म.प्र में 27 साल बाद टिड्डियों का बड़ा हमला, करोड़ों की मूंग की फसल पर मंडराया ख़तरा

After 27 years in MP, large locust attack, Threat on Moong crop of 8000 crores

फ़सलों का सबसे बड़े दुश्मन टिड्डी दल ने कई सालों बाद इस बार मध्यप्रदेश में ज़ोरदार दस्तक दी है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है की टिड्डियों का इतना बड़ा हमला मध्यप्रदेश में 27 साल बाद हुआ है। यही नहीं अभी इस हमले के मानसून तक जारी रहने की आशंका भी जताई जा रही है।

पाकिस्तान से राजस्थान और राजस्थान से मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाले ये टिड्डी दल मालवा निमाड़ होते हुए मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में फ़ैल रहे हैं। इससे बचने के लिए किसान ढोल, थाली, पटाखे ओर स्प्रे का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि ये दल भाग जाएँ।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार अगर समय रहते इस समस्या पर नियंत्रण नहीं हो पाता है तो इससे 8000 करोड़ रुपये की मूंग की फसल बर्बाद हो सकती है। यही नहीं इसका खतरा कपास और मिर्च की हाल ही में लगाई गई फसल पर भी बना हुआ है।

बहरहाल इस समस्या से बचने के लिए किसानों को रात के समय अपने स्तर पर समूह बनाकर खेतों में निगरानी करनी चाहिए क्योंकि टिड्डी दल शाम 7 से 9 बजे आराम करने के लिए खेतों में बैठते हैं और रात भर में फसल को खूब नुकसान पहुँचाते हैं।

इसके अलावा टिड्डी दल के आने पर खेतों में तेज आवाज़ जैसे थालियां बजाकर , ढोल बजाकर, डीजे बजा कर, खाली टिन के डिब्बे बजाकर, पटाखे फोड़ कर, ट्रैक्टर का साइलेंसर निकालकर आवाज करके टिड्डी दल को आगे की तरफ भगा सकते हैं।

स्रोत: NDTV

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पपीते की फसल में पर्ण कुंचन रोग का कारण और नियंत्रण कैसे करें?

How to control leaf curl, know its cause in Papaya crop
  • यह पर्ण कुंचन रोग विषाणु के कारण होता है तथा इस रोग का फैलाव रोगवाहक सफेद मक्खी के द्वारा होता है।
  • यह मक्खी रोगी पत्तियों से रस-शोषण करते समय विषाणुओं को भी प्राप्त कर लेती है और स्वस्थ्य पत्तियों से रस-शोषण करते समय उनमें विषाणुओं को संचारित कर देती है।
  • इससे नियंत्रण हेतु डाइफेनथूरोंन 50% WP @ 15 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर छिडकाव करें। या
  • पायरिप्रोक्सिफ़ेन 10% + बाइफेन्थ्रिन 10% EC @ 15 मिली या एसिटामिप्रिड 20% SP @ 8 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर छिडकाव करें।
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पपीते की फसल में पर्ण कुंचन रोग की पहचान व कारण

Know the cause and identity of leaf curl disease in Papaya crop
  • पर्ण-कुंचन (लीफ कर्ल) रोग के लक्षण केवल पत्तियों पर दिखायी पड़ते हैं। रोगी पत्तियाँ छोटी एवं क्षुर्रीदार हो जाती हैं। 
  • पत्तियों का विकृत होना एवं इनकी शिराओं का रंग पीला पड़ जाना रोग के सामान्य लक्षण हैं। 
  • रोगी पत्तियाँ नीचे की तरफ मुड़ जाती हैं और फलस्वरूप ये उल्टे प्याले के अनुरूप दिखायी पड़ती है जो पर्ण कुंचन रोग का विशेष लक्षण है। 
  • पतियाँ मोटी, भंगुर और ऊपरी सतह पर अतिवृद्धि के कारण खुरदरी हो जाती हैं। रोगी पौधों में फूल कम आते हैं। रोग के प्रभाव से पतियाँ गिर जाती हैं और पौधे की बढ़वार रूक जाती है।
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6000 रुपए के अलावा पीएम किसान स्कीम से होने वाले इन बड़े फ़ायदों का पता है आपको?

PM kisan samman

ये तो हम सब जानते हैं की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर किसानों की 2000-2000 रुपए की तीन किस्तों में 6,000 रुपए सालाना दिए जाते हैं। पर शायद आपको यह पता नहीं होगा की इस योजना से जुड़ने के बाद किसानों को और भी कुछ लाभ बड़ी आसानी से मिल जाते हैं।

पीएम किसान योजना से जुड़े किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड भी बड़ी आसानी से मिल जाता है। दरअसल पीएम किसान स्कीम से अब किसान क्रेडिट कार्ड को भी जोड़ दिया गया है।

इसके अलावा पीएम किसान योजना से जुड़े किसानों को पेंशन योजना का भी फायदा आसानी से मिल जाता है। ग़ौरतलब है की पेंशन योजना का नाम पीएम किसान मानधन योजना है जिसके लिए आम तौर पर बहुत सारे दस्तावेजों की जरुरत पड़ती है। पर अगर आप पीएम किसान स्कीम से जुड़े हुए हैं तो आपको पेंशन योजना का लाभ उठाने के लिए किसी डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं होगी।

स्रोत: ज़ी बिजनेस

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अश्वगन्धा के औषधीय गुण

Medicinal properties of Ashwagandha
  • अश्वगंधा में मौजूद एन्टीऑक्सीडेंट गुण के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (इम्युन सिस्टम) बढ़ाने में मदद मिलती है।  
  • अश्वगंधा में एंटी-स्ट्रेस गुण पाए जाते है जिससे मानसिक तनाव, अवसाद (डिप्रेशन) तथा चिंता को कम करने में मदद मिलती है।   
  • इसका उपयोग यौन दुर्बलता दूर करने में किया जाता है। 
  • अश्वगंधा वाइट ब्लड सेल्स और रेड ब्लड सेल्स दोनों को बढ़ाने का काम करता है, जो कई गंभीर शारीरिक समस्याओं में लाभदायक है।
  • अश्वगंधा का सेवन करने से ह्रदय की मांसपेशियाँ मजबूत और खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।
  • अश्वगंधा को बतौर कैंसर के इलाज के रूप में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी के नकारात्मक प्रभाव को खत्म करने में किया जाता है। 
  • मोतियाबिंद के खिलाफ इसका सेवन प्रभावशाली तरीके से काम करता है। साथ ही आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी यह बेहतरीन विकल्प है।
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अब महाराष्ट्र, UP सहित कई क्षेत्रों के निर्यातकों से सीधे जुड़ेंगे म.प्र के किसान: कृषि मंत्री श्री कमल पटेल

Now farmers of MP will directly connect with exporters of many states including Maharashtra, UP

मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने मंत्रालय से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये एक बैठक की जिसमे उन्होंने निर्यातकों से सीधी बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया की कृषि एवं प्र-संस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के माध्यम से महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश समेत अन्य कई प्रदेशों के 10 से ज्यादा निर्यातकों ने मध्यप्रदेश के कृषि उत्पादों में दिलचस्पी दिखाई है।

इस बैठक के दौरान निर्यातकों ने मंत्री श्री पटेल से यह अनुरोध किया कि “अगर प्रदेश सरकार उन्हें सुविधाएँ प्रदान करती है तो वे प्रदेश के किसानों से अनुबंध कर अन्य प्रदेशों में कृषि उत्पादों का निर्यात करेंगे।” निर्यातकों के इस अनुरोध पर मंत्री श्री पटेल ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा की “प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान किसानों के हित में निर्णय लेंगे और सरकार आवश्यक सहयोग और सुविधाएँ निर्यातकों को मुहैया कराएगी।”

मंत्री श्री पटेल ने इस दौरान कहा कि “किसानों को उनकी उपज का फायदा पहुँचाने के लिये प्रदेश में सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही है। कोल्ड स्टोरेज, ग्रेडिंग, निर्यात के लिए तय मापदण्डों से अवगत कराने विशेषज्ञ समूह आदि सुविधाएँ उपलब्ध कराने जा रहे हैं।”

स्रोत: कृषक जगत

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कपास के खेत में अतिरिक्त पौधे हटाने और अतिरिक्त पौधे लगाने का महत्व जानें

  • खेत में कपास की बुआई करने के 10 दिनों बाद कुछ बीज उग नहीं पाते हैं और कुछ पौधे उगने के बाद मर जाते हैं। 
  • यह अनेक कारणों से हो सकता है जैसे- बीज का सड़ जाना, बीज को अधिक गहराई में बोया जाना, किसी कीट के द्वारा बीज को खा लेना या पर्याप्त नमी का न मिलना आदि।
  • इन खाली स्थानों पर पौधे न उगने पर उत्पादन में सीधा असर पड़ता है अतः इन स्थानों पर फिर से बीज को बोना चाहिए। इस क्रिया को गैप फिलिंग कहा जाता है। 
  • कपास के खेत में कतारों में पौधों के बीच की दूरी एक सामान होनी चाहिए। इसी खाली जगह को भरने की प्रक्रिया को गैप फिलिंग कहते है।
  • गैप फिलिंग करने से पौधों के बीच की दूरी एक सामान रहती है। जिससे कपास का उत्पादन अच्छा मिलता है।
  • वहीं दूसरी तरफ बुआई के समय एक ही स्थान पर एक से अधिक बीज गिर जाता है तो एक ही जगह पर अधिक पौधे उग आते हैं। 
  • अगर इन पौधों को समय रहते न निकाला जाये तो इसका सीधा नकारात्मक प्रभाव हमारे उत्पादन के ऊपर पड़ता है।
  • इन अतिरिक्त पौधों को हटाने की क्रिया को थिन्निंग कहा जाता है। कपास की फसल में थिन्निंग बुआई के 15 दिन बाद की जाती है। ताकि पौधों को सही मात्रा में खाद और उर्वरक मिल सके और पौधों की उचित वृद्धि हो पाए।
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बैंगन की फसल में सूत्रकृमि (निमाटोड) का प्रकोप

Outbreak of nematode in Brinjal crop
  • मिट्टी में रहने वाले सूत्रकृमि के कारण बैंगन के पौधों की जड़ों में गांठे बन जाती है। 
  • इसका प्रकोप होने पर पौधें की जड़ पोषक तत्व अवशोषित नहीं कर पाती है। इस कारण फूल और फलों की संख्या में कमी आती है।
  • पत्तियां पीली पड़कर सुकड़ने लगती है और पूरा पौधा बौना रह जाता है। 
  • अधिक संक्रमण होने पर पौधा सुखकर मर जाता है।
  • जिस खेत में यह समस्या होती है वहाँ 2-3 साल तक बैंगन, मिर्च और टमाटर की फसल न लगाए। 
  • रोगग्रस्त खेत में गर्मी में गहरी जुताई अवश्य करें। 
  • बैंगन की फसल की 1-2 कतार के बीच गेंदा लगा दें।
  • कार्बोफ्यूरान 3% दानों को रोपाई पूर्व 10 किलो प्रति एकड़ की दर से मिला दें। 
  • निमाटोड के जैविक नियंत्रण के लिए 200 किलो नीम खली या 2 किलो वर्टिसिलियम क्लैमाइडोस्पोरियम या 2 किलो पैसिलोमयीसिस लिलसिनस या 2 किलो ट्राइकोडर्मा हरजिएनम को 100 किलो अच्छी सड़ी गोबर के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से भूमि में मिला दें।
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7 करोड़ किसानों को बड़ी राहत, 3 महीने तक कृषि ऋण ना जमा करने की मिली छूट

Gramophone's onion farmer

कोरोना वैश्विक महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए पिछले दो महीने से भी ज्यादा वक़्त से देशव्यापी लॉकडाउन चल रहा है। इस लॉकडाउन की वजह से किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पर रहा है। इन्हीं परेशानियों को देखते हुए अब 7 करोड़ KCC धारक किसानों को बड़ी राहत दी गई है। किसानों द्वारा लिए गए ऋण की अगली क़िस्त जमा करने की तिथि थीं महीने आएगी बढ़ा दी गई है।

बता दें की क़िस्त जमा करने की तिथि को पहले भी एक बार बढ़ा कर 31 मई कर दिया गया था। अब इस बढ़ी हुई तिथि को एक बार फिर तीन महीने के लिए आगे बढ़ा कर 31 अगस्त कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अगर आप आगामी 3 महीने तक लोन की क़िस्त नहीं भरते हैं तो भी बैंक आप पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं डालेगा।

स्रोत: कृषि जागरण

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कपास की फसल में जड़ गलन रोग की पहचान और उपचार

Identification and treatment of root rot disease in cotton crop
  • कपास के पौधों का मुरझाना इस रोग का पहला लक्षण है।
  • इसके कारण गंभीर मामलों में सारी पत्तियां झड़ सकती हैं या पौधा गिर सकता है।
  • इस रोग में जड़ की छाल पीली पड़ने के बाद फट जाती है जिससे पानी और पोषक तत्व ठीक से पौधे तक नहीं पहुँच पाते हैं। 
  • इससे पूरा जड़ तंत्र सड़ जाता है और पौधे को आसानी से उखाड़ा जा सकता है। 
  • शुरुआत में खेत में केवल कुछ पौधें प्रभावित होते हैं, फिर समय के साथ रोग का प्रभाव इन पौधों के चारों तरफ बढ़ता है और धीरे धीरे पूरे खेत में फैल जाता है।
  • रोग से बचाव के लिए जैविक माध्यम से 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी या 10 ग्राम स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस प्रति किलो की दर से बीज उपचारित करना चाहिए। या 
  • बीजों को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP प्रति किलो की दर से उपचारित करें।  
  • बचाव हेतु जैविक माध्यम से 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में 2 किलो ट्राइकोडर्मा विरिडी मिलाकर एक एकड़ के खेत में बिखेरें। 
  • रोग नियंत्रण हेतु 400 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% WP या 300 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल 75% WP या 600 ग्राम मेटालैक्सिल 4% + मैन्कोजेब 64% WP 200 लीटर पानी में मिलाकर दवा को पौधे के तने के पास डालें (ड्रेंचिंग करें)।
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