गेहूँ की फसल में ऐसे करें पोषक प्रबंधन, मिलेगा बढियाँ उत्पादन

  • गेहूँ में उचित उर्वरक प्रबंधन करने से फसल को अच्छी शुरुआत मिलती है। साथ ही जड़ें अच्छी बनती है एवं कल्ले अच्छे फूटते हैं।

  • इस समय उचित प्रबंध करने के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग किया जाना चाहिए:

  • बुवाई के समय डीएपी 50 किग्रा + यूरिया 20 किग्रा + पोटाश 25 किग्रा प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें। यूरिया नाइट्रोज़न और DAP नाइट्रोज़न एवं फास्फोरस का अच्छा स्त्रोत है वहीं MOP आवश्यक पोटाश की पूर्ति करता है।

  • आवश्यक पोषक तत्व P 15% + K 15% + Mn 15% + Zn 2.5% + S 12% [मेजरसोल] 3 किग्रा + समुद्री शैवाल, अमीनो अम्ल, ह्यूमिक अम्ल और माइकोराइजा [मैक्समायको ] 2 किग्रा/एकड़ + एनपीके बैक्टीरिया का संघ [टी बी 3] 3 किलो/एकड़ + जेडएनएसबी [ताबा जी] 4 किलो/एकड़ की दर से उपयोग में लें। यह फसल के उचित वृद्धि एवं विकास में सहायक होते हैं।

  • बुवाई के 20 दिन बाद या पहली सिंचाई के साथ यूरिया 40 किलो + सल्फर 5 किलो + जिंक सल्फेट 5 किलो + सूक्ष्म पोषक मिश्रण [मेजर सोल] 3 किलो प्रति एकड़ (अगर बुवाई के समय न दिया हो तो) की दर से मिट्टी में मिलाएं।

  • पर्णीय छिड़काव प्रबंधन के लिए जिब्रेलिक अम्ल 300 मिली या अमीनो अम्ल 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • अगर वानस्पतिक वृद्धि सही न हो तो जल घुलनशील उर्वरक 19:19:19 या 20:20:20 @ 1 किलो प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • इस प्रकार गेहूँ की बुवाई और प्रारम्भिक वानस्पतिक अवस्था के समय पोषण प्रबंधन करने से उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

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