- पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद करनी चाहिए।
- दूसरी सिंचाई पहली सिंचाई के चार दिन बाद करनी चाहिए।
- इसके बाद प्रति 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
कद्दू की फसल में मृदुरोमिल आसिता रोग का नियंत्रण कैसे करें?
- प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर दें।
- रोग प्रतिरोधी किस्मों की बीज को लगाएं।
- फसल चक्र को अपना कर एवं खेत की सफाई कर रोग की आक्रामकता को कम कर सकते हैं।
- मेटालैक्सिल 4% + मैंकोजेब 64% WP @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ों के पास छिड़काव करें।
- थियोफैनेट मिथाइल 70% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ों के पास छिड़काव करें।
मिर्च महोत्सव: पूरे देश में प्रसिद्ध होगी निमाड़ की मिर्ची, किसानों को होगा फायदा
मध्यप्रदेश के निवासी पहले से निमाड़ की प्रसिद्ध तीखी मिर्ची के बारे में जानते हैं पर अब इसकी प्रसिद्धि देश और दुनिया में भी फैलने लगी है। आगामी 29 फरवरी और 1 मार्च के दौरान मिर्च महोत्सव होने वाला है। यह दो दिवसीय राज्य स्तरीय महोत्सव कसरावद में आयोजित होगा जिसका मुख्य लक्ष्य राज्य सरकार द्वारा निमाड़ी मिर्च की ब्रांडिंग करना है।
इस महोत्सव का सीधा फायदा क्षेत्र में मिर्ची की खेती करने वाले किसानों को होगा। इससे निमाड़ और इसके आसपास के क्षेत्रों में उगाई जाने वाली मिर्ची की ब्रांडिंग होगी और देश विदेश में नए बाजार खुलेंगे।
इस आयोजन में 25 से अधिक कृषि वैज्ञानिक किसानों को मिर्ची की फसल के उत्पादन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ देंगे। यहाँ आपका अपना ग्रामोफोन भी आपकी सेवा के लिए उपस्थित रहेगा। आप इस महोत्सव में हमारे कृषि विषेशज्ञों से भी किसी भी प्रकार की कृषि संबंधित सलाह ले सकते हैं।
Shareकद्दू की फसल में मृदुरोमिल आसिता रोग की पहचान कैसे करें?
- इसके कारण पत्तियों की निचली सतह पर जल रहित धब्बे बन जाते हैं।
- जब पत्तियों के उपरी सतह पर कोणीय धब्बे बनते है प्राय: उसी के अनुरूप ही निचली सतह पर भी जल रहित धब्बे बनते है।
- जैसे-जैसे रोग बढ़ता हैं धब्बे पीले और भूरे रंग के हो जाते हैं।
- ग्रसित लताओं पर फल नहीं लगते हैं।
गेहूं का भंडारण करते समय रखें इन बातों का ख्याल
- सुरक्षित भंडारण हेतु गेहूं के दानों में 10-12% से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए।
- अनाज को बोरियों, कोठियों या कमरे में रखने के बाद एल्युमिनियम फास्फाइड 3 ग्राम की दो गोली प्रति टन की दर से रखकर बंद कर देना चाहिए।
मार्च-अप्रैल में फसलों की इन किस्मों की करें बुवाई, तो ज़रूर बढ़ेगी पैदावार
क्र. | फसल का नाम | प्रमुख किस्म के नाम (कम्पनी का नाम) |
1. | करेला | नागेश (हाइवेज),अमनश्री, US1315 (ननहेमस),आकाश (VNR) |
2. | लौकी | आरती |
3. | कद्दू | कोहीनूर (पाहुजा), VNR 11 (VNR) |
4. | भिंडी | राधिका, विंस प्लस (गोल्डन), सिंघम (ननहेम्स), शताब्दी (राशि) |
5. | धनिया | सुरभी (नामधारी), LS 800 (पाहुजा) |
मिर्च में मोजेक वायरस का प्रबंधन
- मोजेक वायरस से ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट कर दें।
- प्रतिरोधक किस्मों जैसे पूसा ज्वाला, पन्त सी-1, पूसा सदाबहार, पंजाब लाल इत्यादि को लगाएँ।
- वैक्टर को कम करने के लिए एसिटामिप्रीड 20% एसपी @ 130 ग्राम/एकड़ का नियमित अंतराल पर छिड़काव करें या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्ल्यूजी @ 40 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
मिर्च में मोजेक वायरस की पहचान
- इस वायरस के संपर्क में आने से पत्तियों पर गहरे हरे और पीले रंग के धब्बे निकलते हैं।
- इसके कारण हलके गड्ढे और फफोले भी दिखाई पड़ते हैं।
- कभी-कभी पत्ती का आकार अति सुक्ष्म सूत्रकार हो जाता है।
- यह सफ़ेद मक्खी के माध्यम से फैलता है।
- इस वायरस से ग्रषित पौधों में फूल और फल कम लगते हैं।
- इसके कारण फल भी विकृत और खुरदुरे हो जाते हैं।
ऐसे करें सब्जियों के लिए रोग मुक्त नर्सरी का निर्माण
- बुआई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें।
- बुआई के पूर्व बीजों का उपचार अनुशासित फफूंदनाशक से करना चाहिए।
- एक ही प्लॉट में बार-बार नर्सरी नहीं बनाना चाहिए।
- नर्सरी की ऊपरी मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 5 ग्राम/वर्ग मी. से उपचारित करना चाहिए तथा इसी रसायन का 2 ग्राम/लीटर पानी का घोल बनाकर नर्सरी में प्रत्येक 15 दिन में ड्रेंचिंग करना चाहिए।
- मृदा सौर्यीकरण करना चाहिए जिसके अंतर्गत गर्मियों में फसल बुआई के पहले नर्सरी बेड को 250 गेज के पोलीथीन शीट से 30 दिन के लिए ढक दिया जाता है।
- आद्रगलन रोग के नियंत्रण के लिए जैव नियंत्रण एजेंट ट्राइकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ के अनुसार देना चाहिए।
गिलकी एवं तुरई की फसल के लिए खेत की तैयारी के समय पोषक तत्व प्रबंधन:
- खेत की तैयारी के समय 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर की खाद का प्रयोग करें।
- 30 किलोग्राम यूरिया 70 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश को अंतिम जुताई के समय डालें।
- अन्य बचे हुये 30 किलोग्राम यूरिया की आधी मात्रा को 8-10 पत्ती वाली अवस्था में तथा आधी मात्रा को फूल आने के समय डालें।