सोयाबीन में बोखनी की समस्या एवं निवारण

बोखनी (कोमेलिना बैंगालेंसिस), यह बहुवर्षीय चौड़ी पत्ती वाला खरपतवार है, इसे स्थानीय भाषा में  केना, बोकानदा, बोखना/बोखनी, कानकौआ आदि के नाम से जानते हैं। ये सोयाबीन के अलावा मक्का, धान आदि फसलों में भी अधिक देखने को मिलता है।  इसे नियंत्रित करना विशेष रूप से कठिन है, क्योंकि जमीन के ऊपर और मिट्टी के नीचे, तने के टूटे हुए टुकड़े आसानी से जड़ पकड़ लेते हैं। सोयाबीन की बेहतर फसल उत्पादन के लिए खरपतवार प्रबंधन समय – समय पर करना बहुत आवश्यक होता है। 

इससे फसलों में होने वाले नुकसान 

ये हवा, पानी, सूर्य का प्रकाश , खाद, पोषक तत्व आदि को ग्रहण कर लेते हैं,  जिससे की मुख्य फसल  के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। जिससे सोयाबीन की बढ़वार कम होती है और पौधा कमजोर रह जाता है। इसे आरम्भिक अवस्था में यदि नियन्त्रित न किया जाये, तो उपज में 40 से 50 % तक की गिरावट देखी जा सकती है। 

नियंत्रण के उपाय 

यांत्रिक विधि : सोयाबीन से अच्छे उत्पादन के लिए, फसल में पहली निराई, बुवाई के 15-20 दिन बाद और दूसरी निराई बुवाई के 40-45 दिनों बाद करनी जरूरी हो जाता है।

रासायनिक विधि :  बोखनी या बोखना के अच्छे नियंत्रण  के लिए अंकुरण के 12 से 20 दिन के अंदर 2 से 3 पत्ती की अवस्था में खरपतवार नाशक का उपयोग करें। क्लोबेन (क्लोरिमुरॉन एथिल) @ 15 ग्राम या वीडब्लॉक(इमिजाथापर 10 % एस एल) @ 400 मिलि + सिलिको मैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 – 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। छिड़काव के समय फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें एवं खेत में नमी बनाये  रखे। 

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