स्वयं बनाएं जीरो एनर्जी कूल चैम्बर, जानें इसकी निर्माण विधि

Construction Method of Zero Energy Cool Chamber
  • शून्य ऊर्जा शीत गृह के निर्माण के लिए हवादार और छायादार जगह का चुनाव करना चाहिए। 

  • ईंटों को जमा कर एक आयताकार करीब 165 X 115 सेमी के चबूतरे का निर्माण किया जाता है। इस चबूतरे पर गारे की सहायता से ईंटों की दोहरी दीवार का निर्माण किया जाता है। ईंटों की दोहरी दीवार के मध्य 7-8 सेमी तक स्थान खाली रखा जाता है। दोहरी दीवार की ऊंचाई 60-65 सेमी. तक रखी जाती है। 

  • इसके पश्चात छनी हुई बजरी को जल में भिगोकर दोहरी दीवार के मध्य बने खाली स्थान में भरा जाता है। बांस, टाट या बोरी के टुकड़ों से ढक्कन का निर्माण किया जाता है। इस ढक्कन की लंबाई व चौड़ाई पूरे शीत गृह के समकक्ष रखी जाती है। 

  • पानी की टंकी को 4 से 5 फीट की ऊंचाई पर रख देते हैं जिसमें 1 पाईप को लगा दिया जाता है। पाईप को ईंटों की दोहरी दीवारों के मध्य चारो तरफ घुमाया जाता है साथ ही पाइप में 15-15 सेमी. की दूरी पर छेद कर दिए जाते हैं जिससे जल का बून्द बून्द कर के रिसाव होता है और यह पानी रेत व ईंटों को गीला रखता है।

  • फलों और सब्जियों को प्लास्टिक की टोकरी में रखकर उन्हें इस शीत गृह में रख दिया जाता है और ऊपर से ढक्कन लगा दिया जाता है।  

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आगामी सिंचाईया

वानस्पतिक अवस्था के दौरान फसल को दूसरी सिंचाई दें। जड़ सड़न, विल्ट जैसी बीमारियों से बचाव के लिए अतिरिक्त पानी को बाहर निकालें। मिट्टी की नमी के आधार पर 7 से 10 दिनों के अंतराल पर अगली सिंचाई दें। अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|

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जाने कपास की उन्नत किस्मों के बारे में

  • कावेरी जादु : यह किस्म सूखे के प्रति और रसचूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है।
  • इस संकर किस्म की फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमे गूलर (डोडे) मध्यम एवं पौधा लम्बा होता है अतः कम दुरी में बुवाई लिए भी उपयुक्त किस्म है।
  • रासी आरसीएच-659 : यह 145-160 दिनों की मध्यम अवधि एवं अधिक उत्पादन के लिए अच्छी संकर किस्म है।
  • इस किस्म में डोडे बड़े व अधिक संख्या में लगते है तथा यह किस्म सिंचित क्षेत्र में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है।
  • रासी नियो: यह मध्यम सिंचित क्षेत्र एवं हल्की से मध्यम मिट्टी लिए अच्छी किस्म है साथ ही साथ रसचूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है।
  • रासी मगना: इस किस्म में गूलर बड़े व अधिक संख्या में लगते है जो मध्यम से भारी मिट्टी में उगाने के लिए अच्छी है। रसचूसक कीटों के प्रति मध्यम सहनशील है।
  • कावेरी मनी मेकर: फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमे डोडे बड़े आकार के लगते है जो अच्छे से खिलने और चमकदार होते है।
  • आदित्य मोक्ष: यह किस्म सिंचित व बारानी क्षेत्र में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है जो 150-160 दिनों की फसल अवधि रखती है।
  • नुजीवेदु भक्ति: यह किस्म रसचूसक कीटों प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है। इसकी फसल अवधि लगभग 140 दिनों  की होती है।
  • सुपर कॉटन (प्रभात) : यह किस्म मध्यम सिंचित व काली भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है तथा  रसचूसक कीटों प्रति सहनशील है। 
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