सोयाबीन के फसल की कटाई के बाद खेत में करें डीकम्पोज़र का उपयोग

  • सोयाबीन की फसल की कटाई के बाद उसके फसल अवशेष बहुत अधिक मात्रा में खेत में रह जाते हैं। 

  • इन अवशेषों के कारण लगायी जाने वाली अगली फसल में इन अवशेषों के कारण कवक जनित एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में होता है।

  • इसी कारण लगायी गई नई फसल में जड़ गलन, तना गलन आदि रोग हो जाते हैं।

  • इस प्रकार के कवक एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप नयी फसल में ना हो इसके  लिए सोयाबीन के फसल की कटाई के बाद खाली खेत में या फसल की बुआई के बाद दोनों ही स्थिति में डीकम्पोज़र का उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इसके लिए यदि किसान तरल द्रव्य का उपयोग करना चाहते हैं तो 1 लीटर/एकड़ की दर से डीकम्पोज़र का उपयोग छिड़काव के रूप में कर सकते हैं।

  • इसके अलावा ग्रामोफ़ोन किसानों को स्पीड कपोस्ट के नाम से डीकम्पोज़र उपलब्ध करवा रहा है जिसको 4 किलो/एकड़ की मात्रा में 10 किलो यूरिया मिलाकर, खेत की 50-100 किलो मिट्टी में मिलाकर खेत में भुरकाव करें।

  • जब डीकम्पोज़र का उपयोग किया जा रहा हो तो ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।

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