- यह वायरस जनित रोग है जिसमें पत्तियां पीली पड़कर मुड़ जाती हैं।
- इस बीमारी में पत्तियों की शिराएँ पीली दिखाई देने लगती है।
- यह रोग रसचूसक कीट सफेद मक्खी से फैलता है।
- इससे नियंत्रण हेतु डाइफेनथूरोंन 50% WP 200 ग्राम या पायरिप्रोक्सिफ़ेन 10% + बाइफेन्थ्रिन 10% EC 200 मिली या एसिटामिप्रिड 20% SP 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
वर्षाकालीन बैंगन में उर्वरक प्रबंधन कैसे करें?
- वर्षाकालीन बैंगन के लिए नर्सरी की बुआई फरवरी-मार्च में की जाती है।
- बैंगन की पौध 30-40 दिनों बाद मुख्य खेत में रोपाई हेतु तैयार हो जाती है।
- खेत में उर्वरक की मात्रा मिट्टी जाँच रिपोर्ट के अनुसार ही डालें या
- पौध रोपाई से पहले खेत में गोबर की खाद के साथ 90 किलो यूरिया, 250 किलो सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) और 100 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) डालें।
- 90 किलो यूरिया की मात्रा तीन भागों में बांट दें और यूरिया का पहला भाग पौध रोपाई के 30-40 दिनों बाद, दूसरा भाग अगले 30 दिन बाद तथा तीसरा भाग फूल आते समय टोप ड्रेसिंग के रूप में दें।
किसानों को कर्ज दिलाने में मददगार होगी इ-ग्रामस्वराज एप और स्वामित्व योजना
बीते शुक्रवार को पंचायती राज दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये देशभर के सरपंचों से बात की। इस दौरान उन्होंने ई-ग्राम स्वराज पोर्टल और ऐप तथा स्वामित्व योजना की भी शुरुआत की।
ई-ग्राम स्वराज ऐप से ग्राम पंचायतों के फंड और अन्य सभी कामकाजों की सारी जानकारी मिलेगी जिसके कारण पंचायत के कामों में पारदर्शिता आएगी और विकास कार्य भी तेजी से होंगे।
वहीं स्वामित्व योजना ग्रामीणों के बीच संपत्ति को लेकर होने वाले सारे भ्रम दूर करने में मदद करेगा साथ ही साथ इसके अंतर्गत गांवों में ड्रोन की मदद से एक-एक संपत्ति की मैपिंग की जायेगी। इस योजना के कार्यान्वयन के बाद ग्रामीण किसान भी शहरों की तरह बैंकों से आसानी से कर्ज ले पाएंगे।
बता दें की अभी कुछ ही राज्यों को इन योजनाओं के अंतर्गत शामिल किया गया है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत 6 और राज्य शामिल हैं जो इस योजना का ट्रायल आरम्भ कर रहे हैं। अगर इस योजना का ट्रायल सफल रहा तो इसे हर गांव में शुरू कर दिया जायेगा।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareमध्य प्रदेश में इस दिन शुरू होगी चना एवं मसूर की समर्थन मूल्य पर खरीदी
मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी शुरू हुए दो हफ्ते से ज्यादा बीत चुके हैं। अब सरकार किसानों से चना एवं मसूर की खरीदी शुरू करने वाली है। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर चना एवं मसूर की खरीदी 29 अप्रैल से शुरू हो जाएगी।
इस विषय पर रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समीक्षा की और इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद अधिकारियों को चना और मसूर की खरीदी की प्रक्रिया के दौरान लॉकडाउन संबंधी दिशा निर्देशों के साथ सामाजिक दूरी का पालन कराने के निर्देश भी दिए हैं।
इस समीक्षा बैठक में बताया गया अब तक तीन लाख 72 हजार किसानों से 16 लाख 73 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी समर्थन मूल्य पर कर ली गई है और इसके एवज में किसानों को भुगतान भी कर दिया गया है।
स्रोत: नई दूनिया
Shareमिट्टी परीक्षण में मिट्टी के पी.एच. मान एवं विद्युत चालकता का महत्व
मिट्टी के पी एच मान का महत्त्व?
- इसके द्वारा मिट्टी की अभिक्रिया का पता चलता है, कि मिट्टी सामान्य, अम्लीय या क्षारीय प्रकृति की है। मृदा पी.एच. घटने या बढ़ने से पादपों की वृद्धि पर असर पड़ता है।
- समस्याग्रस्त क्षेत्रों में फसल की उपयुक्त किस्मों की संस्तुति की जाती है। जो कि अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो।
- मिट्टी पी.एच. मान 6.5 से 7.5 की बीच होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों को सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है। पी.एच. मान 6.5 से कम होने पर भूमि अम्लीय और 7.5 से अधिक होने पर भूमि क्षारीय होती है।
- अम्लीय भूमि के लिए चूना एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की संतुति की जाती है।
विद्युत चालकता (लवणों की सांद्रता) का महत्त्व?
- मृदा विद्युत चालकता (ईसी) एक अप्रत्यक्ष माप है जो मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों के साथ बहुत गहरा संबंध रखता है। मृदा विद्युत चालकता मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता का एक संकेत है।
- मिट्टी में लवणों की अधिक सान्द्रता पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया पर हानिकारक प्रभाव छोड़ती है।
- मृदा विद्युत चालकता स्तर का बहुत कम होना कम उपलब्ध पोषक तत्वों को इंगित करते हैं, और बहुत अधिक ईसी स्तर पोषक तत्वों की अधिकता का संकेत देते हैं।
- कम ईसी वाले अक्सर रेतीली मिट्टी में कम कार्बनिक पदार्थ के स्तर के साथ पाए जाते हैं, जबकि उच्च ईसी स्तर आमतौर पर मिट्टी में उच्च मिट्टी सामग्री (अधिक क्ले) के साथ पाए जाते हैं।
- मृदा कण में ‘बनावट, लवणता और नमी’ मिट्टी के गुण हैं जो ईसी स्तर को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
आइए जानते हैं देसी नस्ल की गायों का महत्व
- भारत में देसी गायों की दुधारू नस्लों में गिर, रेड सिंधी, साहीवाल, राठी, देवनी, हरियाणा, थारपारकर, कांकरेज, मालवी, निमाड़ी इत्यादि प्रमुख हैं।
- देसी गाय का दूध A2 प्रकार का दूध है जिसके सेवन से शरीर में रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है इस कारण दूध की कीमत भी अधिक मिलती है।
- ये नस्लें पर्यावरणीय बदलावों और विपरीत परिस्थिति से लड़ने की क्षमता रखती है।
- इन नस्लों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और रखरखाव खर्च भी कम आता है।
दस्तावेज़ों के कारण रुकी पीएम किसान की राशि तो ऑनलाइन करें अपलोड, पाएं 6000 सालाना
किसानों के लिए भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ के अंतर्गत मिलने वाले 6 हजार रुपये की पहली क़िस्त पिछले कुछ दिनों में किसानों के खातों में पहुंचा दी गई है। हालाँकि कुछ किसान इस क़िस्त को पाने में कामयाब नहीं भी हो पाए हैं जिसका कारण उनके आवेदन में गड़बड़ी या दस्तावेज़ों की कमी भी हो सकती है।
बता दें की इस योजना के अंतर्गत किसान ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से आवेदन करते हैं। कई बार आवेदन को स्वीकार नहीं किया जाता क्योंकि दस्तावेज़ जैसे कि आधार, मोबाइल नंबर या बैंक खाते की जानकारी नहीं दी गई होती।
ऐसा होने पर किसान घर से ही अपने दस्तावेज़ ऑनलाइन माध्यम से अपलोड कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को pmkisan.gov.in के लिंक पर जाकर ‘Farmers Corner’ में जाना होता है और अपने दस्तावेज़ अपलोड करने होते हैं।
स्रोत: जनसत्ता
Shareकिसानों के लिए लाभकारी है डायरेक्ट मार्केटिंग, कोरोना संकट के बीच दिया जा रहा है बढ़ावा
कोरोना संकट के बीच भारत सरकार किसानों के बीच डायरेक्ट मार्केटिंग या प्रत्यक्ष विपणन को बढ़ावा दे रही है। इसके अंतर्गत किसानों की सुविधा और बेहतर रिटर्न मिले सरकार इसके लिए प्रयासरत है। इसके साथ ही केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को भी अनुरोध किया गया है कि वे किसानों/किसान समूहों/एफपीओ/सहकारी समितियों को थोक खरीदारों/बड़े खुदरा विक्रेताओं/प्रोसेसरों आदि को अपनी उपज बेचने में सुविधा प्रदान करने के लिए ’डायरेक्ट मार्केटिंग’ को बढ़ावा दें।
बहरहाल कई राज्यों ने ’डायरेक्ट मार्केटिंग’ को बढ़ावा दिया भी है। इन राज्यों में कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात जैसे राज्य शामिल है।
लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों में ’डायरेक्ट मार्केटिंग’ के अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। राजस्थान में लॉकडाउन के दौरान 1,100 से ज्यादा डायरेक्ट मार्केटिंग के लाइसेंस दिए गए जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में आसानी हुई।
तमिलनाडु में इसके अंतर्गत बाजार शुल्क माफ हो गए जिसकी वजह से व्यापारियों ने किसानों से उनके खेतों से उपज खरीद लिया। वहीँ उत्तर प्रदेश में किसानों तथा व्यापारियों के साथ एफपीओ शहरों के उपभोक्ताओं को उपज की आपूर्ति कर रहे हैं। इससे किसानों के अपव्यय में बचत और प्रत्यक्ष लाभ मिल रही है।
स्रोत: कृषक जगत
Shareबागवानी वाली फसलों में ऐसे करें दीमक (उदई) नियंत्रण
- दीमक की समस्या बागवानी वाली फसल जैसे अनार, आम, अमरुद, जामुन, निम्बू, संतरा, पपीता, आंवला आदि में देखने को मिलता है।
- यह जमीन में सुरंग बनाकर पौधों की जड़ों को खाते हैं। इसका अधिक प्रकोप होने पर ये तने को भी खाने लगते हैं और मिट्टी युक्त संरचना बनाते हैं।
- गर्मियों में मिट्टी में दीमक को नष्ट करने के लिए गहरी जुताई करें और हमेशा अच्छी सड़ी खाद का हीं प्रयोग करें।
- 1 किग्रा बिवेरिया बेसियाना को 25 किग्रा गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर पौधरोपण से पहले डालना चाहिए।
- दीमक के टीले को केरोसिन से भर दे ताकि दीमक की रानी के साथ-साथ अन्य सभी कीट मर जाएँ।
- दीमक द्वारा तनों पर बनाये गए छेद में क्लोरोपायरिफोस 50 ईसी @ 250 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें और पेड़ की जड़ों के पास यही दवा 50 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर डाले।
तुलसी के पौधे की क्या है वैज्ञानिक महत्ता
- तुलसी के पौधे के धार्मिक महत्व के साथ साथ इसका वैज्ञानिक महत्व भी खूब है। इसका काढा बुखार, जुकाम, खांसी दूर करने में फ़ायदेमंद होता है।
- यह पौधा शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बनाने के साथ-साथ जीवाणु और विषाणु संक्रमण से भी लड़ता है।
- तुलसी का पौधा एक प्राकृतिक हवा शोधक है जो 24 में से 12 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड तथा सल्फर ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को भी अवशोषित करता है।
- यह आयरन व मैंगनीज का स्रोत होता है जो आपके शरीर में विभिन्न यौगिकों को चयापचय में मदद करता है।
- एंटीऑक्सिडेंट का समृद्ध स्रोत होने के कारण यह पौधा तनाव को भी कम करने में सहायक है।