विल्ट रोग फसल की 50-55 दिनों की अवस्था में देखा जाता है। इससे प्रभावित पौधे अचानक मुरझा कर धीरे-धीरे सूख जाते हैं। ऐसे पौधे हाथ से खींचने पर आसानी से उखड़ जाते हैं। विल्ट रोग के कारण रोगी पौधों की जड़ें अंदर से भूरी व काली हो जाती हैं। रोगी पौधों को चीर कर देखने पर उतक काले दिखाई देते हैं। पौधों की पत्तियां मुरझाकर नीचे गिर जाती हैं। जमीन में ज्यादा नमी व गर्मी होने के कारण यह रोग बढ़ता है।
नियंत्रण: इससे बचाव के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना चाहिए। यह एक मिट्टी जनित रोग है इसलिए मिट्टी उपचार करना अति आवश्यक है। इसके लिए कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी 1% WP) 2 किग्रा/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें या फिर फसल लगने के बाद रोग के लक्षण दिखने पर, ब्लू कॉपर (कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP) का उपयोग 300 ग्राम/एकड़ पानी में मिलाकर ड्रिप के माध्यम से करें।
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