देर से बोई गई गेहूँ की फसल में इन बातों का ध्यान रखना है जरूरी

  • किसान भाइयों गेहूँ की फसल में बालियाँ निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई ना करें नहीं तो फूल गिर सकते हैं l इससे दानों का सिरे भी काले पड़ जाते हैं जिससे करनाल बंट और झुलसा जैसे घातक रोगों के संक्रमण का डर बढ़ जाता है। 

  • दाना भर जाए एवं फसल सुनहरे रंग की हो जाए तब सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। इस समय सिंचाई करने से दानों की चमक तथा गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। 

  • गेहूँ की फसल में दानों की गुणवत्ता के लिए दाना भरने की अवस्था के समय 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ के साथ प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी @ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • फसल को जड़ माहू के नुकसान से बचाने के लिए खड़ी फसल में इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 100 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें या थायोमिथोक्साम 25% डब्ल्यूजी @ 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से खाद/रेत/मिट्टी में मिला कर जमीन से दें और सिंचाई करें। 

  • रस्ट रोग के नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी @ 400 मिली या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी @ 200 मिली या टेबुकोनाज़ोल 25.9% ईसी @ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 

  • चूहों के नियंत्रण के लिए 3-4 ग्राम जिंक फॉस्फाईड को एक किलोग्राम आटा में थोड़ा सा गुड़ एवं तेल मिलाकर छोटी छोटी गोलियाँ बना लें तथा उनको चूहों के बिलों के पास रख दें। 

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