मक्का की फसल में (भुट्टा) निकलने की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन एवं जरूरी छिड़काव

मक्के की फसल में भुट्टे का आकार बढ़ाने के लिए, (भुट्टा) निकलने की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण उपाय हैं। मक्के की फसल में भुट्टा निकलने की अवस्था बुवाई के 45-50 दिनों में शुरू हो जाती है। 

पोषण प्रबंधन:- मक्के की अधिक पैदावार लेने के लिये, यूरिया @ 35 किग्रा +  कैलबोर  (कैल्शियम 11% + मैग्नीशियम 1.0 % + सल्फर 12 % + पोटेशियम  1.7 +  बोरॉन  4%) @ 5 किग्रा , प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। 

यूरिया:- मक्के की फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है। इसके उपयोग से, पत्तियों में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।

कैलबोर:- इस उत्पाद में कैल्शियम 11% + मैग्नीशियम 1.0 % + सल्फर 12 % + पोटेशियम  1.7 +  बोरॉन  4% का मिश्रण शामिल है, जो पोषण, विकास, प्रकाश संश्लेषण, शर्करा के परिवहन और कोशिका भित्ति निर्माण के लिए आवश्यक हैं। कैलबोर  आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले अधिकांश उर्वरकों और कृषि रसायनों के साथ संगत है।

आवश्यक छिड़काव:- मक्के की फसल में 5 से 10 % सिल्क बनना शुरू हो जाये, तब इस अवस्था में, नूट्रीफूल मैक्स @ 250 मिली या डबल (होमोब्रासिनोलाइड 0.04% डब्ल्यू/डब्ल्यू) 100 मिली प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

नूट्रीफूल मैक्स:- नूट्रीफूल मैक्स पौध वृद्धि प्रवर्तक है। इसमें फुलविक एसिड अर्क- 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम  ट्रेस मात्रा में  5% + अमीनो एसिड आदि तत्व पाए जाते है। यह गाब के विकास एवं भुट्टे के गुणवत्ता को बढ़ाता है, एवं पोषक तत्वों की उपलब्धता को भी बढ़ाता है। सूखे, पाले आदि के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है।

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