चाहिए जबरदस्त उपज तो गेहूँ की वर्तमान अवस्था में जरूर करें पोषण प्रबंधन!

Nutrient Management in Wheat Crop
  • गेहूँ की फसल अभी 25 से 35 दिन की अवस्था में है इस समय अच्छे पौध विकास एवं जड़ माहु की रोकथाम के लिए, यूरिया @ 40 किग्रा + ज़िंक सल्फेट @ 5 किग्रा + कोसावेट (सल्फर 90 डब्ल्यूजी) @ 5 किग्रा + थियानोवा 25 (थियामेथोक्सम 25 % डब्ल्यूजी) @ 20 ग्राम को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें।

  • यूरिया:- गेहूँ की फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके उपयोग से पत्तियों में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।

  • ज़िंक सल्फेट:- जिंक पौधों में कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन और क्लोरोफिल निर्माण में मदद करता है। जो चयापचय प्रतिक्रियाओं को चलाने के लिए जिम्मेदार होता है। इससे उत्पादन के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। जिंक के अलावा, इससे फसलों को सल्फर की उपलब्धता भी होती है। 

  • कोसावेट:- क्षारीय मिट्टी में मिट्टी के पीएच को कम करने में मदद करता है। एनपीके और सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार करने में मदद करता है। 

  • थियानोवा 25:- यह अन्य कीटनाशकों की तुलना में लंबे समय तक जड़ माहू से सुरक्षा प्रदान करता है। यह कीट के पेट में जाकर कीट को नष्ट कर देता है।

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गेहूँ की फसल में ऐसे करें पोषक प्रबंधन, मिलेगा बढियाँ उत्पादन

Nutrient Management in Wheat Crop
  • गेहूँ में उचित उर्वरक प्रबंधन करने से फसल को अच्छी शुरुआत मिलती है। साथ ही जड़ें अच्छी बनती है एवं कल्ले अच्छे फूटते हैं।

  • इस समय उचित प्रबंध करने के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग किया जाना चाहिए:

  • बुवाई के समय डीएपी 50 किग्रा + यूरिया 20 किग्रा + पोटाश 25 किग्रा प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें। यूरिया नाइट्रोज़न और DAP नाइट्रोज़न एवं फास्फोरस का अच्छा स्त्रोत है वहीं MOP आवश्यक पोटाश की पूर्ति करता है।

  • आवश्यक पोषक तत्व P 15% + K 15% + Mn 15% + Zn 2.5% + S 12% [मेजरसोल] 3 किग्रा + समुद्री शैवाल, अमीनो अम्ल, ह्यूमिक अम्ल और माइकोराइजा [मैक्समायको ] 2 किग्रा/एकड़ + एनपीके बैक्टीरिया का संघ [टी बी 3] 3 किलो/एकड़ + जेडएनएसबी [ताबा जी] 4 किलो/एकड़ की दर से उपयोग में लें। यह फसल के उचित वृद्धि एवं विकास में सहायक होते हैं।

  • बुवाई के 20 दिन बाद या पहली सिंचाई के साथ यूरिया 40 किलो + सल्फर 5 किलो + जिंक सल्फेट 5 किलो + सूक्ष्म पोषक मिश्रण [मेजर सोल] 3 किलो प्रति एकड़ (अगर बुवाई के समय न दिया हो तो) की दर से मिट्टी में मिलाएं।

  • पर्णीय छिड़काव प्रबंधन के लिए जिब्रेलिक अम्ल 300 मिली या अमीनो अम्ल 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • अगर वानस्पतिक वृद्धि सही न हो तो जल घुलनशील उर्वरक 19:19:19 या 20:20:20 @ 1 किलो प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • इस प्रकार गेहूँ की बुवाई और प्रारम्भिक वानस्पतिक अवस्था के समय पोषण प्रबंधन करने से उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

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