गेहूँ की पराली से खेत में ही बनाएं घरेलू खाद, जानें पूरी प्रक्रिया

Make domestic fertilizer in the field with wheat straw

किसानों के बीच फ़सल अवशेषों के निपटारे को लेकर अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है। अक्सर फसल की कटाई के बाद फ़सल अवशेषों को जलाये जाने की खबर आती है जिसके कारण प्रदूषण का स्तर भी काफी बढ़ जाता है। फसल अवशेषों को खेत में जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। इसीलिए फ़सल अवशेषों के बेहतर निपटारे हेतु किसानों को कार्य करना चाहिए और इसके लिए सबसे बेहतर युक्ति है इन अवशेषों का डिकम्पोजर की मदद से घरेलू खाद बनाना। ऐसा करके वे ना सिर्फ फ़सल अवशेषों का निपटारा कर पाएंगे बल्कि डिकम्पोजर की मदद से तैयार घरेलू खाद से खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ा पाएंगे।

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इन उपायों से मिर्च की नर्सरी को डंपिंग ऑफ रोग से बचाएं

damping off disease in chilli nursery,
  • डम्पिंग ऑफ मिर्च की नर्सरी में लगने वाला एक प्रमुख रोग है।

  • इस रोग के कारण मिर्च की फसल नर्सरी अवस्था में बहुत अधिक प्रभावित होती है।

  • डम्पिंग ऑफ रोग के कारण अंकुरण के तने पानी से लथपथ और पतले, लगभग धागे जैसे हो जाते। हैं।

  • संक्रमित पत्तियाँ भूरे से हरे रंग की हो जाती हैं और युवा पत्तियां मुरझाने लगती हैं।

  • प्रबंधन हेतु थियोफैनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालेक्सिल + मेंकोजेब @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से उपयोग करें।

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ऐसे जानें मिट्टी का पी.एच मान, फ़सलों को होता है इसका लाभ

How to know the pH of soil and its benefits in crops
  • मिट्टी के पीएच द्वारा मिट्टी की अभिक्रिया का पता चलता है। इससे पता चलता है की यह सामान्य, अम्लीय या क्षारीय किस प्रकृति का है?

  • मिट्टी के पीएच मान के घटने या बढ़ने से फसलों की वृद्धि पर असर पड़ता है।

  • जिस जगह pH मान की समस्या होती है ऐसे क्षेत्रों में फसल की उन उपयुक्त किस्मों की बुआई की जाती है जो कि अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो।

  • मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 की बीच होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों का सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है।

  • पीएच मान 6.5 से कम होने पर भूमि अम्लीय और 7.5 से अधिक होने पर भूमि क्षारीय होती है।

  • अम्लीय भूमि के लिए चूने एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की सिफारिश की जाती है।

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पुर्तगाल से आये मिर्च ने भारत में काली मिर्च के एकाधिकार को खत्म किया

Chilli came from Portugal ended black pepper monopoly in India

इतिहास में भारत पूरी दुनिया में मसालों के लिए जाना जाता था। भारत में कई प्रकार के मसाले होते थे और इनमें प्रमुख थी काली मिर्च। एक वक़्त पर तीखे स्वाद के लिए काली मिर्च भारत समेत पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थी। पर काली मिर्च के इस एकाधिकार को खत्म किया पुर्तगालियों के साथ आये मिर्च ने, जी हाँ मिर्च भारत में सबसे पहले सन 1498 में आई थी और इसे पुर्तगाली सबसे पहले गोवा लेकर आए थे। 

बस मिर्च के भारत आने भर की देर थी यह भारत के लोगों को भी खूब पसंद आई और जल्द ही भारत में भी इसकी खेती शुरू हो गई। आज पूरे विश्व में भारत ही है हर मायने में मिर्च का महाराजा। विश्व पटल पर भारत मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक देश है। यहाँ लगभग 751 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मिर्च की खेती की जाती है जिससे लगभग 2149 हजार मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है। तो इस तरह तीखेपन की जंग में देशी काली मिर्च विदेशी मिर्च से हार गई।

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1000 रुपये प्रति किलो बिकते हैं केकड़े, होती है लाखों में कमाई

Crabs are sold for 1000 rupees per kg

केकड़ा पालन किसानों के लिए कमाई का एक अच्छा स्रोत है। इसके पालन की प्रक्रिया कई तरीके से कर सकते हैं। इसमें खर्च भी बहुत ज्यादा नहीं लगता है और लाभ अच्छा मिल जाता है। बाजार में इसकी कीमत 1000 रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा होते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए देखे वीडियो।

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

ये भी पढ़ें: केकड़ा पालन की विस्तृत जानकारी

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सल्फर आपकी फ़सलों को कैसे पहुँचाता है लाभ?

Importance of Sulfur in crops
  • सल्फर फ़सलों में प्रोटीन के प्रतिशत को बढ़ाने में सहायक होता है साथ ही साथ यह पर्णहरित लवक के निर्माण में भी योगदान देता है जिसके कारण पत्तियां हरी रहती हैं तथा पौधों के लिए भोजन का निर्माण हो पाता है।

  • सल्फर नाइट्रोजन की क्षमता और उपलब्धता को बढ़ाता है।

  • दलहनी फ़सलों में गंधक का प्रयोग पौधों की जड़ों में अधिक गाठें बनाने में सहायक होता है और इससे पौधों की जड़ों में उपस्थित राइज़ोबियम नामक जीवाणु वायुमंडल से अधिक से अधिक नाइट्रोजन लेकर फ़सलों को उपलब्ध करने में सहायक होते है।

  • यह तम्बाकू, सब्जियों एवं चारे वाली फ़सलों की गुणवत्ता को बढ़ता है।

  • सल्फर का महत्वपूर्ण उपयोग तिलहनों फ़सलों में प्रोटीन और तेल की मात्रा में वृद्धि करना है।

  • सल्फर आलू में स्टार्च की मात्रा को बढ़ाता है।

  • सल्फर को मिट्टी का सुधारक कहा जाता है क्योंकि यह मिट्टी के पीएच मान को कम करता है।

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मध्य प्रदेश के इन क्षेत्रों में हो सकती है छिटपुट बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

मध्य भारत में फ़िलहाल मौसम काफी गर्म है। गुजरात में 1-2 दिनों के बाद बारिश थम जाएगी। हालांकि दक्षिणी पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में छुटपुट बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र जैसे इलाकों में अगले 2-3 दिनों के दौरान अच्छी बारिश होने की संभावना बन रही है।

स्रोत : स्काईमेट वेदर

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नारियल के रेशों से कुछ इस प्रकार तैयार होता है कोकोपीट

This is how coco peat is prepared from coconut fibers
  • बहुत से आवश्यक पोषक तत्व नारियल के रेशों में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और इन्ही नारियल के रेशों को कृत्रिम रूप से अन्य पोषक खनिज लवणों के साथ मिलाकर मिट्टी का निर्माण करने की प्रक्रिया को “कोकोपीट” कहते हैं।

  • यह नारियल उद्योग का एक उत्पाद है और समुद्री इलाकों के लोगों को एक अतिरिक्त आय का स्रोत भी देता है।

  • नारियल के ऊपरी रेशे को सड़ाकर कर उसे छिलके निकाल कर बुरादा बनाकर इसे प्राप्त किया जाता है।

  • पीट मोस या कोकोपिट दोनों का उद्देश्य एक सा ही है, दोनों ही गमले की मिट्टी को हवादार बनाते हैं साथ ही उसमें नमी रोककर रखते हैं और यह बहुत हल्का भी रहता है।

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गर्मियों के मौसम में जब खेत खाली हो तब इन कार्यों को जरूर करें

Work to be done in the empty field in summer
  • गर्मियों के समय बहुत से किसानों के खेत खाली पड़े रहते हैं। इसीलिए ऐसे समय में खेत से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों को कर लेना उपयुक्त होता है।

  • किसान गर्मी के मौसम में खाली पड़े खेतों में डिकम्पोज़र का उपयोग करके अपने खेत में पड़े फसल अवशेषों को उपयोगी खाद में बदल कर अपने खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं।

  • पुराने पूरी तरह सड़ चुके गोबर को खेत में डालकर खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि की जा सकती है।

  • खेत की अच्छे से गहरी जुताई करके खेत में उग रहे खरपतवारों के बीजों को नष्ट किया जा सकता है।

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पीएम किसान योजना की आठवीं क़िस्त के 2000 रूपये किसानों को जल्द मिलने वाले हैं

PM Kisan Samman Nidhi Yojna

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत सभी पात्र किसानों के बैंक खातों में 2000 रुपये की अगली किस्त मई महीने के शुरुआत के बाद किसी भी वक़्त आनी शुरू हो जायेगी। बता दें की यह क़िस्त, इस योजना की आठवीं क़िस्त है और इससे पहले सात क़िस्त किसानों को दी जा चुकी है।

अगर आप इस योजना के पात्र किसान हैं तो अपना स्टेटस चेक कर लें और यह निश्चित कर लें की आपके आवेदन में कोई त्रुटि तो नहीं है।

अपना स्टेटस चेक करने के लिए :

  • योजना की अधिकारिक वेबसाइट ? pmkisan.gov.in पर जाएँ और फार्मर कॉर्नर पर क्लिक करें। इसके बाद आपको लाभार्थी की स्थिति दिखाई देगी। अब आप उस पर क्लिक कर दें।

  • लाभार्थी की स्थिति पर क्लिक करने के बाद आपको अपना आधार नंबर, खाता नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।

  • इतना करने के बाद आपको इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि आपका नाम पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों की सूची में है या नहीं।

  • अगर आपका नाम इस लिस्ट में है और उसमें किसी प्रकार की गलती नहीं है, तो आपको योजना का लाभ जरूर मिलेगा।

स्रोत : कृषि जागरण

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