- समन्वित पौध प्रबंधन से आशय यह है की पौधो को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाए बिना उनका सही तरीके से प्रबंधन करना।
- इसके अंतर्गत इस बात का ध्यान रखा जाता है की किसी भी रसायन के उपयोग से फसल के लिए लाभकारी कीटों को कोई नुकसान नहीं हो।
- कीट प्रतिरोधी एवं रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करके बुआई करें।
- फसल चक्र अपनाकर फसल की बुआई करें। एक ही कुल की फसलों की बुआई एक ही खेत में ना करें।
- खेत की अच्छे से जुताई करके एवं बीज़ उपचार तथा मिट्टी उपचार करके ही बुआई करें।
डेरी फॉर्मिंग में साइलेज़ की मदद से दुग्ध उत्पादन को बढ़ाएं
- अच्छी गुणवत्ता वाले दूध का उत्पादन करने के लिए दुग्ध उत्पादकों को पूरे वर्ष अच्छी गुणवत्ता वाले हरे चारे की आवश्यकता होती है।
- यदि दुग्ध उत्पादक हरे चारे के लिए मक्का की खेती करते हैं, तो यह हरा चारा जानवरों को केवल 10 से 30 दिनों तक मिलता है।
- परन्तु यदि दुग्ध उत्पादक साइलेज़ का उपयोग करते हैं तो पूरे वर्ष जानवरों को हरा चारा मिलता रहता है।
- साइलेज का उपयोग करने से किसान के लिए श्रम लागत कम हो जाती है।
- अच्छा साइलेज़ बनाने के लिए मक्का, जई, बाजरा, लूसर्न जैसी फसलों का उपयोग किया जाता है जिन्हें साइलेज बनाने के लिए एकदम सही माना जाता है।
मध्यप्रदेश सरकार दे रही है सब्सिडी पर सिंचाई यंत्र, जल्द करें आवेदन
मध्यप्रदेश सरकार किसानों को सिंचाई यंत्र की खरीदी के लिए सब्सिडी दे रही है। मध्यप्रदेश के किसानों को यह सब्सिडी नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन योजना के अंतर्गत दी जा रही है। वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत किसानों से सिंचाई यंत्र की खरीदी के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं। ये सब्सिडी स्प्रिंकलर सेट, पाइप लाइन सेट, विद्युत पम्प, मोबाइल रेनगन जैसे यत्रों पर मिलेगी।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के अंतर्गत कटनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, सिवनी, डिण्डौरी, मंडला, नरसिंहपुर, दमोह, पन्ना, रीवा, सिंगरौली, सतना, उमरिया, अनूपपुर, रायसेन, हौशंगाबाद और बैतुल जिले में सब्सिडी पर सिंचाई यंत्रों हेतु आवेदन मांगे गए हैं।
इसके साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन गेहूं योजना के अंतर्गत कटनी, सिवनी, सागर, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, रीवा, सीधी, सतना, खंडवा, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, रायसेन, विदिशा एवं राजगढ़ के किसान आवेदन कर सकते हैं।
इस योजना में आवेदन करने की आखिरी तिथि 27 जनवरी 2021 है। ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर जाकर किसान इस योजना में आवेदन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए https://dbt.mpdage.org/Agri_Index.aspx पर जाएँ।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareग्रामोफ़ोन एप पर फिर शुरू हुआ फोटो प्रतियोगिता, मिलेंगे कई आकर्षक इनाम
ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर 22 जनवरी से ‘मेरा गांव मेरा अभिमान’ फोटो प्रतियोगिता शुरू हो रहा है जिसमे भाग लेकर आप जीत सकते है कई आकर्षक इनाम।

इस फोटो प्रतियोगिता में कोई भी किसान भाग ले सकते हैं। इसमें भाग लेने के लिए आपको अपने गांव की एक खूबसूरत तस्वीर ग्रामोफ़ोन एप के समुदाय सेक्शन में पोस्ट करनी होगी और उस फोटो पर अपने आस पास के किसान भाइयों से लाइक करवाने होंगे।
विजेताओं का चुनाव आपके द्वारा पोस्ट की गई फोटो पर आये लाइक्स की संख्या के आधार पर किया जाएगा। इसका मतलब हुआ की जिस फोटो पर सबसे ज्यादा लाइक होंगे उस फोटो को पोस्ट करने वाला व्यक्ति विजेता होगा।
यह प्रतियोगिता 10 दिनों तक चलेगी और इन दस दिनों के दौरान हर दो दिन पर अपनी फोटो पर सबसे अधिक लाइक (कम से कम दस लाइक होना जरूरी है) प्राप्त करने वाला एक प्रतियोगी विजेता बनेगा। इसके साथ ही इस दस दिनी प्रतियोगिता के अंत में टॉप किसानों को मिलेंगे बम्पर पुरस्कार।
*नियम व शर्तें लागू
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मध्य भारत में मौसम शुष्क बने रहने की संभावना है, जानें मौसम पूर्वानुमान
मध्य भारत के सभी राज्यों में आने वाले दिनों में मौसम के शुष्क बने रहने की संभावना है वहीं पूर्वोत्तर भारत में असम, अरुणाचल, सिक्किम, मेघालय और नागालैंड पर बना बारिश का मौसम अगले 24 घंटों तक बना रहेगा। इस दौरान तमिलनाडु में भी कुछ स्थानों पर होगी वर्षा। उत्तर भारत में भी 22 जनवरी से मौसम बादल जाएगा।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareजानिए क्या है मेवाती गाय की पहचान
- भारत में गाय की कई प्रकार की नस्लें पाई जाती हैं।
- गाय की एक नस्ल मेवाती (Mewati Cow) है, जो मेवात क्षेत्र में पाई जाती है।
- यह मेवाती गाय राजस्थान के भरतपुर जिले, पश्चिम उत्तर प्रदेश के मथुरा और हरियाणा के फ़रीदाबाद और गुरुग्राम जिलों पाई जाती है।
- मेवाती नस्ल के पशुओं की गर्दन सामान्यतः सफेद होती है।
- इनका चेहरा लंबा व पतला होता है, आंखे उभरी हुई और काले रंग की होती हैं।
- इनके ऊपरी होंठ मोटे व लटके हुए होते हैं। इनके नाक का ऊपरी भाग सिकुड़ा हुआ प्रतीत होता है।
मध्यप्रदेश में 500 करोड़ की लागत से खुलेंगे 10500 फूड प्रोसेसिंग प्लांट
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘आत्म निर्भर मध्य प्रदेश’ के अंतर्गत राज्य में 500 करोड़ रुपये की लागत से फूड प्रोसेसिंग प्लांट्स लगाए जाने की बात कही है। इस बाबत राज्य सरकार की तरफ से अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं।
राज्य मंत्री कुशवाह ने इस विषय पर कहा है कि “अगले 4 सालों में राज्य में 10 हजार 500 नए फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जाएंगे जिसे हाल में मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इन प्लांट्स को लगाने के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि अनुमोदित की गई है।”
स्रोत: कृषि जागरण
Share22 जनवरी से मौसम में होगा बदलाव, जानें अपने क्षेत्र का मौसम पूर्वानुमान
आने वाले दिनों में मध्य भारत का मौसम जहाँ स्थिर रहेगा वहीं उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों के पास एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ जल्द दस्तक देगा। इसके प्रभाव से 23 जनवरी से 25 जनवरी के बीच जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश लद्दाख उत्तराखंड में कई जगहों पर बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है। पंजाब, हरियाणा में भी कुछ स्थानों पर हो सकती है वर्षा और ओलावृष्टि। इस बीच अगले 48 घंटों के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों और तमिलनाडु में हल्की से मध्यम वर्षा जारी रहेगी।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareसोलर जल पंप से होगा किसानों को लाभ, कृषि लागत में आएगी कमी
- डीजल तथा बिजली की बढ़ती कीमतों के कारण किसानों को इन माध्यमों से जल पम्प के इस्तेमाल में खर्च बहुत ज्यादा हो जाता है। इसीलिए किसान इनके विकल्प के रूप में सौर ऊर्जा संचालित पंप का उपयोग कर सकते हैं।
- सौर जल पंप प्रणाली में बिजली या तो एक या फिर कई फोटो वोल्टेइक (पीवी) पैनलों के माध्यम से मिलती है।
- सौर ऊर्जा से चलने वाली इस पंपिंग प्रणाली में एक सौर पैनल होता है। यह सौर पैनल एक इलेक्ट्रिक मोटर को ऊर्जा प्रदान करती है। यही मोटर पंप को शक्ति देता है।
- इन पंपों के रखरखाव की लागत भी काफी कम होती है और इसका इस्तेमाल भी लंबे समय तक किया जा सकता है।
50% सरकारी सब्सिडी पर करें मछली आहार का बिजनेस, होगा बंपर मुनाफा
मध्य प्रदेश सरकार मछली आहार का बिजनेस करने के इच्छुक लोगों को 50% की सब्सिडी दे रही है। इस योजना का लाभ मध्य प्रदेश के सभी जिले के हर वर्ग के किसान उठा सकते हैं।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए भूमि संबंधित आवश्यक दस्तावेजों जैसे खसरा तथा नक्शा देना होता है। गौरतलब है कि मछली आहार उत्पादन यूनिट लगाने में तक़रीबन 10 लाख रूपये का खर्च होता और इस योजना के तहत इस खर्च का 50% हिस्सा सब्सिडी के रूप में राज्य सरकार देती है।
स्रोत: कृषि जागरण
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