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शून्य ऊर्जा शीत गृह के निर्माण के लिए हवादार और छायादार जगह का चुनाव करना चाहिए।
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ईंटों को जमा कर एक आयताकार करीब 165 X 115 सेमी के चबूतरे का निर्माण किया जाता है। इस चबूतरे पर गारे की सहायता से ईंटों की दोहरी दीवार का निर्माण किया जाता है। ईंटों की दोहरी दीवार के मध्य 7-8 सेमी तक स्थान खाली रखा जाता है। दोहरी दीवार की ऊंचाई 60-65 सेमी. तक रखी जाती है।
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इसके पश्चात छनी हुई बजरी को जल में भिगोकर दोहरी दीवार के मध्य बने खाली स्थान में भरा जाता है। बांस, टाट या बोरी के टुकड़ों से ढक्कन का निर्माण किया जाता है। इस ढक्कन की लंबाई व चौड़ाई पूरे शीत गृह के समकक्ष रखी जाती है।
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पानी की टंकी को 4 से 5 फीट की ऊंचाई पर रख देते हैं जिसमें 1 पाईप को लगा दिया जाता है। पाईप को ईंटों की दोहरी दीवारों के मध्य चारो तरफ घुमाया जाता है साथ ही पाइप में 15-15 सेमी. की दूरी पर छेद कर दिए जाते हैं जिससे जल का बून्द बून्द कर के रिसाव होता है और यह पानी रेत व ईंटों को गीला रखता है।
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फलों और सब्जियों को प्लास्टिक की टोकरी में रखकर उन्हें इस शीत गृह में रख दिया जाता है और ऊपर से ढक्कन लगा दिया जाता है।
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