प्याज़ एवं लहसुन में बुआई के 30-40 दिनों में ऐसे करें प्रबधन

Manage Onion and Garlic Crop in 30-40 days after sowing
  • प्याज़ एवं लहसुन की फसल में बुआई के 30-40 दिनों बाद फसल पूर्ण वर्द्धि अवस्था में रहती है जिसके कारण प्याज़/लहसुन की फसल में कीट एवं कवक जनित रोगों का प्रकोप बहुत होता है। इनके नियंत्रण हेतु निम्र उपाय किया जाना बहुत आवश्यक है।
  • कवक रोग नियंत्रण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कीट नियंत्रण लिए फिप्रोनिल 5% SC@ 400 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 ग्राम/एकड़ कीदर से छिड़काव करें।
  • फसल के अच्छे वृद्धि एवं विकास के लिए यूरिया @ 25 किलो/एकड़ + सूक्ष्म पोषक तत्व @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • इन सभी उत्पादों का उपयोग करने से प्याज़ एवं लहसुन की फसल का अच्छा विकास होता है एवं उत्पादन बहुत हद तक बढ़ जाता है।
Share

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से दें अपनी फसल को सुरक्षा, जल्द कराएं पंजीकरण

Give protection to your crop with PMFBY, get registration soon

किसान रबी फसलों की बुआई के कार्य में लगे हैं। ऐसे में अपनी फसलों को भविष्य की प्राकृतिक आपदाओं से बचाने हेतु फसलों का बीमा करवाना भी जरूरी होता है। ऐसा करने से फसल क्षति होने पर उसकी भरपाई की जाती है। फसल क्षति की भरपाई के लिए ही सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाती है। इस योजना के अंतर्गत फसल की बुआई से लेकर कटाई के बाद तक की पूरे फसल चक्र में फसल की सुरक्षा होती है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रबी 2020-21 के अंतर्गत पंजीकरण का कार्य शुरू हो गया है। ज्यादातर राज्यों में किसान 15 दिसम्बर 2020 तक बीमा करा सकते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत ऋणी एवं अऋणी किसान जो भू-धारक व बटाईदार हो सम्मिलित हो सकते हैं।

स्रोत: किसान समाधान

Share

प्याज़ समृद्धि किट के उपयोग से फसल को मिलते हैं कई लाभ

Benefits of Onion Samridhi Kit
  • प्याज की फसल के लिए ग्रामोफोन लेकर आया है प्याज़ समृद्धि किट।
  • यह किट मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित करके पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • इससे मिट्टी में पाए जाने वाले हानिकारक कवक खत्म होते हैं और पौधे को होने वाले नुकसान से भी बचाव होती है।
  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है।
  • यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, जिससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती है, जो फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती है।
  • यह किट मिट्टी की संरचना में सुधार करके पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है और जड़ प्रणाली द्वारा पोषक तत्वों में सुधार कर के जड़ विकास को बढ़ावा देता है।
  • यह जड़ों के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है और मिट्टी में सूक्ष्म जीवो की गतिविधि को बढ़ावा देता है।

Share

चने की फसल से अच्छी उपज प्राप्ति हेतु चना समृद्धि किट का करें उपयोग

Use Gram Samriddhi Kit to get good yield from gram crop
  • यह समृद्धि किट दरअसल खेत की मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित करके पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • मिट्टी में पाए जाने वाली हानिकारक कवकों को खत्म करके यह पौधे को होने वाले नुकसान से बचाती है।
  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है।
  • यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है। इससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती हैं, और फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती हैं।
  • मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को भी यह कम नहीं होने देता है। यह जड़ प्रणाली द्वारा पोषक तत्वों में सुधार से जड़ विकास को बढ़ावा देता है।
  • जड़ों के द्वारा यह मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है, मिट्टी में सूक्ष्म जीवो की गतिविधि को बढ़ावा देता है।
Share

पशुपालन क्षेत्र में विकास हेतु मध्यप्रदेश में बनेगी गौ कैबिनेट

Gau-Cabinet to be developed in MP for development in animal husbandry

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के द्वारा गौधन के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु गौ-कैबिनेट बनाने का फैसला किया है। इस कैबिनेट के अंतर्गत पशुपालन, वन, पंचायत तथा ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग को शामिल किया जायेगा। बता दें कि इस कैबिनेट की पहली बैठक आने वाले 22 नवम्बर को प्रस्तावित है। इसी दिन गोपाष्टमी का पावन पर्व भी मनाया जाता है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने इससे पहले कृषि कैबिनेट भी बनाया था। इस कैबिनेट के निर्णयों पर अमल किया गया जिसका परिणाम कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के रूप में मिला। इसके अलावा किसानों को शासन की योजनाओं का लाभ भी इससे मिला जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हुआ। अब ठीक इसी प्रकार गौ-कैबिनेट के निर्माण से गौ-सेवकों, पशु पालकों और किसानों को लाभ होगा।

स्रोत: द हिंदू

Share

चने में लगने वाली हरी इल्ली के नियंत्रण के उपाय

Management to control the green caterpillar in the gram crop
  • चने की फसल कीट प्रकोप के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होती है क्योंकि यह रबी के कम तापमान वाले मौसम में लगायी जाती है।
  • चने की फसल में हरी इल्ली का बहुत अधिक प्रकोप होता है, यह इल्ली हरे और भूरे रंग की हो सकती है। यह इल्ली चने की फसल की पत्तियों के पर्णहरित को खुरच कर खा जाती है।
  • इसके प्रकोप के कारण चने की पत्तियों को बहुत अधिक नुकसान होता है एवं अविकसित फलों एवं फूलों को भी यह कीट बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
  • इस कीट के निवारण के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

बैगन में फल सड़न के कारण एवं बचाव के उपाय

Causes and Prevention for fruit rot in brinjal crops
  • अधिक नमी के कारण यह रोग बैगन की फसल को अधिक संक्रमित करता है।
  • कवक के संक्रमण के कारण बैगन के फलों पर सूखे हुए धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में धीरे धीरे दूसरे फलों में भी फैल जाते हैं।
  • संक्रमित फलों की बाहरी सतह भूरे रंग की हो जाती है जिस पर सफ़ेद रंग के कवक का निर्माण हो जाता है।
  • इस रोग से ग्रसित पौधे की पत्तियों एवं अन्य भागों को तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए ताकि रोग के प्रसार को रोका जा सके।
  • इस रोग के निवारण के लिए फसल पर मेंकोजेब 75% WP@ 600 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 400 मिली/एकड़ या स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W @ 24 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव कर दें।
  • 15-20 दिनों बाद आवश्यकतानुसार छिड़काव दवा बदल कर करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव कर दें।
Share

मध्य प्रदेश: डेढ़ रुपए की जगह अब देने होंगे महज 50 पैसे मंडी टैक्स

mandi tax

मध्यप्रदेश के मंडियों में लगने वाले टैक्स पर सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए टैक्स को घटा दिया है। इस निर्णय के बाद अब मंडी टैक्स के रूप में डेढ़ रुपए के बदले महज 50 पैसे ही देने होंगे। यह जानकारी प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने दीपावली पर्व के पावन अवसर पर दी।

कृषि मंत्री ने बताया कि “मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम अंतर्गत मंडियों में होने वाले विक्रय पर लगने वाले टैक्स में प्रदेश सरकार ने व्यापारियों के हित में कमी करने का निर्णय लिया था। दीपावली के दिन उसको अमली जामा पहना दिया गया है।” श्री पटेल ने बताया कि मंडियों में लगने वाले 20 पैसे निराश्रित निधि टैक्स को भी समाप्त कर दिया गया है।

स्रोत: कृषक जगत

Share

मटर की फसल में बुआई के 15-20 दिनों में फसल वृद्धि के उपाय

Measures for crop growth in 15-20 days of sowing in pea crop
  • मटर दलहनी फसल में आती है, इसलिए मटर की फसल को अधिक नाइट्रोज़न उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है।
  • मटर की फसल में 15-20 दिनों की अवस्था सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति बहुत आवश्यक होती है इसी के साथ कवक रोग एवं कीट से फसल की रक्षा करना बहुत आवश्यक है।
  • इन सभी व्याधियों से मटर की फसल की सुरक्षा के लिए सूक्ष्म पोषक मिश्रण @ 8 किलो/एकड़ + सल्फर 90% @ 5 किलो/एकड़ + जिंक सल्फेट @ 5 किलो/एकड़ की दर मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • कीटों के नियंत्रण के लिए एसिटामिप्रीड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कवक रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
Share

फेरोमोन ट्रैप के उपयोग के तरीके एवं लाभ

Methods and benefits of using pheromone trap
  • फेरोमोन एक प्रकार का कीट जाल होता है जो कीड़ों को लुभाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • अलग अलग प्रकार के कीटों के लिए अलग अलग फेरोमोन का उपयोग किया जाता है।
  • इसे खेत के चारो कोने पर लगाया जाता है, हर फेरोमोन में एक कैप्सूल लगा होता है जिसमें नर वयस्क कीट कैद हो जाता है।
  • इस नई तकनीक का लाभ यह है कि किसान अपने खेतों पर कीड़ों की संख्या का आंकलन कर इसका उपयोग कर सकता है।
  • फल मक्खी एवं इल्ली वर्गीय कीट से छुटकारा पाने का सबसे सस्ता जैविक तरीका है कीटों के वयस्क का नियंत्रण, इससे कीट के जीवन चक्र को नियंत्रित किया जा सकता है।
Share