीज़ उपचार

Paddy Seed Treatment
  • धान की फसल में बीज उपचार से फफूंद एवं जीवाणु द्वारा फैलने वाले फफूंद एवं जीवाणु जनित रोगों का नियंत्रण हो जाता है। 
  • रोगों से बचाव के लिए एक किलो बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 64% या 2.5 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% +थायरम का उपयोग करें। 
  • जैविक उपचार के रूप में फास्फेट सोलुबलाइज़िंग बैक्टीरिया 2 ग्राम + ट्रायकोडर्मा विरिडी 5 ग्राम/किलो बीज या 
  • फॉस्फोरस सोलुबलाइज़िंग बैक्टीरिया 2 ग्राम + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करके ही बुआई करनी चाहिए।  
  • उपचार के बाद बीज को समतल छायादार स्थान पर फैला दें तथा भीगे जूट की बोरियों से ढक दें। 
  • बीज उपचार के तुरंत बाद बुआई करें। उपचार के बाद बीज को ज्यादा देर तक रखना उचित नहीं है। 
  • उपचारित  बीज का समान रूप से बुआई कर दें। ध्यान रखें कि बीज की बुआई शाम को करें क्योंकि अधिक तापमान से अंकुरण के नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है। 
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धान की नर्सरी की तैयारी कैसे करें?

paddy nursery
  • एक एकड़ के खेत के 1/10 भाग में नर्सरी लगाएं। ज्यादा बड़े भाग में नर्सरी लगाने के बाद उसके प्रबंधन में कठिनाई आती है।
  • 2 से 3 जुताई कर के खेत को समतल कर लें और खेत की मिट्टी को भुरभुरी कर लें।
  • खेत से पानी निकलने का सही इंतजाम करें।
  • नर्सरी के लिए 1.0 से 1.5 मीटर चौड़ी व 4 से 5 मीटर लंबी क्यारियां एवं उभरी हुई क्यारियाँ बनाना सही रहता है।
  • नर्सरी में बीज बुआई से पहले उपचारित ज़रुर करें।
  • नर्सरी में 100 किलोग्राम पकी हुई गोबर की खाद या FYM का उपयोग 10 किलो/वर्ग मीटर और इसके साथ में ह्यूमिक सीवीड 100ग्राम/वर्ग मीटर की दर से भुरकाव करें।
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राजधानी भोपाल पर टिड्डी दल का बड़ा हमला, मूंग और सब्जियों की फसल को भारी नुकसान

Locusts team knocked in Madhya Pradesh, Can cause heavy damage to crops

पिछले कुछ हफ्ते से रुक रुक कर टिड्डी दल के हमले राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई जिलों में हो रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार शाम मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में टिड्डियों ने हमला कर दिया। लाखों की संख्या में टिड्डियां होशंगाबाद रोड से लेकर बरखेड़ा पठानी, एम्स और अवधपुरी इलाके तक छा गईं।

ख़बरों के अनुसार टिड्डी दल ने विदिशा से बैरसिया होते हुए भोपाल में प्रवेश किया। शनिवार रात प्रशासन को बैरसिया में टिड्डी दल के होने की खबर मिली थी। बैरसिया से लेकर विदिशा नाके तक कृषि विभाग ने टिड्डियों को रोकने के इंतज़ाम कर लिए थे, लेकिन रविवार शाम टिड्डी दल ने भोपाल में प्रवेश कर लिया।

बहरहाल कृषि विभाग टिड्डी दल से निपटने इंतज़ाम कर रहा है। इसके लिए कृषि विभाग ने टीम तैयार की है जो टिड्डियों पर केमिकल का छिड़काव कर के इन्हें मार देंगे। इसके लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की मदद भी ली जाएगी।

भोपाल से पहले टिड्डी दल ने विदिशा में फसलों को नुकसान पहुंचाया। बताया जा रहा है की यहाँ टिड्डी दल ने चौथी बार हमला किया है। यहाँ 6 गांवों में मूंग और सब्जियों की फसल को भारी नुकसान हुआ है।

स्त्रोत: भास्कर

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मक्का की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले ऐसे करें बीज उपचार

  • मक्का की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले बीज उपचार कर लेना चाहिए। ऐसा करने से फफूंद एवं जीवाणु द्वारा फैलने वाले फफूंद एवं जीवाणु जनित रोगों का नियंत्रण होता है।
  • इससे बीजों के अंकुरण के समय या अंकुरण के बाद मिट्टी जनित एवं बीज जनित कवक रोगों एवं कीटों से रक्षा होती है। 
  • सम्पूर्ण फसल का सामान विकास एवं परिपक्वता होती है।  
  • बीज उपचार दो प्रकार से किया जाता है जैविक और रासायनिक तरीके से।
  • जैविक उपचार के लिए PSB बैक्टीरिया + ट्राइकोडर्मा विरिडी @2 ग्राम/किलो बीज + 5 ग्राम/किलो बीज का उपयोग करना चाहिए। 
  • वहीं रासायनिक उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 2.5 ग्राम/किलो बीज। 
  • इमिडाक्लोप्रिड 48% FS @ 5 मिली/किलो बीज या  
  • कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% WP@ 2.5 ग्राम/किग्रा बीज या 
  • साइंट्रानिलिप्रोएल 19.8% + थियामेथोक्साम 19.8% FS @ 6 मिली/किलो बीज का उपयोग करें। 
  • मक्का में फॉल आर्मी वर्म नियंत्रण के लिए भी बीज़ उपचार बहुत महत्वपूर्ण होता है। 
  • बीज उपचार करने के लिए सबसे पहले बुआई के लिए बीजों का चयन करें एवं बीज को बताई गयी मात्रा में उपचारित करें। इसके अलावा उपचार के तुरंत बाद बीज की बुआई करें। बीज को संग्रहीत करके ना रखें।
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बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन का महत्व

Fertilizer management at the time of sowing
  • सोयाबीन की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुआई के समय उर्वरक का सही उपयोग बहुत आवश्यक होता है। इससे फसल के अंकुरण में बहुत फायदा होता है। 
  • उर्वरक प्रबंधन के लिए MOP @ किलो/एकड़ + DAP @ 40 किलो/एकड़ + केलड़ान 5 किलो/एकड़ + धानटोटसु 100 ग्राम/एकड़ + ज़िंक सल्फेट 3 किलो/एकड़ + वोकोविट 3 किलो/एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें।
  • इसके लिए किसान भाई सोया समृद्धि किट का भी उपयोग कर सकते है। 
  • बुआई के समय खेत में उचित नमी होना बहुत आवश्यक है। ताकि उर्वरक का संपूर्ण लाभ फसल को मिल सके।
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कृषि यंत्र अनुदान के अंतर्गत इस तारीख तक किसान कर सकते हैं आवेदन

krishi yantra subsidy scheme

कोरोना महामारी की वजह से इस साल किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र देने की प्रक्रिया में देर हुई। हालांकि अब इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत आवेदन मांगे गए थे। इसी कड़ी में अब विभिन्न कृषि यंत्रों को अनुदान पर देने के लिए पोर्टल खोल दिया गया है।

इस योजना का लाभ उठाने की इच्छा रखने वाले किसान दिनांक 13 जून 2020 दोपहर 12 बजे से 22 जून 2020 तक ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल (https://dbt.mpdage.org/index.htm) पर आवेदन कर सकते हैं। ग़ौरतलब है की पिछले साल कृषि यंत्र अनुदान के नियमों में कुछ परिवर्तन किया गया था। इन्ही परिवर्तनों के साथ इस साल भी अब किसान दी गई तारीखों के बीच में कभी भी आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: किसान समाधान

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सोयाबीन की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले करें बीज उपचार

Seed Treatment in Soybean
  • सोयाबीन की फसल में बीज उपचार करने से फफूंद एवं जीवाणु द्वारा फैलने वाले फफूंद एवं जीवाणु जनित रोगों का नियंत्रण हो जाता है। 
  • रोग से बचाव के लिए एक किलो बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 64% या 2.5 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम या थियोफेनेट मिथाइल + पायरोक्लोरेस्ट्रोबिन 2 मिली या फास्फेट सोलुबलाइज़िंग बैक्टीरिया + ट्रायकोडर्मा विरिडी 2 ग्राम/किग्रा + राइजोबियम कल्चर  5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर सेबीज उपचार करके ही बुआई करनी चाहिए। 
  • इसके बाद बीज कों समतल छायादार स्थान पर फैला दें तथा भीगे जूट की बोरियों से ढक दें। 
  • बीज उपचार के तुरंत बाद बुआई करें, उपचार के बाद बीज को ज्यादा देर तक  रखना उचित नहीं है।
  • उपचारित बीज का समान रूप से बुआई कर दें। ध्यान रखें कि बीज की बुआई शाम को करें क्योंकि अधिक तापमान से अंकुरण नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है। 
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फ़सलों में सफेद ग्रब का प्रबंधन कैसे करें

How to protect the cotton crop from the white grub

सफेद ग्रब

सफ़ेद ग्रब सफेद रंग का कीट हैं जो सर्दियो में खेत में सुसुप्तावस्था में ग्रब के रूप में रहता है।

सफेद ग्रब से क्षति के लक्षण

आमतौर पर प्रारंभिक रूप में ये जड़ों में नुकसान पहुंचाते हैं। सफेद ग्रब के लक्षण पौधे पर देखे जा सकते है, जैसे कि पौधे या पौध का एक दम से मुरझा जाना, पौधे की बढ़वार रूक जाना और बाद में पौधे का मर जाना इसका मुख्य लक्षण है।

सफेद ग्रब का प्रबंधन:

इस कीट के नियंत्रण के लिए जून माह में और जुलाई के शुरूवाती सप्ताह में मेटाराईजियम स्पीसिस (kalichakra) 2 किलो + 50-75 किलो FYM/कम्पोस्ट के साथ मिलकर प्रति एकड़ की दर से खाली खेत में भुरकाव करें या सफेद ग्रब के नियंत्रण के लिए रासायनिक उपचार भी किया जा सकता है। इसके लिए  फेनप्रोपेथ्रिन 10% EC @ 500 मिली/एकड़, क्लोथियानिडिन 50.00% WG @ (डोन्टोटसु) 100 ग्राम/एकड़ को मिट्टी में मिला कर उपयोग करें।

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ड्रिप इरिगेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को दे रही 4 हजार करोड़ रुपए

Government is giving 4 thousand crores rupees to farmers for promoting drip irrigation

किसान भाई आजकल सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल खूब कर रहे हैं। केंद्र सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है और “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” स्कीम के अंतर्गत विभिन्न राज्य के किसानों के लिए 4 हजार करोड़ रुपए आवंटित किये हैं। इस स्कीम के पीछे का मुख्य उद्देश्य खेती में पानी के उपयोग को कम करके पैदावार बढ़ाना है।

ग़ौरतलब है की केंद्र सरकार ने सिंचाई प्रक्रिया में पानी की एक-एक बूंद का उपयोग करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई है। इस योजना के अंतर्गत ही ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप- माइक्रो इरीगेशन’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप- माइक्रो इरीगेशन’ कार्यक्रम के अंतर्गत सिंचाई की आधुनिक तकनीकों पर जोर दिया रहा है। इसके साथ ही विभिन्न राज्य के किसानों को 4000 करोड़ रुपए आवंटित कर दिए हैं। इस कार्यक्रम का लक्ष्य सूक्ष्म सिंचाई तकनीक जैसे ड्रिप और स्प्रिंक्लर इरिगेशन सिस्टम द्वारा खेतों में पानी का कम उपयोग करके अधिक पैदावार लेना है।

स्रोत: कृषि जागरण

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