सफेद मक्खी का प्रकोप 15-35 डिग्री सेल्सियस तापमान में अधिक होता है। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ पत्तियों की निचली सतह पर चिपकर रस चूसते हैं। यह न केवल रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि पौधों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं। जिससे काली फफूंद लग जाती है। इससे ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं। इसका प्रकोप होने पर पौधों की पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं। जिसे विभिन्न स्थानों में कुकड़ा या चुरड़ा-मुरड़ा रोग के नाम से जानते है।
नियंत्रण के उपाय
👉🏻 खेत को खरपतवार मुक्त रखें।
👉🏻 निर्धारित मात्रा में नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग करें।
👉🏻 8-10 पीले स्टिकी ट्रैप स्थापित करें।
👉🏻 जैविक नियंत्रण के लिए, बवे-कर्ब @ 500 ग्राम/एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
👉🏻रासायनिक नियंत्रण के लिए मेओथ्रिन @ 100-136 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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