सोयाबीन की फसल में बीज उपचार से क्या लाभ होते हैं?

  • सोयाबीन की फसल में बुआई से पहले बीज उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।

  • बीज़ उपचार जैविक एवं रासयनिक दोनों विधियों से किया जा सकता है।

  • सोयाबीन में बीज़ उपचार कवक नाशी एवं कीट नाशी दोनों से किया जाता है।

  • कवक नाशी से बीज़ उपचार करने के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज़ या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 मिली/किलो बीज़ से उपचारित करें या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5-10 ग्राम/किलो बीज़ का उपयोग करें।

  • कीटनाशी से बीज़ उपचार करने के लिए थियामेंथोक्साम 30% FS @ 4 मिली/किलो बीज़ या इमिडाक्लोरोप्रिड 48% FS @ 4-5 मिली/किलो बीज़ से बीज़ उपचार करें।

  • सोयाबीन फसल में नाइट्रोज़न स्थिरीकरण को बढ़ाने के लिए राइजोबियम @ 5 ग्राम/किलो बीज़ से उपचारित करें।

  • कवकनाशी से बीज़ उपचार करने से सोयाबीन की फसल उकठा रोग और जड़ सड़न रोग से सुरक्षित रहती है।

  • इससे बीज का अंकुरण सही ढंग से होता है और अंकुरण प्रतिशत भी बढ़ता है।

  • सोयाबीन की फसल का प्रारंभिक विकास समान रूप से होता है।

  • राइज़ोबियम से बीज़ उपचार सोयाबीन की फसल की जड़ों में गाठों (नॉड्यूलेशन) को बढ़ाता है एवं अधिक नाइट्रोज़न का स्थिरीकरण करता है।

  • कीटनाशकों से बीज़ उपचार करने से मिट्टी जनित कीटों जैसे सफ़ेद ग्रब, चींटी, दीमक आदि से सोयाबीन की फसल की रक्षा होती है।

  • प्रतिकूल परिस्थितियों (कम/उच्च नमी) में भी अच्छी फसल प्राप्त होती है।

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