Irrigation Management for chilli crop

  • रोपाई के तुरन्त बाद एवं यूरिया छिड़काव के पहले सिचाई करें।
  • अच्छी वृद्धि, फूल और फलों के विकास के लिए समय पर सिंचाई आवश्यक हैं।
  • रोपाई के पहले महीने, एक हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती  हैं |
  • हल्की मिट्टी होने पर गर्मियों में, हर एक दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
  • सिंचाई के समय या वर्षा के दौरान इस बात का अवश्य ध्यान रखे की किसी भी दशा में खेत में पानी जमा न होने पाए उचित जल निकास का प्रबंधन  इस फसल के लिए अति आवश्यक हैं।

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Spray Schedule in nursery

 

अच्छी पैदावार के लिए नर्सरी का ठीक से तैयार होना अति आवश्यक है अगर नर्सरी में पौध रोग रहित एवं स्वस्थ रहेगी तभी खेत में रोपाई के बाद तैयार मिर्च का पौधा भी मजबूत रहेगा इसलिए नर्सरी में पौधे की उचित देखभाल अवश्य करे | अच्छी पौधे तैयार करने हेतु ग्रामोफोन मिर्च की नर्सरी में तीन बार स्प्रै करने की सलाह देता हैं जो इस प्रकार है

  • पहला स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8 ग्राम/पम्प + एमिनो एसिड 20 मिली/पम्प (पत्तियों का रस चूसने वाले कीटो के नियंत्रण में सहायक) |
  • दुसरा स्प्रे – मेटलैक्सिल-M (मेफानोक्सम) 4% + मैनकोज़ब 64% डब्ल्यूपी 30 ग्राम/पम्प + 19:19:19 @ 100 ग्राम/पम्प ( डम्पिंग ऑफ के नियंत्रण में सहायक ) |
  • तीसरा स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8-10 ग्राम/पम्प + हुमिक एसिड 10-15 ग्राम/पम्प
  • समयानुसार अन्य कीट व रोग लगने पर उनका नियंत्रण करें |

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Suggestions for control of yellowing of Coriander Leaves

  • धनिया मसाले के रूप में प्रयोग की जाने वाली एक महत्वपूर्ण फसल हैं, जिसके सभी भाग तना,पत्ती एवं बीज का उपयोग किया जाता हैं।
  • अगर फसल प्रबंधन सही ना हो तो धनिये की फसल में पीलेपन की समस्या उत्पन्न हो जाती है, परिणामस्वरूप उत्पादन कम होता हैं तथा हरी पत्तियों की गुणवत्ता प्रभावित होती हैं |
  • पत्तियों में पीलेपन के कई कारण हो सकते हैं जैसे खेत में नाइट्रोजन की कमी, फसल पर बीमारियों और कीटों का प्रकोप आदि |
  • इसके प्रबंधन के लिए बेसल डोज (खेत की तैयारी के समय) में उर्वरको के साथ नाईट्रोजन स्थिरीकरण एवं फास्फोरस घुलनशील जीवाणु 2 किलो/एकड़ की दर से खेत में अच्छी तरह से मिला दें।
  • थायोफिनेट मिथाईल 70% डब्लूपी @ 250-300 ग्राम/एकड़ और क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी @ 500 मिली/एकड़ को सिंचाई के साथ दें।
  • उपरोक्त ड्रेंचिंग के बाद 19:19:19 का 500 ग्राम/एकड़ की दर से स्प्रे करना चाहिए।

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An Improved Variety of Soybean:- JS 20-34

  • जेएस 20-34 एक नई किस्म हैं जो JNKVV  द्वारा विकसित की गई हैं | इसकी उपज लगभग 8-10 क्विण्टल/एकड़ होती हैं |
  • इस किस्म की अंकुरण क्षमता अधिक होती हैं तथा यह विभिन्न रोगो के प्रति प्रतिरोधी होती हैं |
  • तापमान अप्रभावी, पौधा अधिक ऊंचाई का नहीं होता, पौधा चमकदार होता हैं, फली का रंग हल्का होता हैं |
  • यह  किस्म लगभग 87 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं |
  • यह कम और मध्यम वर्षा के लिए उपयुक्त है और हल्की से मध्यम मिट्टी के लिए उपयुक्त हैं |

 

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For the next 10 days, what will be the preparation of chillies

किसान भाईयों को मिर्च की नर्सरी में बीजो की बुवाई किये हुए लगभग 8-10 दिन हो गए हैं | अब आगे के 10 दिन क्या रहेगी कार्य माला जिससे किसान भाई अपनी नर्सरी को स्वस्थ रख सके |

  • पहला स्प्रे:- बुवाई के 10-12 दिन बाद थियामेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8 ग्राम/पम्प + एमिनो एसिड 20 मिली/पम्प (पत्तियों का रस चूसने वाले कीटो के नियंत्रण में सहायक) |
  • दूसरा स्प्रे:- बुवाई के 20 दिन बाद मेटलैक्सिल-M (मेफानोक्सम) 4% + मैनकोज़ब 64% डब्ल्यूपी 30 ग्राम/पम्प + 19:19:19 @100 ग्राम/पम्प ( डम्पिंग ऑफ के नियंत्रण में सहायक ) |
  • अन्य कीट व रोग लगने या खेती सम्बन्धी और कोई भी समस्या होने पर आप हमारे टोल फ्री न. 1800-315-7566 पर संपर्क कर सकते हैं |

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Fertilizer Management in Maize leads to more yield

  • मक्का की अधिक उपज लेने के लिए संतुलित उर्वरको की मात्रा का उपयोग करना चाहिए
  • मक्का की फसल लेने से पहले खेत में 8-10 टन/एकड़ की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद मिला दे
  • बुवाई के समय यूरिया @ 65 किलो/एकड़ + डीएपी @ 35 किलो/एकड़ + एमओपी @ 35 किलो/एकड़ + कार्बोफ्यूरान @ 5 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दे
  • बुवाई के 15-20 दिन बाद मैग्नेशियम सल्फेट @ 10 किलो/एकड़ + जिंक सल्फेट @ 10 किलो/एकड़ + ज़ियोरायजा @ 8 किलो/एकड़ की दर से दे।

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Field Management in cotton

  • बेहतर फसल उत्पादन केवल एक बेहतर भूमि प्रबंधन प्रणाली द्वारा ही लिया जा सकता हैं।
  • कपास की बुवाई से पहले खेत की 2 से 3 बार गहरी जुताई कर खेत को 2-3 दिन के लिए खुला छोड़ दे।
  • गहरी जुताई से खेत में उपस्थित खरपतवार नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी भुरभरी हो जाती हैं जिससे जल धारण क्षमता बढ़ जाती हैं और खेत में उपस्थित कीट के प्यूपा/कोकून नष्ट हो जाते हैं इसके बाद खेत में बखर चला कर समतल कर दे।
  • बुवाई के 10-15 दिन पहले खेत में 10 टन/एकड के अनुसार सडी हुई गोबर की खाद समान रूप से  मिला दे।
  • कपास में मिट्टी जनित रोगों के नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा विरिड + ट्राइकोडर्मा हर्ज़िनियम @ 2 किग्रा/एकड़ + 50 किलो सडी हुई गोबर की खाद का उपयोग करें।

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Insects Management in Okra

शूट और फ्रूट बोरर:-

  • 13 से 15 मिमी तक लंबे वयस्क मध्यम आकार के पतंगे होते हैं, सिर और थोरैक्स रंग सफ़ेद होता  हैं |
  • नियंत्रण: – संक्रमित फल को नियमित रूप से तोड़कर नष्ट करे|
  • कार्बोसल्फान 25% EC @ 400 मिली/एकड़ या बाइफेंथ्रीन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या मेथोमाइल 40% SP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से स्प्रै करे |

 

सफेद मक्खी:-

  • शिशु एवं वयस्क अण्डाकार हरे-सफेद रंग के होते हैं।
  • वयस्क लगभग 1 मि.ली. लम्बे एवं शरीर पर सफेद मोम जैसे आवरण होते है।
  • नियंत्रण: – ऐसफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP @ 200 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें |
  • एसिटामिप्रिड 20% SP @ 100-150 ग्राम/एकड़ या
  • थियामेथोक्साम 25% WG @ 80 ग्राम/एकड़ |

लाल मकड़ी

  • लाल मकड़ी पत्तियों की निचली सतह में समूह बनाकर रहती है।
  • लाल रंग के शिशु एवं वयस्क दोनो पौधे का रस चूसते है, जिसके कारण पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे तैयार हो जाते है।
  • लाल मकड़ी के नियंत्रण के लिए, प्रोपरगाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ का छिड़काव करें |
  • स्पिरोमेंसिफेन 22.95% w/w @ 300 ml/एकड़ या
  • एबामेक्टिन 1.8% EC  @ 60-100 मिली/एकड़ |
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Flower promotion in snake gourd

  • ककड़ी में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैंं|
  • बुवाई के 40-45 दिनों बाद ककड़ी की फसल में फूल वाली अवस्था प्रारम्भ होती हैंं|
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा ककड़ी की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता हैंं|
    • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली./एकड़ का स्प्रे करें|
    • समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली/एकड़ का उपयोग करें|
    • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
    • 2 ग्राम/एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते हैंं|

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How to get more fruits with every picking in okra

  • भिन्डी की फसल में अधिक तुड़ाई लेने के लिए बुवाई के 2 सप्ताह पहले खेत में सडी हुई गोबर की खाद 10 टन/एकड़ की दर से खेत में समान रूप से मिला दे, जिससे पोधो में पोषक तत्वों को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है
  • बुवाई के समय उर्वरको के साथ नाईट्रोजन स्थिरीकरण एवं फास्फोरस घुलनशील जीवाणु की मात्रा 2 किलो/एकड़ की दर से खेत में अच्छी तरह से मिला दे।
  • नाईट्रोजन (60-80 किलो/ एकड़ ) की आधी मात्रा बुवाई के समय तथा शेष मात्रा बुवाई के 30 दिन बाद दे, जिससे भिन्डी में प्रति पोधे प्रति शाखा में फलो की संख्या में वृद्धि अधिक होती है और 50 % तक उत्पादन बढ़ सकता है।
  • भिंडी की फसल बुवाई के लगभग 40 से 50 दिन बाद फल देना शुरु कर देती है।
  • पहली तुड़ाई के पहले केल्सियम नाइट्रेट+बोरान @ 10 किलो/एकड़, मैग्नीशियम सल्फेट 10 किलो/एकड़ + यूरिया @ 25 किलो/एकड़ को 1 किलो नाईट्रोजन स्थिरीकरण एवं फास्फोरस घुलनशील जीवाणु के साथ दे ।
  • भिंडी  में फुल बनते समय अमोनियम सल्फेट 55-70 किलो/एकड़ की दर से दे जो फल के विकास के लिए अति आवश्यक है।

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