किसानों की कृषि परिवहन लागत में किसान रेल से आ रही है कमी

Transport costs of farmers are coming down by Kisan Rail

किसानों द्वारा अपनी उपज के परिवहन हेतु भारतीय रेलवे की तरफ से इसी साल 20 अगस्त से ‘किसान ट्रेन’ की शुरुआत की गई थी। इस ट्रेन से किसानों के फल, फूल, सब्जी, दूध और दही जैसे समान देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्सों में जल्द पहुँचाए जाते हैं।

छोटे और सीमांत किसानों को उनके कृषि उत्पादों से बेहतर लाभ प्राप्त करने में यह रेल मददगार साबित हो रही है। इस रेल के माध्यम से परिवहन लागत में काफी कमी आ जाती है साथ ही अपव्यय, सुरक्षित और त्वरित वितरण में भी मदद मिलती है। इससे किसानों की आजीविका बदल रही है और वे समृद्ध हो रहे हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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आलू की फसल में हो रहा है थ्रिप्स का प्रकोप, जानें बचाव की विधि

How to prevent potato crop from thrips
  • थ्रिप्स छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते है, यह पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक मात्रा में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।
  • यह कीट पत्तियों का रस चूसते हैं और इनके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों पर भूरे रंग की हो जाती हैं।
  • इसके कारण प्रभावित आलू के पौधे की पत्तियां सूखी एवं मुरझाई हुई दिखाई देती हैं या फिर विकृत हो जाती हैं और ऊपर की ओर कर्ल (मुड़ जाना) हो जाती हैं।
  • थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए रसायनों को अदल-बदल करके ही उपयोग करना आवश्यक होता है।
  • प्रबंधन: थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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गन्ना किसानों को सरकार की तरफ से मिलेगी 3500 करोड़ की सहायता राशि

Sugarcane farmers will get 3500 crore from the government

गन्ना किसानों और चीनी मिल मालिकों के बीच अक्सर भुगतान को लेकर शिकायतों का दौर चलता है। चीनी मिल मालिक भुगतान में बहुत ज्यादा विलम्ब करते है और कभी कभी तो भुगतान का इंतजार बहुत ज्यादा लंबा हो जाता है।

इन्हीं समस्याओं के निदान हेतु गन्ना किसानों को सरकार की तरफ से राहत देने का फैसला लिया गया है। सरकार ने शुगर एक्सपोर्ट पर 3500 करोड़ की सब्सिडी का ऐलान किया है। इस सहायता राशि को चीनी मिलों की ओर से बकाये के भुगतान के तौर पर सीधे किसानों के खातों में जमा किया जाएगा।

स्रोत: किसान समाधान

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में और बढ़ने वाली है सर्दी

Weather Forecast

मध्य भारत समेत आस पास के अन्य क्षेत्रों में हवाओं का रुख बदलने वाला है जिस वजह से मध्य प्रदेश के उत्तरी भागों में ठंड का प्रकोप बढ़ने की संभावना है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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गोभी की फसल में डाउनी मिल्ड्यू को कैसे करें नियंत्रित?

Symptoms and How to control Downy Mildew in Cauliflower
  • गोभी के तने पर भूरे धब्बे दिखाई देते हैं जिन पर सफेद फफूंदी मृदुरोमिल होती है।
  • पत्तियों की निचली सतह पर बैगनी भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। 
  • इस रोग के प्रभाव से फूलगोभी का शीर्ष संक्रमित होकर सड़ जाता है।
  • उचित जल प्रबंधन करें ताकि मिट्टी की सतह पर अतिरिक्त नमी न रहे।
  • कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालैक्सिल 8% + मैनकोज़ेब 64% WP @ 600 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें
  • एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23% SC @ 200 मिली/एकड़ या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें  
  • फसल चक्र अपनाएं एवं खेत में साफ़ सफाई बनाये रखें।
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गेहूँ की बुआई के 40-45 दिनों में छिड़काव करने से मिलेंगे कई लाभ

Benefits of spray in wheat crop in 40-45 days of sowing
  • गेहूँ की 40-45 दिनों की अवस्था दरअसल फसल वृद्धि की बहुत महत्वपूर्ण अवस्था होती है।
  • इस समय कवक जनित एवं कीट जनित रोगों से भी फसल की सुरक्षा की जाने की जरुरत होती है।
  • कीट नियंत्रण के लिए: इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 60 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कवक रोगों के लिए: हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • वृद्धि विकास के लिए: होमोब्रेसीनोलाइड 0.04% @ 100 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक एसिड @ 300 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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किसान पशुधन बीमा से अब पशुधन हानि पर पाएं मुआवजा

Now get compensation on livestock loss with Farmers Livestock Insurance

पशुपालन करने वाले किसान अक्सर पशुधन की हानि को लेकर चिंतित रहते हैं। पर अब पशुधन बीमा योजना के माध्यम से पशुधन हानि की भरपाई संभव हो गई है। इस योजना को मध्य प्रदेश के सभी जिलों में लागू कर दिया गया है।

इस योजना के अंतर्गत एक हितग्राही अधिक से अधिक 5 पशुओं का बीमा करवा सकता है। इस योजना में भेड़, बकरी, सूअर आदि में 10 पशुओं की संख्या को एक पशु इकाई माना जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि भेड़, बकरी एवं सूअर पालक एक बार में 50 पशुओं का बीमा करवा सकते हैं।

स्रोत: कृषक जगत

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इंदौर मंडी में क्या चल रहा है प्याज लहसुन और आलू का भाव?

Mandi Bhaw

 

प्याज का भाव
किस्म का नाम भाव
सुपर 1800-2100 रूपये प्रति क्विंटल
एवरेज 1400-1700 रूपये प्रति क्विंटल
गोलटा 900-1200 रूपये प्रति क्विंटल
गोलटी 500-700 रूपये प्रति क्विंटल
छाटन 300-800 रूपये प्रति क्विंटल
लहसुन का भाव
किस्म का नाम भाव
सुपर 5500-6500 रूपये प्रति क्विंटल
एवरेज 4500-5500 रूपये प्रति क्विंटल
मीडियम 3100-4500 रूपये प्रति क्विंटल
हल्की 2000-2500 रूपये प्रति क्विंटल
आलू का भाव
आवक: 15000 कट्टे
किस्म का नाम भाव
सुपर पक्का 1400-1800 रूपये प्रति क्विंटल
ऐवरेज 1100-1300 रूपये प्रति क्विंटल
गुल्ला 600-900 रूपये प्रति क्विंटल
छररी 300-500 रूपये प्रति क्विंटल
छाटन 400-700 रूपये प्रति क्विंटल
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तरबूज़ की फसल में बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन

How and why to manage fertilizer at the time of sowing in watermelon crops
  • तरबूज़ की फसल में बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन करने से फसल में पोषण से संबंधित समस्याओं से सुरक्षा होती है।
  • उर्वरक प्रबंधन करने से पोषक तत्वों की पूर्ति होती है एवं फसल में पोषक तत्वों की कमी से सुरक्षा होती है।
  • बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन करने के लिए DAP @ 50 किलो/एकड़ + एसएसपी @ 75 किलो/एकड़ + पोटाश @ 75 किलो/एकड़ + जिंक सल्फ़ेट @ 10किलो/एकड़ + मैगनेशियम सल्फ़ेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • इस प्रकार उर्वरक प्रबंधन करने से फसल एवं मिट्टी में फॉस्फोरस, पोटाश, नाइट्रोजन जैसे उर्वरकों की पूर्ति आसानी से हो जाती है।
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चने की फसल में बुआई के 40-45 दिनों में करें ये छिड़काव

Benefits of spray in gram crop in 40-45 days of sowing
  • चने की फसल में 40-45 दिनों में छिड़काव प्रबंधन करने से फसल के वृद्धि एवं विकास में काफी लाभ मिलता है।
  • इस समय चने की फसल में फूल एवं फल आने शुरू हो जाते हैं जिसकी वजह से चने की फसल में बहुत अधिक मात्रा में कीट प्रकोप होता है। कीटों के प्रकोप के कारण चने की फसल का उत्पादन बहुत ज्यादा प्रभावित होता है।
  • कीट नियंत्रण के लिए: इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कवक रोगो के लिए: हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 400 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी@ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • वृद्धि विकास के लिए: होमोब्रेसीनोलाइड 0.04% @ 100 मिली/एकड़ या पेक्लोबूट्राज़ोल 40% SC@ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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