पशुओं में आतंरिक परजीवियों से बचाव के उपाय

  • परजीवियों से सुरक्षित रहने के लिए सफाई और स्वच्छता बनाए रख कर, स्वच्छ कवक रहित चारा और साफ पीने योग्य पानी उपलब्ध करा कर, पूरक पोषण और खनिज पदार्थ प्रदान कर, नियमित और समय पर कृमिनाशक (डीवर्मिग) करवा कर और समय पर चिकित्सा सहायता के द्वारा हम पशुओं में परजीवियो की समस्या का प्रभावी रूप से निराकरण कर सकते हैं।
  • पशुओं में आतंरिक परजीवियो से सुरक्षा हेतु हर तीन महीने में एक बार पेट के कीड़े की दवा अवश्य देनी चाहिए। साथ ही नियमित रूप से गोबर की जाँच करनी चाहिए।
  • जाँच में कीड़े की पुष्टि होते ही पशुचिकित्सक की सलाह से उचित कृमिनाशक दवा दें। पशुओं में टीकाकरण से पहले कृमिनाशक दावा अवश्य देनी चाहिए। गाभिन पशुओं को पशुचिकित्सक की सलाह के बगैर किसी सूरत में कृमिनाशक दवा न दें।
  • कृमिनाशक दवा, विशेष कर ओकसीक्लोजानाइड (1 ग्राम प्रति 100 किलो ग्राम पशु वजन के लिए) का प्रयोग करें। ध्यान रखें कि दवा सुबह भूखे/खाली पेट में खिलायी/पिलायी जानी चाहिए। इस दवा का उपयोग पशुओं के गर्भावस्था के दौरान भी बिना किसी विपरीत प्रभाव के किया जा सकता है।
  • जहाँ तक संभव हों पशु चिकित्सक की सलाह लेकर ही पशुओं को दवा देनी चाहिए।
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