2021 में हुई फसल क्षति पर सरकार देगी मुआवजा, पढ़ें पूरी ख़बर

Government will give compensation for crop damage in 2021

राजस्थान सरकार किसानों के हित में आए दिन घोषणाएं करती रहती है। इस बार सरकार उन किसानों के लिए योजना लेकर आई है, जिनकी फसल को पिछले साल आई बाढ़ और सूखे के चलते काफी नुकसान पहुंचा था। सरकार की घोषणा के तहत ऐसे किसानों को राहत राशि प्रदान की जाएगी।

बता दें कि राजस्थान में वर्ष 2021 में खरीफ सीजन के दौरान 10 जिलों के 6 हजार 122 गांवों में 33 प्रतिशत या इससे अधिक फसल का नुकसान पहुंचा था। इसके लिए सरकार ने किसानों को मुआवजा देने के लिए 175 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। इनमें से प्रभावित किसानों में 1 लाख 84 हजार 682 किसानों को भुगतान के वितरण के लिए स्वीकृति जारी कर दी गई है।

इस योजना की खास बात यह है कि सरकार द्वारा यह राहत राशि उन सभी किसानों को दी जाएगी जिनकी फसल को नुकसान पहुंचा था, चाहे फिर उन किसानों का फसल बीमा भी न हो। फिलहाल राजस्थान सरकार के आकड़ों के अनुसार वर्तमान में 70 लाख 58 हजार किसान अब भी बाकी हैं, जिन्हें राहत राशि देना शेष है। जिसको पूर्ण करने की प्रक्रिया में सरकार लगी हुई है, ताकि राज्य के सभी किसानों के नुकसान की भरपाई जल्द से जल्द पूरी की जा सके।

स्रोत: किसान समाधान

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इंदौर मंडी में 24 मार्च को क्या रहे प्याज भाव?

Indore onion Mandi Bhaw

वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 24 मार्च के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

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मूंग की फसल में झुलसा रोग की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

Outbreak of blight in moong crop
  • किसान भाइयों मूंग की फसल में इस रोग में पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं, तने पर बने विक्षत धब्बे लंबे दबे हुए एवं बैंगनी-काले रंग के होते हैं। ये धब्बे बाद में आपस में मिल जाते हैं और पूरे तने को चारों और से घेर लेते हैं। फलियों पर लाल या भूरे रंग के अनियमित धब्बे दिखाई देते हैं। रोग की गंभीर अवस्था में तना कमजोर होने लगता है।

  • रासायनिक प्रबधन: करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी) @ 300 ग्राम या मिल्ड्यू विप (थायोफिनेट मिथाइल 70%डब्ल्यूपी) @ 300 ग्राम या जटायू (क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी) @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।   

  • जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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मूंग की 15 से 25 दिनों की अवस्था में ये छिड़काव करें व पाएं स्वस्थ फसल बढ़वार

Follow this spraying in 15 to 25 days after sowing of moong
  • किसान भाइयों मूंग की फसल में इस अवस्था पर कीट एवं रोगों के प्रकोप के साथ ही वृद्धि से संबंधित समस्या भी दिखाई देती है।

  • इन सभी समस्याओं के निवारण के लिए मूंग की फसल की बुवाई के 15-25 दिनों में निम्न सिफारिशें अपनाकर फसल प्रबंधन कर सकते हैं। 

  • नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0. 001 एल) @ 300 मिली + मिल्ड्यू विप (थायोफेनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी) @ 300 ग्राम + थायोनोवा 25 (थायामेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी) @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।  

  • इल्ली की समस्या दिखाई देने पर इमानोवा (इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी) @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 

  • जैविक नियंत्रण के रूप में कीटों से बचाव के लिए बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ एवं रोगों के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग कर सकते हैं।

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कुछ क्षेत्रों में बारिश तो कुछ क्षेत्रों में भीषण गर्मी के आसार

Weather Forecast

पिछले दो दिनों के दौरान दिल्ली सहित पंजाब हरियाणा राजस्थान गुजरात मध्य प्रदेश तथा मुंबई में तापमान काफी गिरे हैं। यह राहत अगले 3 दिनों तक जारी रह सकती है। आंतरिक तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में प्री मानसून बारिश जारी रहेगी। पहाड़ों पर हल्की बारिश और हल्का हिमपात संभव है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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खेती में हुआ नुकसान तो सरकार करेगी 3 साल तक भुगतान

If there is a loss in agriculture then the government will pay for 3 years

कृषि में रासायनिक उर्वरकों के लगातार प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य एवं उपज की गुणवत्ता गिरती जा रही है। इसके अलावा रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में इन समस्याओं का एकमात्र उपाय प्राकृतिक खेती है। इसे अपनाकर रासायनिक खाद से हो रहे नुकसान से बचा जा सकता है। इसलिए सरकार देशभर में प्राकृतिक खेती या जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं भी चला रही हैं।

हालाकि सरकार के प्रयासों के बावजूद भी किसान प्राकृतिक खेती करने से झिझक रहे हैं। किसानों को डर है कि इस पद्धति को अपनाने से उत्पादन में कमी आएगी और उन्हें नुकसान होगा। इसके साथ ही जैविक उत्पाद बेचने के लिए बाजार भी उपलब्ध नहीं होंगे। किसान भाईयों की इन्हीं आशंकाओं को खत्म करने के लिए हरियाणा सरकार एक योजना लेकर आई है। इसके तहत राज्य के किसानों को प्राकृतिक खेती की फायदें गिनाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं अगर प्राकृतिक खेती से किसानों की पैदावार को नुकसान पहुंचता है, तो सरकार द्वारा 3 सालों तक इसकी भरपाई की जाएगी।

बता दें कि हरियाणा सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में प्राकृतिक खेती को महत्व दिया है। इसके लिए सरकार ने इस बार 32 करोड़ रुपए के बजट प्रावधान की घोषणा की है। जिसकी मदद से प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की आर्थिक तौर पर मदद की जाएगी। वहीं अगर पैदावार में किसी भी तरह का नुकसान होता है, तो सरकार 3 साल तक इसकी भरपाई करेगी।

स्रोत: ट्रैक्टर जंगशन

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रतलाम मंडी में 23 मार्च को क्या रहे नए गेहूँ के भाव?

Ratlam Mandi wheat Rate

नए गेहूँ भाव में आज कितनी तेजी या मंदी देखने को मिली? वीडियो के माध्यम से देखें की आज मंडी में कैसा चल रहा है गेहूँ का भाव !

स्रोत: यूट्यूब

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कपास के भाव में जबरदस्त तेजी का दौर, देखें विशेषज्ञ रिपोर्ट

Rise in Cotton Rates

कपास किसानों के लिए अच्छी खबर आ रही है। कपास के भाव में तेजी देखने को मिल रही है। वीडियो के माध्यम से देखें कपास के भाव में कौन कौन से कारकों के कारण तेजी देखने को मिल रही है।

वीडियो स्रोत: मार्केट टाइम्स टीवी

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इंदौर मंडी में 23 मार्च को क्या रहे प्याज भाव?

Indore onion Mandi Bhaw

वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 23 मार्च के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

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प्याज की पत्तियां पीली होकर ऊपर से सूखने लगे तो हो जाएँ सावधान

Onion bolting or flowering problem and its remedy
  • किसान भाइयों प्याज में बोल्टिंग की समस्या एक रोग नहीं बल्कि भौतिक परिवर्तन एवं व्याधि है जिसे आम भाषा में किसान प्याज में फूल आना या पाइप बनना आदि नामों से जानते है। यह समस्या प्याज में प्राय: 4-5 पत्ती अवस्था में देखने को मिलती है।

  • इस व्याधि में प्याज की पत्तियां पीली होकर ऊपर से सूखने लगती है एवं पत्तियों पर फूल बनने लगते हैं जिसके कारण प्याज के कंदो के आकार के साथ उपज भी प्रभावित होती है।

  • इसके संभावित कारणों में फसल में नाइट्रोजन की कमी एवं अधिकता, अधिक सिंचाई, मौसम के अनुसार किस्म का चयन न करना, मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी, पौध रोपाई में देरी, वातावरण में नमी आदि प्रमुख हैं।

  • इससे बचाव के लिए उचित समय पर सही मात्रा में नाइट्रोजन एवं पोषक तत्वों का उपयोग करें। ध्यान रखें की कंद बनते समय यूरिया का उपयोग न करें।

  • बुवाई के लिए मौसम के अनुसार अच्छी गुणवत्ता वाली किस्म का ही चयन करें एवं अधिक सिंचाई से बचें।

  • प्याज की रोप 30-45 दिनों में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है, रोपाई में देरी से भी इस व्याधि की संभावना बढ़ जाती है।

  • फसल में फूल दिखते ही उसे तोड़ दें, ऐसा करना आवश्यक है अन्यथा कंदो को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है और कंद छोटे रह जाते है।

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