खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में मिलेगा अनुदान, किसानों की आय में होगी वृद्धि

खाद्य प्रसंस्करण तथा संरक्षण क्षमता से जुड़े इकाइयों के निर्माण और पहले से बने इकाइयों के आधुनिकीकरण को लेकर सरकार सजग नजर आ रही है। यही कारण है की सरकार इस क्षेत्र में लागत का 35% तक अनुदान देने का निर्णय कर चुकी है। यह अनुदान अधिकतम 5 करोड़ तक के निर्माण पर दिए जाएंगे।

इस योजना के अंतर्गत फल तथा सब्जियों, दूध, मांस/पोल्ट्री/मछली आदि के प्रसंस्करण के साथ साथ रेडी टू ईट/रेडी टू कुक खाद्य उत्पाद ब्रेकफास्ट सीरियल्स/स्नैक्स/बेकरी सहित अनाज/दालें, तेल और अन्य आधुनिक तकनीक से जुड़े प्रसंस्करण शामिल होंगे।

इस अनुदान को दिए जाने का उद्देश्य देश में प्रसंस्करण तथा संरक्षण क्षमताओं का विकास है और इसके अलावा वर्तमान में मौजूद खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के आधुनिकीकरण तथा विस्तार करना भी इसका लक्ष्य है।

स्रोत: कृषि अलर्ट

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मक्का की फसल में तना छेदक मक्खी का निवारण

Stem fly
  • तना छेदक मक्खी मक्का की फसल का एक प्रमुख कीट है जो पौधे के तने पर  प्रहार करती है। इसके प्रकोप के कारण मक्का के पौधे के तने का मुख्य भाग कट जाता है, जिसके कारण मक्का के पौधे का विकास रुक जाता है।
  • इस कीट का युवा रूप नए पौधे पर आक्रमण करता है जिसके कारण मक्का के पौधे सुख कर मर जाते हैं।    
  • इसके निवारण के लिए थियामेथोक्साम 12.6% + लैंबडा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC @80 ग्राम/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें
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फ़सलों में सफेद मक्खी के प्रकोप के लक्षण एवं बचाव

Increase the number of flowers by protecting the crop of moong and urad from white fly
  • सफेद मक्खी के शिशु  एवं वयस्क दोनों ही रूप  फ़सलों को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।  
  • यह पत्तियों का रस चूसकर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं एवं पौधे पर उत्पन्न होने वाली काली कवक नामक हानिकारक कवक के संक्रमण का कारण भी बनते हैं।  
  • इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में मिर्च की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है। फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण  से फ़सलों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं। 
  • प्रबंधन: इस कीट के निवारण के लिए डायफेनथुरोंन 50% SP@ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामाइड 50% WG @ 60 मिली/एकड़ या एसिटामेप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10%EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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इस तारीख से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की छठी किश्त मिलनी शुरू हो जाएगी

PM kisan samman

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की अगली किश्त जल्द आने वाली है। यह किश्त किसानों के बैंक खातों में दो हफ्ते बाद पहुँचनी शुरू हो जायेगी। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार किसानों के खाते में सीधे 6000 रुपये सालाना जमा करती है। यह 6000 रुपये की रकम तीन किस्तों में किसानों के खातों में भेजी जाती है। इसी रकम की अगली किश्त 1 अगस्त से सरकार किसानों के खातों में डालने जा रही है।

ग़ौरतलब है की केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत 24 फरवरी 2019 को की थी। हालांकि यह योजना 1 दिसंबर 2018 से ही प्रभाव में आ गया था।

अब तक इस योजना के अंतर्गत किसानों के बैंक खातों में 2000 रुपये की 5 किस्त भेजी जा चुकी है और आने वाले 1 अगस्त से किसानों के बैंक खातों छठी किस्त भी पहुँचनी शुरू हो जाएगी।

स्रोत: लाइव हिंदुस्तान

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फसलों पर मकड़ी के प्रकोप के लक्षण एवं बचाव के उपाय

Symptoms and prevention of spider outbreak on crops
  • मकड़ी छोटे एवं लाल रंग के होते हैं और फ़सलों के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल कली एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं। 
  • जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में इसकी वजह से पौधा मर जाता है।
  • मिर्च की फसल में मकड़ी के नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग किया जाता है।
  • प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से  छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में मेटारीजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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मिर्च की फसल में फलों की सड़न या डाई बैक/वेट रॉट रोग

Transplanting method and fertilizer management of Chilli
  • मिर्च की फसल में फलों की सड़न या डाई बैक रोग कवक के कारण होता है।
  • इस रोग में मिर्च की फसल की पत्तियों पर छोटे एवं गोल, भूरे तथा काले रंग के अनियमित बिखरे हुए धब्बे दिखाई देते हैं। 
  • मिर्च के फल पर पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं जिसके कारण फल में सड़न की समस्या शुरू हो जाती है। 
  • गीला सड़ांध रोग भी कवक जनित रोग है और इस रोग का प्रकोप मिर्च की फूल बनने की अवस्था में अधिक देखने को मिलता है। 
  • इस रोग से ग्रसित पौधे के तने एवं टहनियाँ संक्रमण के कारण गीली नजर आती हैं।   
  • इन रोगों के निवारण के लिए क्लोरोथालोनिल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 500 ग्राम/एकड़ या मेटिराम 55% + पायरोक्लोरेस्ट्रोबिन 5% WG@ 600 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • टेबूकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या ऐजोस्ट्रोबिन 11% + टेबूकोनाज़ोल 18.3% SC@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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परंपरागत कृषि विकास योजना के माध्यम से जैविक खेती को दिया जायेगा बढ़ावा

Paramparagat Krishi Vikas Yojana

केंद्र और राज्य सरकारें जैविक खेती को बढ़ावा दे रही हैं। इसके अंतर्गत परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के अंतर्गत तीन वर्ष तक प्रति हेक्टेयर भूमि पर 50 हजार रुपये की मदद दी जा रही है। इस मदद में किसान जैविक खाद, जैविक कीटनाशक तथा वर्मी कंपोस्ट इत्यादि खरीद सकता है। इस खरीदी के लिए 31000 रुपये मिलेंगे जो कुल लागत का 61 प्रतिशत होगा।

भारत सरकार इस योजना के लिए आवंटन दोगुना तक बढ़ा के जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली है। कृषि मंत्रालय ने सरकार को इस क्षेत्र हेतु आवंटित राशि को दोगुना बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है। अगर ऐसा हुआ तो आने वाले सालों में इस मद में सालाना 1300 करोड़ रुपये तक का आवंटन होगा।

स्रोत: एच एस न्यूज़

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सोयाबीन की फसल में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग

Alternaria leaf spot disease in soybean crop
  • अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग सोयाबीन की फसल में कभी-कभी बुआई के बाद से  ही दिखाई देने लगता है।
  • जब पौधा बड़ा हो जाता है तब यह सोयाबीन की फसल की पत्तियों और फली पर अपना प्रभाव छोड़ता है। 
  • इस रोग में पत्तियो पर भूरे रंग के गोल धब्बे दिखाई देते हैं। यह धब्बे धीरे धीरे बढ़ते जाते हैं और आखिर में ग्रसित पत्तियां सूख कर गिर जाती है। 
  • इस रोग के निवारण के लिए कार्बनडेंजियम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन @ 300 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।

 

 

 

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बुआई के 25 से 30 दिनों बाद सोयाबीन की फसल में करें ये छिड़काव

Spray management in Soybean Crop in 20-25 days
  • सोयाबीन की फसल में बुआई के 25 से 30 दिनों बाद कीट, रोग एवं पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक हो जाता है।
  • बुआई बाद सोयबीन की फसल में कवक जनित रोग जैसे अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट, जीवाणु धब्बा रोग आदि के निवारण के लिए कार्बनडेंजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें। 
  • सोयाबीन की फसल में होने वाले कीट जैसे तना छेदक एवं पत्ती छेदक आदि का भी प्रकोप होता है। इन कीटों के नियंत्रण के लिए लैंबडा साइहलोथ्रिन 4.9 CS@ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% SC@ 500 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • सोयाबीन की फसल की अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए सी वीड @ 400 मिली/एकड़ या एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक एसिड@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

 

 

 

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बुआई के 20वें से 50वें दिन के मध्य सोयाबीन की फसल में करें खरपतवारनाशी का उपयोग

Use Weedicide in Soybean Crop between 20th to 50th day of sowing
  • सोयबीन की फसल खरीफ सीजन की मुख्य फ़सलों में से एक है।
  • लगातार बारिश की वजह से सोयाबीन की फसल में बुआई के बाद समय समय पर खरपतवार का नियंत्रण करना आवश्यक हो जाता है। 
  • सोयबीन की फसल में बुआई के बाद चौड़ी पत्ती एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवार  बहुत अधिक मात्रा में उग जाते हैं। 
  • इन सभी प्रकार के खरपतवारों का नियंत्रण फसल बुआई के 20वें दिन से 50वें दिन के मध्य कर लेना चाहिए। 
  • इन खरपतवारो के नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग किया जा सकता है।
  • प्रोपैक्विज़ोफ़ॉप 10% EC @ 400 मिली/एकड़ यह एक चुनिंदा खरपतवार नियंत्रक है जिसका उपयोग चौड़ी पत्ती के खरपतवारों के लिए किया जाता है। 
  • क्विज़ोलोफ़ॉप इथाइल 5% EC @ 400 मिली/एकड़ चुनिंदा खरपतवार नियंत्रक है जिसका उपयोग सकरी पत्ती के खरपतवारों के लिए किया जाता है।
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