ट्रायकोडर्मा पौधे रोग प्रबंधन के लिए विशेष रूप से मिट्टी में पैदा होने वाले रोग के लिए एक बहुत ही प्रभावी जैविक माध्यम है। यह एक मुक्त जीवित कवक है जो मिट्टी और जड़ पारिस्थितिक तंत्र में आमतौर पर होता है|
ट्रायकोडर्मा से लाभ:-
रोग नियंत्रण, पौध वृद्धि कारक, रोग के जैव रासायनिक रोधक, ट्रांसजेनिक पौधे और जैव उपचार।
प्रयोग का तरीका:-
बीज उपचार:- बुवाई से पहले 6-10 ग्राम / किलो बीज के अनुसार ट्रायकोडर्मा मिलाये |
नर्सरी उपचार:- 100 वर्ग मी. नर्सरी क्यारियों में 10-25 ग्राम ट्रायकोडर्मा डालते है|
कलम एवं रोपा उपचार:- 10 ग्राम ट्रायकोडर्मा प्रति ली. पानी का घोल बना कर 10 मिनट रखें कलम एवं रोपा को उपचारित करके रोपाई करें|
मृदा उपचार:- 1 किलो ट्रायकोडर्मा 100 किलो गोबर की खाद में मिला कर उसे पॉलीथिन से ढक कर 7 दिन के लिए रखे बीच बीच में ढेर पर पानी डालते रहे और इसे 3-4 दिन में पलटे 7 दिन बाद खेत में भुरकाव करें |
पौध उपचार:- एक पानी में 10 ग्राम ट्रायकोडर्मा मिला कर पौधे के पास तने के चारों और जमीन में दे|
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