फसल बीमा योजना: जरूरी दस्तावेज़ों के साथ करें आवेदन, फसल के नुकसान पर होगी भरपाई

Crop Insurance

बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से अक्सर किसानों की फसल प्रभावित होती है। इससे बचने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी। इस योजना से किसान अपने फसल को होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। यह योजना साल 2016 में शुरू हुई जिससे अब तक देश के करोड़ो किसान लाभान्वित हो चुके हैं।

कैसे करें आवेदन?
इसका आवेदन आप बैंक के माध्यम से और ऑनलाइन भी कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन देने के लिए https://pmfby.gov.in/ लिंक पर जाकर फॉर्म भरें। इसके आवेदन के लिए एक फोटो और पहचान पात्र हेतु पैन कार्ड, ड्रायविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड या आधार कार्ड की जरुरत होती है। इसके अलावा एड्रेस प्रूफ के लिए भी एक दस्तावेज़ जरुरी होता है जिसके लिए किसान को खेती से जुड़े दस्तावेज़ और खसरा नंबर दिखाने होते हैं। फसल की बुआई हुई है इसकी सत्यता हेतु प्रधान, पटवारी या फिर सरपंच का पत्र देना होता है। एक कैंसिल चेक भी देना होता है ताकि क्लेम की राशि खाते में सीधे आए।

स्रोत: नई दुनिया

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पशुओं में आफरा की समस्या होने पर उपचार कैसे करें?

How to treat when the animals have Afra
  • आफरा हो जाने पर इलाज में देर करने से पशु की मृत्यु तक हो जाती है। इसलिए इलाज में देरी नही करनी चाहिए। तुरन्त चिकित्सक बुलाये या निम्न में से कोई एक उपाय करने से भी पशु की जान बचाई जा सकती है।
  • एक लीटर छाछ में 50 ग्राम हींग और 20 ग्राम काला नमक मिला कर उसे पिलाए। या
  • सरसों, अलसी या तिल के आधा लीटर तेल में तारपीन का तेल 50 से 60 मी.ली. मिला कर पिलाये। या
  • आधा लीटर गुनगुने पानी में 15 ग्राम हींग घोल कर नाल द्वारा पिलाये।
  • ऊपर दिए गये आफरे के घरेलू उपचार है तथा कुछ दवाइयाँ भी पशुपालक को अपने पास रखनी चाहिए ताकि चिकित्सक के समय पर ना आने पर उचित इलाज हो सके।
  • आफरा नाशक दवाइयों में एफ़्रोन, गार्लिल, टीम्पोल, टाईम्पलेक्स आदि प्रमुख है जिसे चिकित्सक के परामर्श पर ही पशु को देना चाहिए।
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पशुओं में आफरा रोग के लक्षण और कारण

Symptoms and Causes of Afra disease in animals
  • पशु को सांस लेने में कठिनाई होना, पशु का पेट अधिक फूल जाना, ज़मीन पर लेट कर पाँव पटकना,पशु का जुगाली नही करना, चारा-पानी बंद कर देना, नाड़ी की गति तेज हो जाना किन्तु तापमान सामान्य रहना आदि आफरे के प्रमुख लक्षण है।
  • आफरा का असर बढ़ने पर पशु की हालत गंभीर हो जाती है और कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है।
  • बरसीम, जई और दूसरे रसदार हरे चारे, विशेषकर जब यह गीले होते है तब पशु द्वारा खाया जाना आफरे का कारण बनते है।
  • गेहूं, मक्का जैसे अनाज ज्यादा मात्रा में खाने से भी आफरा हो जाता है क्योंकि इनमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है।
  • बरसात के दिनों में कच्चा चारा अधिक मात्रा में खा लेना, गर्मी के दिनों में उचित तापमान न मिलना, पाचन क्रिया गड़बड़ाना, अपच हो जाना, पशु को खाने के तुरन्त बाद खूब सारा पानी पिलाने आदि से भी आफरा हो जाता है।
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कृषि व्यवसाय हेतु 20 लाख के लोन पर मिलेगी 8.8 लाख की सब्सिडी, जानें आवेदन की प्रक्रिया

Government will give 8.8 lakh subsidy on loan of 20 lakh for agribusiness

पढ़े लिखे युवाओं को कृषि क्षेत्र में लाने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है। अब केंद्र सरकार ने कृषि संबंधित व्यवसाय को बढ़ावा देने और इससे ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ने का प्लान तैयार किया है। इस प्लान के अंतर्गत खेती से जुड़े व्यवसाय की शुरुआत के लिए 20 लाख रुपए तक का लोन सरकार देने वाली है।

आवेदन देने वाली व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से 20 लाख रुपए और पांच व्यक्तियों के समूह को 1 करोड़ रुपए तक का लोन दिया जाएगा। सामान्य वर्ग के आवेदकों को इस लोन पर 36 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिला वर्ग के आवेदकों को 44 प्रतिशत सब्सिडी दी जायेगी।

इस योजना का लाभ पाने के लिए किसी भी व्यक्ति को 45 दिन की ट्रेनिंग लेनी होती है। ट्रेनिंग के बाद अगर व्यक्ति इस लोन के योग्य पाया जाता है तो नाबार्ड उसे ऋण देगा। इस योजना से जुड़ने के लिए इस लिंक पर जाएँ https://www.acabcmis.gov.in/ApplicantReg.aspx

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किसानों को 36,000 रूपए सालाना पेंशन, जानें योजना की जानकारी और आवेदन की विधि

किसानों को वृद्धावस्था में कई प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ता है। शरीर कमजोर हो जाने से वे कृषि कार्यों में भी पूर्णतः भागीदारी नहीं निभा पाते इसी लिए उन्हें वृद्धावस्था आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। किसानों के वृद्धावस्था में इसी आर्थिक संकट को दूर करने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत बुढ़ापे में किसानों को 36,000 रूपए सालाना पेंशन दी जायेगी।

18 से 40 वर्ष के मध्य आने वाले किसान इस योजना में रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। किसानों को इस योजना में कम से 20 और अधिकतम 42 साल तक 55 से 200 रुपये का मासिक प्रीमियम जमा करना होगा। जितनी रकम किसान जमा करेंगे उतनी ही रकम सरकार भी इसमें जमा करेगी। आखिर में किसान के 60 वर्ष की उम्र पार करने के बाद सरकार की तरफ से 36,000 रूपए सालाना पेंशन मिलेगी। यह 36,000 रूपए किसानों 3 हजार रुपये के क़िस्त में हर माह दी जायेगी।

कैसे करें रजिस्ट्रेशन?

किसान इस योजना के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन अपने नज़दीकी कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर करवा सकते हैं। इसके रजिस्ट्रेशन में कोई शुल्क नहीं लगता है। अगर कोई किसान पीएम-किसान सम्मान निधि के अंतर्गत लाभ उठा रहा है तो उसे इस योजना के लिए सिर्फ आधार कार्ड लेकर जाना होता है।

किसानों का पैसा नहीं डूबेगा

अगर कोई किसान इस योजना को बीच में ही छोड़ना चाहता है तो उसके द्वारा जमा किया गया पैसा डूबेगा नहीं बल्कि उसके द्वारा जमा की गई रकम सेविंग अकाउंट के अंतर्गत मिलने वाले ब्याज के साथ लौटा दिया जाएगा।

स्त्रोत: कृषि जागरण

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मिर्च की फसल में वैज्ञानिक विधि से नर्सरी प्रबंधन कैसे करें?

How to manage scientific nursery in chili
  • मिर्च की पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले बीजों की बुआई 3 गुणा 1.5 मीटर आकार की भूमि में करनी चाहिए तथा इसमें क्यारियां जमीन से 8-10 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए ताकि पानी इकट्ठा होने से बीज व पौध सड़ न जाये।
  • एक एकड़ क्षेत्र के लिए 100 ग्राम मिर्च के बीजों की आवश्यकता होती है। 150 किलो अच्छी सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुंद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएं ताकि मिट्टी की संरचना के साथ पौधे का विकास अच्छा हो और हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाए।
  • बुआई के 8-10 दिन बाद एफिड व जैसिड कीट आने पर 10 ग्राम थाइमेथोक्सोम 25% WG 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें तथा 20-22 दिन बाद दूसरा छिड़काव 5 ग्राम फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG को 15 लीटर पानी संग छिड़काव करें।
  • बुआई के 15-20 दिन बाद आर्द्र गलन की समस्या नर्सरी में आती है, अतः 0.5 ग्राम थियोफिनेट मिथाइल 70 WP का छिड़काव या डेंचिंग प्रति वर्ग मीटर करें या 30 ग्राम मेटालैक्सील 4% + मैंकोजेब 64% WP को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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ऐसे तैयार करें बोतल बंद गन्ने का रस

You can prepare cane juice in a bottle
  • तीन किलो गन्ने के रस के लिए एक निम्बू और 2-3 ग्राम अदरक का रस मिलाएं।
  • गन्ने के रस को 600-700 सेन्टीग्रेड तापमान पर 15 मिनट तक गर्म करें।
  • कचरे या गन्देपन को मसलिन वाले कपड़े से छानकर निकाल दें।
  • गन्ने के रस को साफ़ और सुरक्षित रखने के लिए 1 ग्राम सोडियम मेटाबाईसल्फाइड प्रति 8 लीटर रस में डालें।
  • इस रस को गर्म पानी से जीवाणुरहित की गई बोतलों में भरकर कार्क लगाने वाली मशीन की सहायता से कार्क लगाएं।
  • इस बोतल बंद रस को 6-8 सप्ताह के लिए भण्डारित किया जा सकता है।
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मध्यप्रदेश बना वैज्ञानिक विधि से गेहूँ का भंडारण करने वाला अग्रणी राज्य

MP becomes the leading state in wheat storage through scientific method

मध्यप्रदेश में गेहूं की खरीदी 15 अप्रैल से रोज़ाना चल रही है और अब इसका भंडारण भी शुरू हो गया है। यहाँ गेहूँ का भंडारण वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है। वैज्ञानिक तरीके से भंडारण करने के मामले मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य बन गया है। राज्य की 289 सहकारी समितियों ने 1 लाख 81 हजार से भी अधिक किसानों से 11 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन किया है। इस उपार्जित गेहूं का भंडारण 25 साईलो बैग और स्टील साइलो में किया जा रहा है।

साईलो बैग और स्टील साइलो के बारे में बताते हुए प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण श्री शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि यह खाद्यान्न भंडारण की सबसे आधुनिक तकनीकी है। इसमें खाद्यान्न को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए कीटनाशक औषधियों का इस्तेमाल करने की कोई जरुरत नहीं होती है। बिना कीटनाशक का इस्तेमाल किये ही इस तकनीक के जरिये लंबे समय तक खाद्यान्न को सुरक्षित रखा जा सकता है।

यह तकनीक सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने में मददगार है
प्रमुख सचिव श्री शुक्ला बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने में भी साइलो बैग वाली तकनीक मददगार है। इस तकनीक से भंडारण करने में मानव श्रम की कम आवश्यकता होती है। इस पद्धति में किसान ट्रैक्टर, ट्रॉली या ट्रक में अपनी उपज लेकर पहुँचता है, तो धर्म-काँटे से तौल करने के बाद हाइड्रोलिक सिस्टम के द्वारा एक ही बार में उसका पूरा गेहूं भंडारण के लिए खाली करा लिया जाता है। इस पूरे कार्य में 15 से 20 मिनट ही लगते हैं और ज्यादा लोगों की भीड़ भी जमा नहीं होती है।

स्रोत: जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश

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ग्रामोफ़ोन का साथ मिलने से इंदौर के धीरज रमेश चंद्र बने ‘स्मार्ट किसान’

Dheeraj Ramesh Chandra of Indore becomes 'smart farmer' with the help of Gramophone

इंदौर जिले के देपालपुर तहसील के करजोदा गांव के रहने वाले किसान भाई धीरज रमेश चंद्र अपने पिताजी के समय से खेती करते आ रहे हैं वे बताते हैं की “पहले बहुत पुराने तरीके से खेती होती थी लेकिन अब बहुत सारे नए तरीके आ गए हैं। बाजार में बहुत सी दवाइयाँ उपलब्ध हैं, लेकिन दवाइयाँ जो लेने जाते हैं उसकी जगह पर दुकानदार अन्य दवाइयाँ दे देते हैं। इसीलिए इन दवाइयों पर कोई भरोसा नहीं होता, की फसल बचेगी या ख़राब होगी।”

धीरज जब अपनी इन्हीं समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे थे तभी वे ग्रामोफ़ोन के सम्पर्क में आये। उन्होंने अपने ग्रामोफ़ोन से संपर्क का वाक्या बताते हुए कहा की “जब मैं अपनी समस्या का समाधान ढूंढ रहा था तभी मुझे गांव के लोगों से ग्रामोफ़ोन के बारे में जानकारी मिली। मैंने ग्रामोफ़ोन से दवाइयाँ मंगवानी शुरू की। यहाँ से मुझे दवाइयाँ ऑरिजनल, अच्छी क्वालिटी की, उचित दाम पर, सही समय पर और अपने घर पर ही प्राप्त हुई।

धीरज ने ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के फायदे बताते हुए कहा की “फसल में मुझे जब भी कोई समस्या आई तो मैंने उसकी फोटो खींच कर ग्रामोफ़ोन एप पर अपलोड किया और ग्रामोफ़ोन की तरफ से उन्हें तत्काल मदद मिल गई।” उन्होंने अन्य किसानों के लिए यह भी बताया की अगर आप स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं तब भी टोल फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल देकर भी अपनी समस्या का समाधान करवा सकते हैं। आखिर में उन्होंने ग्रामोफ़ोन को किसानों का सच्चा मित्र और साथी भी बताया।

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म.प्र. में किसानों को गेहूं उपार्जन की राशि मिलनी शुरू, अब तक दिए गए 200 करोड़

मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की शुरुआत हुए एक हफ्ते से ज्यादा हो गया है। अब प्रदेश के किसानों को गेहूं उपार्जन की राशि मिलनी भी शुरू हो गई है। इसकी जानकारी खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी। उन्होंने कहा कि “प्रदेश में चल रहे रबी उपार्जन कार्य में गेहूं की राशि किसानों के खातों में भिजवाए जाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। उपार्जन की लगभग 200 करोड़ रुपए की राशि बैंकों को भिजवा दी गई है। यह राशि 02-03 दिन में किसानों के खातों में पहुँच जाएगी।”

बता दें की पिछले साल की तुलना में इस बार अभी तक मंडियों के माध्यम से दोगुना गेहूं बिक चुका है। मुख्यमंत्री मंत्रालय में अपने मंत्रियों एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रबी उपार्जन के कार्य की मॉनिटरिंग स्वयं कर रहे थे। इस बैठक में अब तक हुए गेहूं उपार्जन से जुड़ी जानकारी देते हुए बताया गया कि अब तक हुई खरीदी में से 81% सौदा पत्रक से हुई है। इसके अंतर्गत व्यापारी किसानों के घर से ही गेहूं ख़रीद रहे हैं।

बहरहाल बता दें की मंडियों के माध्यम से अब तक पिछले साल की तुलना में दोगुने गेहूं की खरीदी हो चुकी है। पिछले साल वर्तमान समय तक जहाँ मंडियों से 1.11 लाख मी.टन गेहूं की खरीदी हुई थी वहीं इस बार अभी तक 2 लाख 14 हजार मी.टन गेहूं की खरीदी हो चुकी है।

स्रोत: जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश

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