- इस कीट का व्यस्क काले रंग का होता है ,जिसके ऊपर लाल व पीले रंग की धारिया पायी जाती है |
- इस कीट से प्रभावित पौधा मुरझाकर सूखने लगता है |
- निम्फ तथा व्यस्क दोनों ही अवस्था पौधे को नुकसान पहुँचती हैं|
- ये कीट पौधे का रस चूस कर अपना भोजन प्राप्त करते हैं जिसकी वजह से पौधे की बढ़वार रुक जाती हैं तथा पौधा पीला हो जाता हैं |
- पौधे की फली अवस्था में यह कीट फलियों को नुकसान पहुंचाते हैं ,जिसके वजह से दानो की गुणवत्ता तथा उपज दोनों ही प्रभावित होती हैं |
टमाटर के खेत में कैल्शियम की कमी का उपचार
- रोपाई के 15 दिन पहले मुख्य खेत में गोबर की ठीक से सड़ी हुई खाद का उपयोग करें |
- बचाव हेतु रोपाई के पहले कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से खेत में मिलाये | या
- कमी के लक्षण दिखाई देने पर कैल्शियम EDTA @ 150ग्राम/एकड़ की दर से दो बार छिड़काव करे
सरसो में पोषण प्रबंधन
- सरसो की फसल में फुल वाली अवस्था महत्वपूर्ण हैं |
- इस अवस्था में फूलों की संख्या बढ़ाने एवं फली के विकास के समय हार्मोन देना फ़ायदेमंद होता हैं |
- इसके लिए होमोब्रेसिनीलॉइड 0. 04 % @ 100 ml/एकड़ के साथ 19:19:19 @ 1 किलो प्रति एकड़ का छिड़काव करे |
जाने करेले की फसल में फास्फोरस घोलक जीवाणु का महत्व
- ये जीवाणु फास्फोरस के साथ साथ मैंगनीज, मैगनेशियम, आयरन, मॉलिब्डेनम, जिंक और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी पौधे में उपलब्ध करवाने में सहायक होते है|
- तेजी से जड़ों का विकास करने में सहायक होता है जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते है |
- पीएसबी कुछ खास जैविक अम्ल बनाते है जैसे मैलिक, सक्सेनिक, फ्यूमरिक, साइट्रिक, टार्टरिक एसिड और एसिटिक एसिड ये अम्ल फॉस्फोरस उपलब्धता बढ़ाते है|
- रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है|
- इसका उपयोग करने से 25 -30% फॉस्फेटिक उर्वरक की आवश्यकता कम होती ।
आइये जाने भिन्डी की तुड़ाई की संख्या बढ़ाकर उत्पादन कैसे बढ़ाये
- भिन्डी की फसल में अधिक तुड़ाई लेने के लिए बुवाई के 2 सप्ताह पहले खेत में सडी हुई गोबर की खाद 10 टन/एकड़ की दर से खेत में समान रूप से मिला दे, जिससे पोधो में पोषक तत्वों को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है।
- बुवाई के समय उर्वरको के साथ नाईट्रोजन स्थिरीकरण एवं फास्फोरस घुलनशील जीवाणु की मात्रा 2 किलो/एकड़ की दर से खेत में अच्छी तरह से मिला दे।
- नाईट्रोजन (60-80 किलो/ एकड़ ) की आधी मात्रा बुवाई के समय तथा शेष मात्रा बुवाई के 30 दिन बाद दे, जिससे भिन्डी में प्रति पोधे प्रति शाखा में फलो की संख्या में वृद्धि अधिक होती है और 50 % तक उत्पादन बढ़ सकता है।
- भिंडी की फसल बुवाई के लगभग 40 से 50 दिन बाद फल देना शुरु कर देती है।
- पहली तुड़ाई के पहले केल्सियम नाइट्रेट+बोरान @ 10 किलो/एकड़, मैग्नीशियम सल्फेट 10 किलो/एकड़ + यूरिया @ 25 किलो/एकड़ को 1 किलो नाईट्रोजन स्थिरीकरण एवं फास्फोरस घुलनशील जीवाणु के साथ दे ।
- भिंडी में फुल बनते समय अमोनियम सल्फेट 55-70 किलो/एकड़ की दर से दे जो फल के विकास के लिए अति आवश्यक है।
बसंतकालीन गन्ने की बुवाई का आया सही समय, होगा बहुत अच्छा मुनाफ़ा
- इसकी खेती बलुई दोमट, दोमट और भारी मिट्टी में की जा सकती है.
- खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए |
- खेत से पिछली फसल के अवशेष हटा लें, इसके बाद जुताई करके जैविक खाद मिट्टी में मिलाएं.
- पहली गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से होनी चाहिए.
- इसके बाद 2 से 3 बार देसी हल और कल्टीवेटर से जुताई करें.
- अब पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा और खेत समतल बनाएं.
सरकार की बड़ी पहल, किसानों को कम्बाइन हार्वेस्टर पर भी मिलेगा 50 फीसद तक सब्सिडी
- मध्यप्रदेश सरकार ने इस वर्ष से किसानों को कम्बाइन हार्वेस्टर खरीदने पर भी सब्सिडी देने का निर्णय लिया है.
- किसानों को कृषि यंत्रों पर दिये जाने वाली सब्सिडी राशि में भी वृद्धि की गई है.
- मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अब लघु, सीमांत, अनुसूचित-जाति, अनुसूचित-जनजाति तथा महिला किसानों को कृषि यंत्रों की खरीदी पर कीमत का 50 फीसद तथा अन्य किसानों को कीमत का 40 फीसद सब्सिडी दिया जाएगा.
- इस ख़बर आइके बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप https://dbt.mpdage.org/Eng_Index.aspx पर संपर्क कर सकते है.
चने की कटाई का उपयुक्त समय
- जब अधिकांश फली पीली हो जाएं तो चने की कटाई करनी चाहिये।
- जब पौधा सूख जाता हैंं, और पत्तियां लाल भूरे रंग की हो जाती हैंं,और पत्तियां गिरना शुरू हो जाती हैंं, तो फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती हैंं।
- अधिक समय तक फसल को सूखने एवं कटाई में देरी होने से फलियाँ गिरने लगती हैं, जिससे ऊपज में कमी आती हैं अतः चने में लगभग 15 प्रतिशत तक नमी होने पर कटाई कर लेनी चाहिए |
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गेँहू में दाना भरते समय की जाने वाली कृषि क्रियाए
- गेँहू की फसल में दाना भरने की अवस्था या दुग्धावस्था अति महत्व पूर्ण हैं |
- इस अवस्था में बाली के अंदर दाने भरते हैं इस समय सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक हैं |
- इसके साथ ही दानो के अच्छे विकास के लिए होमोब्रेसिनोलॉइड 0.04 % @ 100 ml के साथ 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ का छिड़काव करना चाहिए |
- उर्वरको की तीसरी क़िस्त के रूप में यूरिया @ 40 किलो एवं सूक्ष्म पोषक तत्व @ 8 किलो/एकड़ की दर से देना चाहिए |
धनिये में चूर्णिल आसिता रोग एवं समाधान
- यह धनिये की फसल का एक भयंकर रोग हैं |
- इस रोग में पत्त्तियो के ऊपर छोटे सफ़ेद भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं जो बाद में पूरी सतह पर फ़ैल जाते हैं |
- इस रोग से ग्रसित पौधे की पत्तिया सुख कर गिर जाती हैं |
- इस रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाजोल 5 % SC @ 400 ml/एकड़ या टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस + बेसिलस सबटिलिस @ 0.25 + 0.25 किलो/एकड़ का स्प्रे कर सकते हैं |