Management of Black Scurf Disease of Potato

आलू में काला चित्ती रोग का प्रबंधन:-

  • इस रोग के कारण आलू की त्वचा पर काली सतह बन जाती है|
  • कन्दो का राइजोकटोनिया से संक्रमित मिट्टी के संपर्क मे आने से यह रोग फैलता है|
  • इस रोग के लक्षण पौधों के ऊपरी एवं निचले दोनों भागो में देख सकते है|
  • इस रोग के कारण पौधे के ऊपरी भाग में हरापन कम होने लगता है एवं पत्तियाँ बैंगनी रंग की दिखाई देती है|
  • पौधों के निचले भागों जैसे -जड, कन्द इत्यादि मे धब्बे बनने लग जाते है|
  • कन्द मे रोग आने के कारण इसकी गुणवत्ता के साथ-साथ इसका बाजार भाव भी कम हो जाता है|

प्रबंधन:-

  • फसल को लगाने से पहले मृदा के पौषक तत्त्व एवं पी.एच.की जाँच करा लेना चाहिए| मृदा का पी.एच.कम होने की दशा में यह रोग फ़ैल नहीं पाता है|
  • ऐसी जगह जहाँ यह रोग हर साल आता है उस स्थान पर आलू की फसल नहीं लेना चाहिए|
  • प्रमाणित कन्दों का ही उपयोग करें यदि ऐसा संभव ना हो सके तो कन्दों को फफूँदनाशक से उपचार करके ही बोए|
  • सल्फर 90% wdg @ 6 किलो/प्रति एकड़ आवश्यक रूप से दे | या अमोनियम सल्फेट खाद का उपयोग करें |
  • रोग के उपचार के लिए कन्दों को पेंसिकुरोन 250 सी.एस. 25 मिली /क्विंटल कन्द या पेनफ्लूफेन 10 मिली/ क्विंटल कन्द की दर से उपचारित करें|

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Land Preparation for Watermelon Cultivation

तरबूज की खेती के लिए खेत की तैयारी:-

  • तरबूज की खेती सभी प्रकार की मृदा मे की जा सकती है लेकिन हल्की, रेतीली एवं उर्वर दोमट मृदा उत्तम होती है|
  • मृदा में कार्बनिक पदार्थों की उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है इसकी पूर्ति के लिए हरी खाद, कम्पोस्ट, केंचुआ की खाद इत्यादि को जुताई के समय मिला देना चाहिये |
  • खेत की अच्छी तैयारी के लिए पहले गहरी जुताई करे फिर हैरो चलाये जिससे जमीन भुरभुरी हो जाए|
  • हल्का ढाल दक्षिण दिशा की और रखना हैं|
  • खेत में से घास फुस साफ़ करें|
  • लेवलर से खेत को समतल करें और 2 मी. की दूरी पर मेड़ बनाये |

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Irrigation Management of Wheat

गेहू मे सिंचाई प्रबंधन:-

  • अच्छी फसल की प्राप्ति के लिए समय पर सिंचाई करना बहुत जरुरी होता है।
  • फसल में गाभा के समय और दानो में दूध भरने के समय सिंचाई करनी चाहिए।
  • ठंड के मौसम में अगर वर्षा हो जाये तो सिंचाई कम भी कर सकते है
  • कृषि वैज्ञानिको के मुताबिक जब तेज हवा चलने लगे तब सिंचाई को कुछ समय तक रोक देना चाहिए।
  • कृषि वैज्ञानिको का ये भी कहना है की खेत में 12 घंटे से ज्यादा देर तक पानी जमा नहीं रहने देना चाहिए ।
  • गेहूँ की खेती में पहली सिंचाई बुआई के लगभग 25 दिन बाद करनी चाहिए।
  • दूसरी सिंचाई लगभग 60 दिन बाद और तीसरी सिंचाई लगभग 80 दिन बाद करनी चाहिए।

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Soil requirement for muskmelon

खरबूज की खेती के लिए उत्तम मिट्टी –

  • खरबूज सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है|
  • इसके लिए रेतीली दोमट मृदा सर्वोत्तम होती है|
  • मिट्टी अच्छे जल निकास वाली और कार्बनिक पदार्थ से भरपूर होना चाहिए|
  • मिट्टी का पी.एच. 6.0 से 7.0 होने से उत्पादन अधिक होता है साथ ही फल का स्वाद भी अच्छा रहता है|
  • मिट्टी का तापक्रम 15° सेंटीग्रेड से कम हो जाने पर बीज की वृद्धि और पौधे का विकास रुक जाता है|
  • लवण सहित क्षारीय भूमि खरबूज की खेती के लिए उत्तम नहीं मानी जाती है|

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Important Practices for Increase Yield of Watermelon

तरबूज की उपज बढ़ाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें:-

  • काले प्लास्टिक से मल्चिंग  करने से कई तरह के लाभ होते है जैसे – यह मिट्टी को गर्म रखेगा, खरपतवार वृद्धि में बाधा डालेगा, और फलो का विकास, साफ़ सुथरे वातावरण में करने में सहायक होगा ।
  • तरबूज के बीज की बोवाई से ले कर फल तैयार होने तक विभिन्न अवस्थाए  जैसे बोवाई, फूल आने के पूर्व, फल बनते समय पानी का होना बहुत जरूरी  है|
  • मिट्टी को नम रखना जरूरी है, लेकिन यह ध्यान रखते हुए कि खेत में अतिरिक्त पानी भरा नहीं हो । बेल के आधार पर सुबह के समय पानी देना अच्छा होता है, सिचाई के समय यह ध्यान रखे की पत्तिया गीली नहीं हो | जैसे ही  फल बढ़ने लगे पानी कम कर देना चाहिए। शुष्क मौसम या गर्म मौसम फलो को मीठा बनाने में सहायक होता है |
  • यदि आप उर्वरक का चुनाव कर रहे है तो, यह  सुनिश्चित कर ले कि जो उर्वरक आप चुन रहे है वह फॉस्फोरस और पोटेशियम की तुलना में अधिक नाइट्रोजन प्रदान करता हो।लेकिन जब फलो का विकास हो रहा हो तब वो उर्वरक  चुने जो फॉस्फोरस और पोटेशियम ज्यादा दे और नाइट्रोजन कम प्रदान करे| तरल समुद्री शैवाल का उपयोग करना ज्यादा अच्छा होता हैं।
  • एक ही बेल  पर अलग-अलग नर और मादा फूल पैदा करती  हैं। सामान्यत मादा फूल आने के कई सप्ताह पहले नर फूलों का आना  शुरू हो जाता हैं। नर फूल का गिरना पैदावार को नुकसान नहीं पहुँचाता । अगर ये झड भी जाए तो मादा फूल बेल पर रहते है और फल बनाते है ।
  • मधुमक्खिया परागण के लिए आवश्यक होती है, जिससे बेल में फलो की संख्या बढ़ती है |जब फल पक रहा हो तब उसे सड़ने से बचने के लिए धीरे से उठा कर जमीन और फल के बीच गत्ते का  टुकड़ा या भूसा रख देना चाहिए |

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Sowing Time of Clusterbean (Guar)

ग्वार फली की बुआई का उचित समय:-

  • फसल मे अधिक उत्पादन बीज की गुणवत्ता पर अधिक निर्भर करता है|
  • वर्षा आधारित क्षेत्रों में बीज की बुवाई जुलाई के प्रथम पखवाड़े में की जाती है|
  • सिंचित क्षेत्रों में बीज की बुवाई जुलाई माह के आख़िरी सप्ताह में की जाती है|
  • गर्मी के मौसम में बीज के बुवाई का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है|
  • ग्वार के बीज को बोने का दूसरा समय फरवरी के आखिरी सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक होता है|
  • गर्मी के मौसम में समय पर बुवाई ना करने पर अधिक तापक्रम के समय पुष्पन प्रभावित होता है|
  • गर्मी के मौसम में बीजों को बोते समय वातावरण का तापक्रम 25-30 सेंटीग्रेट होना चाहिए|

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Suitable Climate for Muskmelon Cultivation

खरबूज की खेती के लिए आवश्यक वातावरणीय दशा:- 

  • खरबूज के बीज को बोने के सही समय नवंबर से फरवरी तक होता है|
  • गर्म -शुष्क मौसम फल की वृद्धि एवं अच्छे स्वाद के लिए अच्छा माना जाता है|
  • उच्च तापक्रम एवं धूप खरबूज में शर्करा की मात्रा को बढ़ाता है|
  • खरबूज की मिठास वंशानुगत विशेषताओं पर निर्भर करती है लेकिन पर्यावरणीय दशा कुछ हद तक इसे प्रभावित करती है|
  • यह ठंड के लिए अतिसंवेदनशील है एवं यह गर्मी की फसल के रूप में उगाया जाता है।

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Control of Aphids in Pea

मटर में माहु का नियंत्रण:-

  • हरे रंग के छोटे कीट होते है । वयस्क, बड़े नाशपाती के आकार वाले हरे, पीले या गुलाबी रंग के होते है।

हानि :-  

  • पत्तियों, फूलों व फल्लियों से रस चूसते है ।  
  • प्रभावित पत्तियां मुड़ जाती है व टहनियां छोटी रह जाती है ।
  • यह कीट मीठे पदार्थ का रिसाव करते है जो सूटी मोल्ड को विकसित करते है ।

नियंत्रण :-  

  • निम्न कीटनाशकों का 15 से 20 के अन्तराल से कीटो के समाप्त होने तक छिड़काव करें ।  
  1. प्रोफेनोफॉस 50% @ 50 मिली प्रति पम्प
  2. ऐसीटामाप्रीड 20% @ 10 ग्राम प्रति पम्प
  3. इमीडाक्लोरप्रिड 17.8% @ 7 मिली प्रति पम्प

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The likelihood of Frost

पाला पड़ने की संभावना:-

  • पाले का पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है।
  • जब तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर जाता है तथा हवा रुक जाती है, तो रात्रि को पाला पड़ने की संभावना रहती है।
  • वैसे साधारणता पाले का अनुमान दिन के बाद के वातावरण से लगाया जा सकता है।
  • सर्दी के दिनों में जिस दोपहर से पहले ठंडी हवा चलती रहे एवं हवा का तापमान जमाव बिंदु से नीचे गिर जाए। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाए तथा आसमान साफ रहे हैं, या उस दिन आधी रात के बाद से ही हवा रुक जाए, तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है।
  • रात को विशेष तीसरे एवं चौथे पहर में पाला पड़ने की संभावनाएं रहती हैं।
  • साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाए, यदि शीतलहर हवा के रुप में चलती रहे तो नुकसान नहीं होता है परंतु यदि इसी बीच हवा चलना रुक जाए तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है।

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Control of Fruit borer in Tomato

टमाटर में फल छेदक का नियंत्रण:-

  • फल छेदक छेद बनाकर फल में प्रवेश करता है और पूरी तरह से उन्हें नष्ट कर देता है जिससे गुणवत्ता और उपज दोनों में भारी नुकसान हो जाता है।
  • इस कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए, प्रोफेनफोस 40% ईसी @ 400 मिलीलीटर / एकड़ या इंडोक्सकार्ब 14.5% एससी @ 200 मिलीलीटर /एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट (5% एस.जी) 80 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करे |

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