वर्तमान समय में मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण गेहूँ की फसल में जड़ माहू कीट का काफी प्रकोप हो रहा है।
जड़ माहू कीट कीट हल्के पीले रंग से गहरे पीले रंग का होता है। गेहूँ के पौधों को जड़ से उखाड़ कर देखने पर यह कीट जड़ों के ऊपर तने वाले भाग में आसानी से दिखाई देता है।
यह कीट गेहूँ के पौधों की जड़ों के ऊपर तने वाले भाग से रस चूसता है, जिसके कारण पौधा पीला पड़ने लगता है और धीरे-धीरे सूखने लगता है। शुरुआत में इसके प्रकोप के कारण खेतों में जगह-जगह पीले पड़े हुए पौधें दिखाई देते हैं।
अभी कुछ जगहों पर गेहूँ की बुआई चल रही है या होने वाली है इस समय गेहूँ की बुआई के पहले खेत के मिट्टी का उपचार करना बहुत आवश्यक है। अतः थियामेंथोक्साम 25% WG@ 200-250 ग्राम/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें। साथ ही जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
गेहूँ के बीजों का बीज़ उपचार करके ही बुआई करें। इसके लिए इमिडाक्लोप्रिड 48% FS @ 1.0 मिली/किलो बीज़ या थियामेंथोक्साम 30% FS @ 4 मिली/किलो बीज़ को बीज़ उपचार रूप उपयोग करें।
जिन जगहों पर गेहूँ की बुआई हो चुकी है एवं जड़ माहू का बहुत अधिक प्रकोप दिखाई दे रहा है वैसे जगहों पर इसके नियंत्रण के लिए थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें। साथ ही जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
इस प्रकार समय समय पर नियंत्रण के उपाय करके जड़ माहू का नियंत्रण किया जा सकता है।