- मौसम में हो रहे परिवर्तनों के कारण जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है वैसे वैसे ओस की बूँदे भी फसलों पर गिरने लगी है।
- ओस की इन बूंदों के कारण फसलों में कई प्रकार के रोग लगने का खतरा बढ़ गया है।
- इन दिनों में सुबह के समय अक्सर फसल पर बर्फ जैसी ओस जमी हुई दिखाई देती है।
- ऐसे समय में फसलों पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
- अधिक ओस गिरने के कारण फसलें चौपट हो जाती हैं, पत्तियां काली पड़ जाती हैं और फसल की बढ़वार भी रुक जाती है।
- कई बार इस रोग में फसल की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और धीरे धीरे पूरी फसल बर्बाद होने लगती है।
- इसके निवारण के लिए जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
आलू की फसल में 30-35 दिनों में मिट्टी पलटना होता है आवश्यक
- आलू की फसल में की जाने वाली एक मुख्य प्रक्रिया है मिट्टी पलटने की प्रक्रिया।
- इस प्रक्रिया को करने के कारण मिट्टी भुरभुरी हो जाती है एवं खरपतवार भी नष्ट हो जाते हैं।
- ऐसा करने से पौधे में कंद का विकास अच्छा होता है क्योंकि मिट्टी हवादार हो जाती है है और मिट्टी का तापमान भी बाहरी तापमान के बराबर हो जाता है।
- जब तक पौधे की ऊंचाई 15-22 सेंटीमीटर ना हो जाये तब तक एक से दो बार हर 20-25 दिनों के अंतर से मिट्टी पलटना बहुत आवश्यक होता है।
- बेहतर फसल की उपज के लिए मिट्टी पलटने की प्रक्रिया बहुत आवश्यक होती है।
सब्सिडी पर कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए आवेदन करें
मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों से कोल्ड स्टोरेज बनाने के इच्छुक किसानों से आवेदन की मांग की हैं। इसके इच्छुक किसान ऑनलाइन विधि से आवेदन कर सकते हैं |
500 एवं 1000 मेट्रिक टन की क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के लिए आवेदन प्रक्रिया अभी चालू है। इसके अंतर्गत दिनांक 26-12-2020 समय सुबह 11:00 बजे से दिनांक 10 जनवरी 2021 समय शाम 5:30 तक किसान आवेदन कर सकते हैं |
किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उधानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर पंजीयन करवाना है।
स्रोत: किसान समाधान
Shareखेतों से मिट्टी का कटाव होने से खेती पर पड़ता है बुरा प्रभाव
- मिट्टी का कटाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।
- जब वर्षा के माध्यम से जल की बुँदे बहुत तेज़ी से मिट्टी पर गिरती है तो मिट्टी के छोटे छोटे कण बिखर जाते हैं और इसी के कारण मिट्टी में कटाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
- मिट्टी का अधिक कटाव होने के कारण मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
- मिट्टी के कटाव के कारण फसल की उपज पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है।
आपकी फसल के लिए बहुत लाभकारी है केंचुआ खाद
- केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) एक उत्तम जैव उर्वरक है।
- यह केंचुए के द्वारा गोबर, वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाया जाता है।
- केंचुआ खाद संपूर्ण पोषक तत्वों से परिपूर्ण खाद माना जाता है।
- इस खाद के उपयोग से फसलों की उपज बहुत ज्यादा बढ़ाई जा सकती है।
- इस खाद में बदबू नहीं होती है एवं यह मिट्टी एवं वातावरण प्रदूषण भी नहीं करती है।
- केंचुआ खाद में 2.5 से 3% नाइट्रोजन, 1.5 से 2% सल्फर तथा 1.5 से 2% पोटाश पाया जाता है।
असमय बारिश से फसल विकास होगा अवरुद्ध, जानें फसल वृद्धि के उपाय
रबी फसलों फसलों की बुआई के बाद ज्यादातर किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर ही रहे थे पर अचानक हुई बारिश के कारण खेतो में नमी की मात्रा बहुत अधिक हो गई होगी जिसके कारण फसलों का विकास बहुत प्रभावित होगा। इसके कारण जड़े जमीन से आवश्यक तत्वों का अवशोषण कम करेंगी या बिलकुल भी नहीं कर पाएंगी। इस वजह से पौधे पीले पड़ सकते हैं और फसल का विकास रुक जाएगा।
इन संभावित समस्याओं के समाधान हेतु आप निम्न उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं
प्रबंधन: प्रो एमिनोमेक्स @ 250 मिली/एकड़ या मेक्सरूट @ 100 ग्राम/एकड़ छिड़काव के रूप में, 250 ग्राम/एकड़ ड्रिप उपचार के रूप में एवं 500 ग्राम/एकड़ मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें या विगरमैक्स जेल@ 400 ग्राम/एकड़ छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
Shareआलू की फसल को एफिड एवं जेसिड के प्रकोप से ऐसे बचाएं
- एफिड एवं जैसिड रस चूसक कीटों की श्रेणी में आते हैं।
- यह कीट आलू की फसल की पत्तियों का रस चूसकर पौधे के विकास को बहुत प्रभावित करते हैं।
- इससे ग्रसित पौधे की पत्तियां पीली होकर सिकुड़ कर मुड़ जाती हैं। इसके अत्यधिक प्रकोप की अवस्था में पत्तियाँ सूख जाती हैं और इसके परिणामस्वरूप धीरे-धीरे पूरा पौधा भी सूख जाता है।
- इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ या एसीफेट 75% SP@ 300 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
मध्य प्रदेश में किसान सरकारी सहायता से बना सकेंगे कोल्ड स्टोरेज
मध्यप्रदेश राज्य की शिवराज सिंह सरकार द्वारा विकासखंड स्तर पर किसान भाइयों को छोटे कोल्ड स्टोरेज प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। ख़बरों के अनुसार उद्यानिकी फसलों के रख-रखाव हेतु कोल्ड स्टोरेज के लिए किसानों को मदद दी जाएगी, जिससे किसान स्वयं ही अपनी उपज को सुरक्षित रख पाएंगे।
गौरतलब है कि वर्तमान में सरकार बड़ी मंडियों के पास तथा जिला स्तर पर 5000 मीट्रिक टन की क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज लगाने हेतु मदद करती है। परन्तु इस नए निर्णय के बाद अब छोटे किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareटमाटर की फसल में लाल मकड़ी के प्रकोप की पहचान एवं नियंत्रण
- लाल मकड़ी टमाटर के पत्ते के निचले हिस्से में धागे नुमा संरचना बनाकर पत्तियों का रस चूसती हैं।
- रस चूसने के कारण पत्तियों का ऊपरी भाग पीला हो जाता है और धीरे-धीरे पूरी तरह मुड़कर सूख जाता है।
- इसके नियंत्रण के लिए स्पैरोमेसीफेन 22.9% SC @ 250 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रॉपरजाइट 57% EC@ 400 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
मध्यप्रदेश की 30 मंडियों को शिवराज सरकार बना रही है हाईटेक
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एक अहम फैसला लिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश की सभी कृषि उपज मंडियों का विकास किया जा रहा है। पहले चरण में प्रदेश की 30 कृषि उपज मंडियों को हाइटेक बनाया जाएगा।
हाइटेक मंडियों में गोदाम, भंडारण, मूल्य संवर्धन, कोल्ड स्टोरेज और एग्री क्लीनिक की सुविधाएँ किसानों की मिलेंगी। इसके अलावा इन हाईटेक मंडियों में ग्रेडिंग मशीनें भी लगाई जाएंगी।
स्रोत: न्यूज़ 18
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